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Wednesday, 17 April, 2024
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विपक्ष की आवाज़ दबाने की मोदी सरकार की कोशिश: नेशनल हेराल्ड

केंद्र ने अपने आदेश में एजेएल को हेराल्ड हाउस खाली करने को कहा है क्योंकि ज़मीन प्रेस के लिए दी गई थी और वहां कोई अखबार नहीं छप रहा था. एजेएल ने कहा कि ये राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित आदेश है.

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नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की केंद्र के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करेगा. केंद्र ने अपने आदेश में एजेएल को हेराल्ड हाउस खाली करने को कहा है.

न्यायमूर्ति सुनील गौर ने मामले से जुड़ी फाइल के अदालत में अब तक नहीं पहुंचने की बात कहते हुए सुनवाई स्थगित कर दी और कहा कि फाइल के अध्ययन के लिए समय की ज़रूरत है.

एजेएल ने आरोप लगाया है कि सरकार का 30 अक्टूबर का आदेश अवैध, असंवैधानिक, मनमाना और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहलाल नेहरू की विरासत को जानबूझकर बर्बाद करने की कोशिश है.

एजेएल, नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करती है.

एजेएल का कहना है कि आदेश राजनीति से प्रेरित है और इसका मकसद विपक्षी पार्टियों की असंतोष की आवाज़ को दबाना व बर्बाद करना है.

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इस आदेश में शहरी विकास मंत्रालय ने एजेएल को दिए गए 56 साल पुराने पट्टे को खत्म कर दिया है और एजेएल को गुरुवार को परिसर खाली करने को कहा है.

एजेएल ने आदेश को चुनौती देते हुए सोमवार को अदालत का दरवाज़ा खटखटाया.

केंद्र सरकार ने कथित तौर पर कुछ महीने पहले परिसर का निरीक्षण किया था और पाया कि एजेएल को आवंटित क्षेत्र का बीते 10 सालों से अखबार के प्रकाशन के लिए इस्तेमाल नहीं हो रहा है.

एजेएल बीते कई दशकों से अखबार का प्रकाशन कर रहा है. हालांकि, वित्तीय संकट की वजह से थोड़े समय से इसका प्रकाशन रुका रहा, लेकिन औपचारिक अखबार व डिजिटल मीडिया का संचालन पूरी तरह से बहाल था.

सप्ताहिक नेशनल हेराल्ड ऑन संडे का प्रकाशन 24 सितंबर, 2017 से फिर से शुरू हो गया है और इसे हेराल्ड हाउस दिल्ली से प्रकाशित किया जा रहा है. एजेएल ने 14 अक्टूबर से अपने साप्ताहिक हिंदी अखबार का फिर से प्रकाशन शुरू किया.

याचिका में अदालत को यह भी अवगत कराया गया है कि निरीक्षण के लिए आई समिति के सदस्यों ने कमरों का दौरा नहीं किया, जहां पेपर के भंडार सहित प्रिंटिंग प्रेस लगी हुई है.

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