कोहिमा, तीन जून (भाषा) नगालैंड सरकार ने राज्य की आरक्षण नीति के संबंध में पांच जनजातियों की मुख्य मांगों की पड़ताल के लिए 15 दिनों के भीतर एक आयोग गठित करने पर मंगलवार को सैद्धांतिक रूप से सहमति जतायी।
यह बात सीओआरआरपी ने कही, जो नगालैंड की पांच प्रमुख जनजातियों के प्रतिनिधियों वाला एक निकाय है।
इसके सदस्यों ने राज्य की आरक्षण नीति की समीक्षा की उनकी मांग को लेकर उपमुख्यमंत्री (गृह) वाई पैटन द्वारा बुलायी गई बैठक में हिस्सा लिया।
बैठक के बाद पैटन ने संवाददाताओं को बताया कि राज्य मंत्रिमंडल इस महीने बाद में इस मामले पर चर्चा करेगा।
आरक्षण नीति समीक्षा समिति (सीओआरआरपी) के संयोजक टेसिन्लो सेमी ने संवाददाताओं को बताया कि चर्चा “सार्थक” रही और सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया है कि 17 जून तक एक आयोग का गठन कर दिया जाएगा।
सेमी ने कहा, ‘‘आयोग पांच जनजातियों की मुख्य मांगों की पड़ताल करेगा और सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपेगा। इसके बाद कैबिनेट एक फैसला लेगा।’’
हालांकि अगली बैठक के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई, लेकिन उन्होंने कहा कि सीओआरआरपी 15 दिनों के बाद सरकार के साथ फिर से बैठक करेगी।
आयोग की संरचना और नेतृत्व के बारे में पूछे जाने पर सेमी ने कहा कि इसका निर्णय मंत्रिमंडल को लेना है।
नगालैंड की पांच प्रमुख नगा जनजातियों ने 29 मई को विभिन्न जिलों में समन्वित विरोध रैलियां आयोजित की थीं तथा राज्य की लंबे समय से चली आ रही नौकरी आरक्षण नीति की समीक्षा की मांग की।
उपमुख्यमंत्री वाई पैटन ने संवाददाताओं को बताया कि आदिवासी निकायों ने शुरू में या तो मौजूदा पिछड़ा आरक्षण नीति को खत्म करने या शेष आरक्षण पांच जनजातियों को आवंटित करने की मांग की थी। पैटन ने कहा, ‘लंबे विचार-विमर्श के बाद, उन्होंने अनुरोध किया कि केवल एक समिति के बजाय एक द्वि-संसदीय आयोग का गठन किया जाए।’
उन्होंने कहा कि सरकार ने जनजाति निकायों से 17 जून तक का समय मांगा है ताकि कैबिनेट इस मामले पर विचार-विमर्श कर सके। उन्होंने कहा, ‘हम इस समयसीमा पर सहमत होने और तब तक अपने आंदोलन को स्थगित रखने का फैसला करने के लिए पांच जनजाति निकायों के आभारी हैं।’
पैटन ने कहा कि जनजाति नेताओं को कैबिनेट के फैसले से अवगत करा दिया जाएगा और जरूरत पड़ने पर आगे की बैठकें भी की जाएंगी।
सरकार के आश्वासन के बाद, सीओआरआरपी ने अपना प्रस्तावित आंदोलन स्थगित कर दिया है।
भाषा अमित रंजन
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