श्रीनगर, चार अप्रैल (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के नेता वहीद पारा ने शुक्रवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) की आलोचना करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी अगस्त 2019 के बाद लागू किए गए बदलावों का विरोध करने के बजाय अधिकारियों के तबादले को लेकर शक्तियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
केंद्र सरकार ने पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया था। अनुच्छेद 370 से तत्कालीन राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार मिले हुए थे।
पारा ने ‘एक्स’ पर कहा, “जम्मू-कश्मीर में एक पार्टी, जो कभी अपने सदर-ए-रियासत (राज्य के प्रमुख) और प्रधानमंत्री को चुनती थी, अब अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि तहसीलदार की नियुक्तियों के लिए लड़ रही है। सिद्धांत न केवल बदल रहे हैं, बल्कि चरमरा गए हैं। पचास विधायक पांच अगस्त (के फैसले) का विरोध करने के लिए नहीं, बल्कि कश्मीर प्रशासनिक सेवा (केएएस) के अधिकारियों के तबादलों के लिए एकजुट हुए हैं।”
पारा शुक्रवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस और सत्तारूढ़ गठबंधन सहयोगियों द्वारा आयोजित विधायक दल की बैठक का जिक्र कर रहे थे, जो उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा के 48 अधिकारियों के तबादले व नियुक्ति के आदेश की पृष्ठभूमि में आयोजित की गई थी।
पुलवामा से विधायक वहीद पारा ने नेशनल कॉन्फ्रेंस पर जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के फैसले को सामान्य मामला बनाने और पार्टी पर आत्मसमर्पण करने का आरोप लगाया।
पारा ने कहा, “आपने (नेकां ने) पांच अगस्त को आत्मसमर्पण कर दिया और हालात को सामान्य बनाने से शुरुआत की, और उनसे (केंद्र सरकार से) यह उम्मीद की कि अंतत: वे आपकी मदद करेंगे क्योंकि आपने उनकी मदद की। अगर आपने कोई रुख अपनाया होता तो अपना खुद का एडवोकेट जनरल नियुक्त किया होता, पांच विधायकों को नामित किया होता और (अनुच्छेद) 370 के प्रस्ताव (राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए) पर कभी समझौता नहीं किया होता, जिससे तबादले आपके लिए आसान होते।”
पीडीपी नेता ने कहा, “आपने 13 जुलाई (शहीद दिवस की छुट्टी, जिसे 2019 में खत्म कर दिया गया) पर अपने रुख को जाहिर करने से इनकार कर दिया और वक्फ विधेयक पर सिर्फ खोखली बयानबाजी की। अब वही मंत्रिमंडल, जिसने एक महीने के विधानसभा सत्र में उन नौकरशाहों को सही ठहराया था, आज उनके बारे में शिकायत कर रही है?”
भाषा जितेंद्र सुरेश
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