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सोमवार, 9 जून, 2025
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राष्ट्रीय पुस्तकालय की इमारत का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी पर रखा गया

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कोलकाता, सात जुलाई (भाषा) केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा यहां राष्ट्रीय पुस्तकालय की एक महत्वपूर्ण इमारत ‘भाषा भवन’ का नाम बदलकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर किए जाने पर तृणमूल कांग्रेस और माकपा ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार अपने राजनीतिक लाभ के लिए मनमाने ढंग से इमारतों के नाम बदल रही है।

राष्ट्रीय पुस्तकालय के सलाहकार बोर्ड ने छह जुलाई को राष्ट्रीय पुस्तकालय परिसर के भीतर स्थित 19 साल पुराने ‘भाषा भवन’ का नाम बदलकर प्रसिद्ध बैरिस्टर, शिक्षाविद और भारतीय जनसंघ के संस्थापक के नाम पर ‘डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी भाषा भवन’ करने का निर्णय लिया। मुखर्जी ने स्वतंत्र भारत की पहली कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया था।

मुखर्जी की 123वीं जयंती छह जुलाई को थी।

राष्ट्रीय पुस्तकालय के एक बयान में शुक्रवार को कहा गया, “नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया, अलीपुर के भीतर भाषा भवन का नाम बदलकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भाषा भवन रखा जाएगा। यह डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक डॉ. अनिर्बान गांगुली के इस आशय के लिए केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को अनुरोध के बाद किया गया।”

इसमें कहा गया, “उन्होंने (श्यामा प्रसाद ने) अपने पिता सर आशुतोष मुखर्जी के निजी संग्रह, जिसमें 87,000 से अधिक पुस्तकें शामिल हैं, के दान की व्यवस्था कर भारत के राष्ट्रीय पुस्तकालय में एक महान योगदान दिया था, जो शोधकर्ताओं और ग्रंथ सूची प्रेमियों के लिए दुर्लभ खजाना हैं।”

इस घटनाक्रम पर तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, “हम श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बहुत सम्मान करते हैं। लेकिन इस तरह के नाम बदलने की कवायद के लिए राष्ट्रीय पुस्तकालय की एक महत्वपूर्ण इमारत को क्यों चुना जाए, जो राज्य की विरासत के साथ एकीकृत है और भाषा आंदोलन का प्रतीक है। मामला यह है कि राज्य के कई स्थलों का नाम पहले ही श्यामा प्रसाद के नाम पर रखा जा चुका है। क्या यह पर्याप्त नहीं है?”

उन्होंने कहा कि यह और कुछ नहीं बल्कि भाजपा की “मनमाने ढंग से स्थलों का नाम बदलने की पक्षपातपूर्ण मानसिकता” है, जिसमें संस्थान की विरासत के प्रति बहुत कम शोध और सम्मान है।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने ट्वीट किया, “राष्ट्रीय पुस्तकालय कोलकाता के भाषा भवन का नाम बदलकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भाषा भवन करने के संस्कृति मंत्रालय के निर्णय का स्वागत करता हूं। मैं इस फैसले के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देता हूं।”

मजूमदार ने कहा कि इस कदम पर टीएमसी का विरोध केवल उनकी घटिया मानसिकता को उजागर करता है क्योंकि “राज्य और देश के लोग, बंगाल के इतिहास में श्यामा प्रसाद की भूमिका और योगदान को जानते हैं।”

माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य और पूर्व विधायक सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “कोलकाता बंदरगाह का नाम बदलने के बाद, भाजपा अब कई स्थलों का नाम बदलने की होड़ में है और हर नाम को श्यामा प्रसाद के साथ टैग (संलग्न) कर रही है।”

भाषा प्रशांत माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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