नयी दिल्ली, 25 दिसंबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कर्नाटक की अर्कावती नदी में भारी धातुओं और विषैले पदार्थों की खतरनाक मात्रा पाए जाने के मामले में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं अन्य से जवाब मांगा है। यह नदी कावेरी की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है और नंदी पहाड़ियों के पास से निकलती है।
हरित निकाय इस मामले की सुनवाई कर रहा है, जहां उसने नदी के पानी में पारा, प्रतिबंधित कीटनाशक डीडीटी, कैंसर पैदा करने वाले पॉलीसाइक्लिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) और फ्लोराइड पाए जाने के बारे में एक समाचार पत्र की रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया था।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने 13 दिसंबर को दिए आदेश में कहा, ‘‘लेख के अनुसार, यह नदी कर्नाटक में कृषि और बागवानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा अर्कावती नदी को संरक्षित करने के निर्देश के बाद भी, यह गंभीर घरेलू और औद्योगिक प्रदूषण से ग्रस्त है।’’
पीठ ने कहा कि समाचार रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘तीन स्थानों से नमूने एकत्र किए गए थे, जिसमें डीडीटी सांद्रता, पारा स्तर और हानिकारक हाइड्रोकार्बन की उच्च मात्रा पाई गई।
अधिकरण ने कहा, ‘‘यह समाचार जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, खतरनाक एवं अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और सीमापार आवागमन) नियम और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों को आकर्षित करता है।’’
इसने कहा कि रिपोर्ट में पर्यावरण मानदंडों के अनुपालन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे भी उठाए गए हैं।
अधिकरण ने सीपीसीबी और कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिवों, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के बेंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय, बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका के आयुक्त और बेंगलुरु के जिला मजिस्ट्रेट को पक्षकार या प्रतिवादी के रूप में शामिल किया।
अधिकरण ने कहा, ‘‘उपरोक्त प्रतिवादियों को अपना जवाब/प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करें।’ इस मामले को न्यायाधिकरण के चेन्नई स्थित दक्षिणी क्षेत्रीय न्यायालय के समक्ष 10 फरवरी को आगे की कार्यवाही के लिए पोस्ट किया गया है।’’
भाषा रंजन रंजन माधव
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