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Friday, 8 November, 2024
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पंजाब और हरियाणा में कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन, किसानों ने चक्का जाम किया और सड़के रोकीं

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी 'चक्का जाम' करते हुए पंजाब और हरियाणा में कई स्थानों पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के आह्वान पर किसानों ने सड़के अवरुद्ध करते हुए इन कानूनों को वापस लेने की मांग की.

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चंडीगढ़: केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी ‘चक्का जाम’ के तहत किसानों ने बृहस्पतिवार को पंजाब और हरियाणा में कई स्थानों पर सड़के अवरुद्ध करते हुए इन कानूनों को वापस लेने की मांग की.

दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक के इस राष्ट्रव्यापी ‘चक्का जाम’ का आह्वान अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति ने किया है.

विभिन्न संगठनों से संबंध रखने वाले प्रदर्शनकारी किसानों ने कई जगहों पर राजकीय और राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध किया जिसके चलते यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

इस दौरान पुलिस ने कई जगहों पर यातायात का मार्ग बदल दिया, फिर भी यात्रियों के मुश्किल का सामना करना पड़ा है.

प्रदर्शनकारियों ने ‘काले कानून’ लाने के लिये भाजपा नीत केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए आशंका जतायी कि इन कानूनों से कृषक समुदाय बर्बाद हो जाएगा और इनसे केवल बड़े कारोबारी घरानों को ही ‘फायदा’ पहुंचेगा.

पंजाब के किसान संगठनों ने राज्य में मालगाड़ियों पर रोक लगाने के लिये भी केन्द्र सरकार पर निशाना साधा, जिसके चलते राज्य में कोयले, उर्वरकों और अन्य जरूरी सामानों की आपूर्ति प्रभावित हुई है.


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भारतीय किसान संघ (एकता उग्रहान) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि उन्होंने चक्का जाम प्रदर्शन के तहत संगरूर, बठिंडा, मनसा, बरनाला, पटियाला में 35 जगहों पर सड़कों को अवरुद्ध किया है.

भारतीय किसान यूनियन (चरूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा कि उन्होंने हरियाणा में करनाल, रोहतक, कैथल, जींद, हिसार और फतेहाबाद समेत लगभग 20 जगह प्रदर्शन करने की योजना बनाई है.

भठिंडा में एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा कि राज्य में मालगाड़ियों को निरस्त कर नरेन्द्र मोदी सरकार किसानों के आंदोलन को ‘बदनाम और अस्थिर ‘ करना चाहती है.


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