भोपाल: मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र स्थित कूनो नेशनल पार्क में शनिवार को नामीबिया से लाई गई आठ साल की मादा चीता ‘नभा’ की मौत हो गई. एक हफ्ते पहले वह—जैसा कि वन अधिकारियों का मानना है—शिकार के प्रयास के दौरान घायल हो गई थी.
नभा भारत के प्रोजेक्ट चीता के तहत लाई गई नौवीं चीता है जिसकी अब तक मौत हो चुकी है. प्रोजेक्ट चीता एक ट्रांसलोकेशन परियोजना है, जिसे सितंबर 2022 में शुरू किया गया था. इसके तहत पहले नामीबिया से आठ चीते और फिर दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते कूनो नेशनल पार्क लाए गए थे. इससे पार्क में कुल 20 चीते हो गए थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो इस सप्ताह नामीबिया दौरे पर थे, ने अपने संबोधन में कूनो नेशनल पार्क में नामीबियाई चीतों के अंतरमहाद्वीपीय स्थानांतरण के बाद उनके संरक्षण प्रयासों को रेखांकित किया. उन्होंने नामीबियाई संसद में कहा, “भारत और नामीबिया के पास सहयोग, संरक्षण और करुणा की एक शक्तिशाली कहानी है. आपने हमारे देश में चीतों को फिर से बसाने में मदद की. वे बहुत खुश हैं और उन्होंने अपने नए घर में अच्छा तालमेल बिठाया है. उनकी संख्या भी बढ़ी है. यह स्पष्ट है कि वे भारत में अपना समय एंजॉय कर रहे हैं.”
शनिवार को जारी एक प्रेस नोट में मध्य प्रदेश वन विभाग के फील्ड डायरेक्टर उत्तम शर्मा ने कहा, “नभा को एक सप्ताह पहले संभवतः शिकार के प्रयास के दौरान, उसके ‘सॉफ्ट रिलीज बोमा’ (जहां चरणबद्ध तरीके से उसे जंगल में छोड़ा जा रहा था) के अंदर गंभीर चोटें आई थीं. उसके बाएं पैर की दोनों हड्डियाँ—अल्ना और फाइबुला—टूट गई थीं और अन्य चोटें भी थीं.”
नभा पिछले एक हफ्ते से इलाज में थी लेकिन शनिवार को उसकी मौत हो गई. उसकी मौत के साथ कूनो में अब तक 10 चीतों की मौत हो चुकी है, जिनमें नौ विदेशी और एक भारतीय जन्मी चीता शामिल है.
वह अगस्त 2023 के बाद कूनो में मरने वाली पहली एडल्ट चीता है. उसकी मौत के बाद अब कूनो में कुल 26 चीते हैं, जिनमें नौ एडल्ट और 17 भारतीय जन्मे बच्चे हैं. इनमें से दो चीतों को मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में शिफ्ट किए गए हैं.
अब तक कुल 11 चीतों की मौत हो चुकी है, जिनमें आठ एडल्ट और तीन बच्चे शामिल हैं. 27 मार्च 2023 को साशा नाम की मादा चीता की किडनी की बीमारी से मौत हुई थी. इसके अगले ही महीने, अप्रैल में, दक्षिण अफ्रीका से लाया गया नर चीता उदय, हृदय संबंधी दिक्कतों से मर गया। फिर मई में, डक्षा नाम की एक मादा चीता, संभोग के दौरान लगी गंभीर चोटों के कारण मर गई.
इन लगातार तीन मौतों के बाद जुलाई-अगस्त 2023 के बीच चार और चीतों—सूरज, शौर्य, तेजस और धरती—की मौत रेडियो कॉलर से गले में हुए घाव और उसमें कीड़े लगने से हुई. यह सभी मौतें चीतों के पहले भारतीय मानसून के दौरान हुईं. धरती की मौत अगस्त 2023 में हुई थी.
इन मौतों के बाद वन अधिकारियों ने खुले जंगल में घूम रहे सभी चीतों को पकड़कर बंद बाड़ों में रखा और इलाज शुरू किया. इसके तुरंत बाद, 27 अगस्त 2023 को चीता पवन की एक भरे हुए नाले में डूबने से मौत हो गई.
इसके बाद प्रोजेक्ट चीता में कोई बड़ी परेशानी नहीं आई और चीतों की संख्या स्थिर हो गई, जिससे धीरे-धीरे उन्हें ‘सॉफ्ट बोमा’ से खुले जंगल में छोड़ा जाने लगा.
इस साल मानसून आने से पहले, वन अधिकारियों ने सभी चीतों पर परजीवी रोधी दवा लगा दी थी.
शनिवार शाम तक नभा का पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार कर दिया गया. ‘दिप्रिंट’ से बात करते हुए प्रोजेक्ट चीता के प्रभारी उत्तम शर्मा ने कहा, “पोस्टमार्टम पूरा हो गया है और आगे की जांच के लिए जरूरी नमूने भेज दिए गए हैं.”
अधिकारियों के अनुसार, नभा के दोनों बाएं पैरों में फ्रैक्चर हो गया था, जिससे वह एक तरफ ही बैठती रही, जिससे उसकी हालत और बिगड़ गई और आखिरकार उसकी मौत हो गई.
भारत में अभी कुल 26 चीते हैं, जिनमें से 16 खुले जंगल में रहते हैं जबकि 10 बंद बाड़ों में. इन 10 में पांच शावक, एक अर्धवयस्क और चार वयस्क चीते हैं.
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