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शनिवार, 7 जून, 2025
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एन राम ने प्रेस की स्वतंत्रता को मजबूत करने के लिए कानूनी सुधारों का आह्वान किया

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कोझीकोड (केरल), 28 मई (भाषा) वरिष्ठ पत्रकार एन राम ने भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने और उसे मजबूत करने के लिए तत्काल कानूनी सुधारों का आह्वान करते हुए कहा कि पुराने और दमनकारी कानून पत्रकारों और मीडिया संगठनों के लिए खतरा बने हुए हैं।

बुधवार को यहां प्रमुख मीडिया समूह ‘मातृभूमि’ द्वारा आयोजित एमपी वीरेंद्रकुमार स्मृति व्याख्यान देते हुए ‘द हिंदू’ के पूर्व संपादक राम ने कहा कि यह स्पष्ट है कि एक लोकतांत्रिक शिल्प के रूप में पत्रकारिता को फलने-फूलने के लिए व्यापक स्वतंत्रता की आवश्यकता होती है।

उन्होंने कहा कि हालांकि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है, लेकिन यह अधिकार अब भी लागू प्रतिबंधात्मक कानूनों के कारण अक्सर चुनौतियों का सामना करता है। राम ने कहा कि अब भी समस्या पैदा करने वाले कई कानून मौजूद हैं, जिनमें आपराधिक मानहानि, अदालत की अवमानना, राजद्रोह कानून और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के कुछ हिस्से शामिल हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत में मीडिया की स्वतंत्रता अधूरी मानी जाती है, क्योंकि प्रिंट मीडिया और प्रसारण मीडिया को समान संवैधानिक और कानूनी स्तर पर नहीं रखा गया है। उच्च न्यायालयों ने रेडियो और टेलीविजन को अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत प्रभावी संरक्षण प्रदान करना आवश्यक नहीं समझा है।’’

राम ने कहा, ‘‘प्रेस और समाचार मीडिया से संबंधित हमारे कानूनों पर पुनर्विचार करने, पुराने प्रावधानों को निरस्त करने या संशोधित करने तथा आवश्यकतानुसार कानूनी सुधार और संवैधानिक संशोधन के माध्यम से मीडिया की स्वतंत्रता को मजबूत करना जरूरी है।’’

उन्होंने बढ़ती हिंसा, कानूनी उत्पीड़न और गहरे ध्रुवीकृत राजनीतिक माहौल का हवाला देते हुए यह भी चेतावनी दी कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता गंभीर खतरे में है।

वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि स्वतंत्र पत्रकारिता के प्रति बढ़ता विद्वेष गंभीर चिंता का विषय है और उन्होंने तत्काल कानूनी और संस्थागत सुधार की मांग की।

राम ने बिगड़ती स्थिति के सबूत के रूप में ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (आरएसएफ) द्वारा जारी 2025 के लिए विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक का हवाला दिया, जिसमें 180 देशों में भारत को 151वां स्थान दिया गया है।

उन्होंने कहा कि सूचकांक में भारत को 180 देशों और क्षेत्रों में 151वें स्थान पर रखा गया है, जिसका अर्थ है कि उनमें से 80 प्रतिशत से अधिक देश भारत से ऊपर हैं।

‘मातृभूमि’ द्वारा अपने पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक की स्मृति में स्थापित ‘एम पी वीरेंद्र कुमार नेशनल थॉट लीडरशिप अवार्ड’, अप्पिको आंदोलन के संस्थापक पांडुरंगा हेगड़े को समारोह में प्रदान किया गया।

पर्यावरण एवं जल संरक्षण कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह ने पुरस्कार प्रदान किया, जिसमें पांच लाख रुपये की नकद राशि, एक प्रशस्ति पत्र और एक पट्टिका शामिल है।

हेगड़े ने घोषणा की कि वह पुरस्कार और पुरस्कार राशि दोनों को पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों और कार्यकर्ताओं को समर्पित कर रहे हैं।

मातृभूमि के अध्यक्ष और प्रबंध संपादक पी वी चंद्रन ने समारोह की अध्यक्षता की। प्रबंध निदेशक एम वी श्रेयम्स कुमार ने उद्घाटन भाषण दिया।

भाषा

देवेंद्र संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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