अमरावती, 28 नवंबर (भाषा) वाईएसआरसीपी के शीर्ष नेता एवं आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने उनकी पार्टी नीत सरकार के कार्यकाल के दौरान सौर ऊर्जा खरीद के लिए अदाणी समूह द्वारा राज्य के अधिकारियों को रिश्वत दिए जाने के आरोपों को बृहस्पतिवार को सिरे से खारिज किया और कहा कि इस मामले में अमेरिकी अदालत के अभियोग में कहीं भी उनका नाम नहीं है।
अदाणी रिश्वत विवाद शुरू होने के बाद पहली प्रतिक्रिया में जगन ने यह भी कहा कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई बार गौतम अदाणी और उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात की जो ‘‘असामान्य बात नहीं’’ है।
रेड्डी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इसमें कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि मुझे रिश्वत की पेशकश की गई क्योंकि सबसे पहली बात तो यह है कि कोई भी मुझे रिश्वत नहीं दे सकता और कारोबारियों का नेताओं से मिलना कोई असामान्य बात नहीं है बल्कि यह एक सामान्य चलन है।’’
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि रिश्वत के आरोप अफवाह हैं और किसी ने भी यह नहीं कहा है कि जगन या किसी अन्य ने रिश्वत ली है।
आंध्र प्रदेश में 2019 से 2024 के बीच मुख्यमंत्री रहे रेड्डी ने कहा, ‘‘ मेरे नाम का कोई जिक्र नहीं था। उन लोगों (अमेरिका में) ने जो कुछ भी कहा है, कृपया उसे पढ़ें। कोई मूर्ख ही होगा जो मेरा या किसी और का नाम लेगा क्योंकि मैंने उनसे कभी कोई लेन-देन नहीं किया।’’
अदाणी समूह के अध्यक्ष गौतम अदाणी पर अमेरिकी न्याय विभाग ने अनुकूल सौर ऊर्जा अनुबंधों के बदले भारतीय अधिकारियों को 25 करोड़ अमेरिकी डॉलर की रिश्वत देने में उनकी भूमिका को लेकर आरोप लगाया है, हालांकि भारतीय समूह ने इस आरोप का खंडन किया है।
उन्होंने कहा कि यह समझौता आंध्र प्रदेश ‘डिस्कॉम्स’ और ‘एसईसीआई’ के बीच हुआ था और इसमें कोई तीसरा पक्ष नहीं था।
उन्होंने कहा, ‘‘और वहां कोई तीसरा पक्ष कहां है। यदि कोई इतना मूर्ख और बेवकूफ है और कोई सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास करके बकवास और मूर्खतापूर्ण बातें करता है, तो कोई कुछ नहीं कर सकता।’’
पूर्व मुख्यमंत्री ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) के साथ समझौते को ‘ऐतिहासिक’ बताया और कहा कि एसईसीआई के साथ 2.49 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली आपूर्ति समझौते से राज्य को 25 वर्षों में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत होगी।
घटनाओं का कालानुक्रमिक विवरण देते हुए वाईएसआरसीपी प्रमुख ने कहा कि राज्य सरकार को 15 सितंबर 2021 को एसईसीआई से एक पत्र मिला, जिसमें अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) शुल्क माफ करते हुए 2.49 रुपये प्रति यूनिट की दर से 7000 मेगावाट सौर ऊर्जा की पेशकश की गई और एक दिसंबर 2021 को समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
गुजरात डिस्कॉम को आंध्र प्रदेश की तुलना में सस्ती कीमत मिलने की रिपोर्ट पर उन्होंने कहा कि कोई अंतरराज्यीय पारेषण शुल्क नहीं है, क्योंकि बिजली का उत्पादन पश्चिमी राज्य में ही किया जाता है।
यह पूछे जाने पर कि यदि वर्तमान सरकार एसईसीआई के साथ समझौते को रद्द कर दे तो क्या होगा, इस जगन ने कहा, ‘‘कोई भी इतना पागल नहीं है कि इस तरह के सौदे को रद्द कर दे।’’
दरअसल आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने पहले कहा था कि राज्य सरकार के पास कथित रिश्वतखोरी से संबंधित अमेरिका में दायर ‘आरोपपत्र रिपोर्ट’ है और उन्होंने कथित अनियमितताओं पर कार्रवाई करने का ‘वादा’ किया था।
नायडू ने कहा था कि वाईएसआरसीपी सरकार और अदाणी समूह से जुड़े आरोपों से इस दक्षिणी राज्य की प्रतिष्ठा और ब्रांड छवि को ठेस पहुंची है और उन्होंने इसे ‘बहुत दुखद घटनाक्रम’ करार दिया था।
जगन ने कहा कि तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने और खबरें प्रकाशित करने के आरोप में वह कुछ स्थानीय दैनिक अखबारों के खिलाफ 100 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे।
इससे पहले भी विपक्षी युवजन श्रमिक रायतु कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) ने कहा था कि उसकी सरकार का अदाणी समूह के साथ कोई सीधा समझौता नहीं था और 2021 में हस्ताक्षरित बिजली बिक्री समझौता ‘एसईसीआई’ और ‘आंध्र डिस्कॉम’ के बीच था।
पार्टी ने पिछले सप्ताह कहा था कि नवंबर 2021 में ‘एपी विद्युत नियामक आयोग’ ने 7,000 मेगावाट की बिजली खरीद को मंजूरी दी थी, जिसके बाद ‘एसईसीआई’ और ‘एपी डिस्कॉम’ के बीच एक दिसंबर 2021 को बिजली बिक्री समझौते (पीएसए) पर हस्ताक्षर हुए थे।
भाषा शोभना अविनाश
अविनाश
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