scorecardresearch
Friday, 26 April, 2024
होमदेशमेरे अनुमान गंभीर, जीडीपी के 11.5% सिकुड़ने की अपेक्षा: भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रोनब सेन

मेरे अनुमान गंभीर, जीडीपी के 11.5% सिकुड़ने की अपेक्षा: भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रोनब सेन

सेन ने कहा कि कोई भी आंकड़ा जो घर-घर जाकर जुटाया जाता था, वो महामारी के कारण प्रभावित हुआ है. मुझे नहीं लगता कि सरकारी व्यवस्था जोखिम उठाकर फील्ड सर्वे करने की इजाजत देगी

Text Size:

नई दिल्ली: आर्थिक आंकड़ों पर सरकार द्वारा नियुक्त पैनल के प्रमुख और पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रोनब सेन ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने सरकार द्वारा कराए जाने वाले सभी घरेलू सर्वेक्षणों को रोक दिया है. इसलिए इस साल कोई खपत सर्वेक्षण नहीं किया जाएगा.

दिप्रिंट को दिए साक्षात्कार में सेन ने अनुमान लगाया कि महामारी के कारण और उसके बाद लगे लॉकडाउन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था 2020-21 में करीब 11.5 प्रतिशत तक सिकुड़ सकती है.

किसी भी वित्तीय संस्थान और अर्थशास्त्री द्वारा 2020-21 के लिए अर्थव्यवस्था का 11.5 प्रतिशत सिकुड़ने का अनुमान लगाना भारत के विकास दर का सबसे खराब पूर्वानुमान है.

उन्होंने कहा, ‘मेरे अनुमान गंभीर हैं. इस वक्त मुझे 11.5 प्रतिशत तक संकुचन की उम्मीद है. लेकिन ये 31 मई को लॉकडाउन खत्म होने की धारणा पर आधारित है.’

सेन ने कहा कि पिछले 2 महीनों के लॉकडाउन के कारण जो गुणात्मक असर हुआ है, ज्यादातर शोधकर्ताओं ने उसका आकलन नहीं किया है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

घरेलू सर्वेक्षण इस वर्ष नहीं

सेन ने कहा कि इस वर्ष के लिए घरेलू सर्वेक्षण नहीं होने वाला है.

उन्होंने कहा, ‘कोई भी आंकड़ा जो घर-घर जाकर जुटाया जाता था, वो महामारी के कारण प्रभावित हुआ है. मुझे नहीं लगता कि सरकारी व्यवस्था जोखिम उठाकर फील्ड सर्वे करने की इजाजत देगी. और गांव वाले भी बाहर से आए लोगों को नहीं घुसने देंगे.’


यह भी पढ़ें: राम मंदिर के मॉडल और भव्यता को लेकर संतों में नाराज़गी, ट्रस्ट ने कहा- ‘सब ठीक है’


उन्होंने कहा कि खपत सर्वेक्षण जो कि घरेलू सर्वे है, वो भी प्रभावित होगी.

सेन ने कहा, ‘खपत सर्वेक्षण एक घरेलू सर्वे है. इसमें बड़े स्तर पर आंकड़ों को जुटाया जाता है. अगर ये सर्वेक्षण पूरा नहीं होता है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे.’ उन्होंने कहा कि इससे पहले खपत सर्वे 2011-12 में हुआ था.

खपत सर्वेक्षण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में और भोजन और गैर-खाद्य पदार्थों के लिए उपभोग स्तर की जानकारी देता है. यह जानकारी नीति निर्माताओं को मांग पैटर्न और उपभोक्ता व्यवहार में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करती है. यह जीडीपी गणना के लिए आधार वर्ष को बदलने में भी योगदान देता है.

सरकार ने सर्वेक्षण के साथ डेटा गुणवत्ता और अन्य कार्यप्रणाली संबंधी मुद्दों का हवाला देते हुए 2017-18 के सर्वेक्षण को जारी करने का फैसला करने के बाद 2020-21 और 2021-22 के लिए उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण आयोजित करने के अपने इरादे की घोषणा की थी.

सर्वेक्षण का एक लीक हुआ मसौदा, हालांकि, ग्रामीण खपत के स्तर में गिरावट और इसके परिणामस्वरूप गरीबी में वृद्धि को दर्शाता है.

सेन ने कहा, हालांकि, नौकरियों के आंकड़ों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ सकता है क्योंकि यह कुछ तिमाहियों से घरों के एक ही सेट के साथ काम कर रहा है और इन मामलों की जानकारी फोन पर एकत्र की जा सकती है.

जीएसटी आंकड़ा

सेन ने कहा कि डेटा संग्रह की सामान्य प्रक्रिया बुरी तरह से प्रभावित हुई है और कहा गया है कि कई डेटा एक अंतराल के बाद आ सकते हैं, इस प्रकार डेटा और साक्ष्य-आधारित नीति बनाने की गुंजाइश कम हो सकती है.

उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में दो से तीन महीने की देरी से अगर आंकड़े आते हैं तो नीति बनाने में काफी देर हो जाएगी.

सेन ने कहा कि जीएसटी के आंकड़े प्रभाव का आकलन करने के लिए एक अच्छा संकेतक हो सकता है, हालांकि इसका उपयोग जीडीपी डेटा को मापने के लिए नहीं किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि जीएसटी डेटा यह बताने में सक्षम है कि कौन सी इकाइयां लेनदेन नहीं कर रही हैं. यह आपको लॉकडाउन के बाद मिली छूट में अर्थव्यवस्था कैसे काम कर रही है, उस दर का आकलन करने में मदद करेगा.


यह भी पढ़ें: जवाहरलाल नेहरू से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या सीखना चाह सकते हैं


हाउस-लिस्टिंग जनगणना पर कोई ‘स्पष्टता’ नहीं

सेन ने कहा कि हाउस-लिस्टिंग जनगणना, एक दशक में होने वाली जनगणना करने के लिए पहला कदम है, जो कि अप्रैल में शुरू होकर सितंबर तक चलने वाला था.

उन्होंने कहा, ‘जल्द से जल्द ये जुलाई में शुरू किया जा सकता है. इसमें 3-4 महीने का समय लगेगा. फिर डेटा को जनगणना के संचालन के लिए एन्यूमरेशन ब्लॉकों को तराशने के लिए उपयोग करने की आवश्यकता है. उसमें भी 3-4 महीने लगेंगे. उसके बाद ही जनगणना की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है. लेकिन अब तक कोई स्पष्टता नहीं है कि हाउस-लिस्टिंग चरण कब शुरू हो सकता है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments