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गुरूवार, 29 मई, 2025
होमदेशवाजिद अली शाह पर मेरी ‘दास्तान’ का उद्देश्य औपनिवेशिक अफसानों को चुनौती देना है: साहित्यकार हिमांशु बाजपेयी

वाजिद अली शाह पर मेरी ‘दास्तान’ का उद्देश्य औपनिवेशिक अफसानों को चुनौती देना है: साहित्यकार हिमांशु बाजपेयी

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लखनऊ, 21 अगस्त (भाषा) लखनऊ के साहित्यकार हिमांशु बाजपेयी अवध के ग्यारहवें एवं अंतिम नवाब वाजिद अली शाह पर एक ‘दास्तान’ (कहानी) पेश करने वाले हैं, जिसके बारे में उनका कहना है कि इसका उद्देश्य औपनिवेशिक अफसानों को चुनौती देना है।

दास्तानगो (कहानीकार) का कहना है कि ‘दास्तान-ए-जान-ए-आलम’ के माध्यम से उनका प्रयास नवाब के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को सभी के सामने रखना है, जिनकी कहानी वर्षों से अलग-अलग विवेचनाओं का विषय रही है।

बाजपेयी को साहित्य अकादमी सम्मान से नवाजा जा चुका है। इतना ही नहीं, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘मन की बात’ में प्रशंसा कर चुके हैं। उन्होंने कहानी को वर्षों के अध्ययन और व्यक्तिगत समर्पण का परिणाम बताया।

वह 24 अगस्त को ‘दास्तान’ पेश करेंगे। इससे पहले बाजपेयी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि शुरुआत से ही उनके भीतर वाजिद अली शाह के बारे में जानने की ललक थी।

उन्होंने कहा, ‘‘बचपन से ही, मैं वाजिद अली शाह के बारे में कहानियों को बड़े गौर से पढ़ता था। तभी समझ आ गया था कि वह एक दिलचस्प इंसान थे, जिनकी कहानियां पुराने लखनऊ के ताने-बाने में गहराई से समाहित थीं।’’

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने अवध के विलय को सही ठहराने के लिए वाजिद अली शाह के बारे ‘‘नकारात्मक चीजों को पेश किया’’, जबकि लखनऊ में इस बारे में एक अलग कहानी कही जाती है।

भाषा खारी प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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