बेंगलुरु: एक मां जोर-जोर से रो रही है, वहीं उसकी छोटी बेटी खाली नजरों से दूर कहीं देख रही है, मानो अब रोते-रोते थक गई हो. महिला का बड़ा बेटा फोन पर चिल्ला रहा है कि उसका छोटा भाई, जो किशोर था, अब इस दुनिया में नहीं रहा. “रास्ता बता दो, मैं वहीं आ जाऊंगी,” मां विलाप कर रही है.
एक बुजुर्ग जोड़ा कुछ समय पहले बेहोश हो गया था, जिन्हें पास के अस्पताल ले जाया गया। रोती हुई मां से कुछ कदम दूर एक और परिवार अपने परिजनों की मौत पर रो रहा है.
यह सीन तब दखने को मिला जब करीब 30-40 लोग सरकारी बोरिंग अस्पताल के मुर्दाघर के गेट के अंदर इंतजार कर रहे थे. ये ज्यादातर लोग एक-दूसरे को नहीं जानते, लेकिन एक जैसी पीड़ा ने उन्हें जोड़ दिया है. ये सभी बुधवार को चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भगदड़ में मारे गए लोगों के परिजन या दोस्त हैं.
11 मृतकों में से 6 के शव बोरिंग अस्पताल में रखे गए हैं, जबकि बाकी 5 के शव पास के एक अन्य अस्पताल में हैं. सभी पीड़ितों की उम्र 33 साल से कम है, जिनमें सबसे छोटा सिर्फ 13 साल का था.
यह दिन शहर के लिए जीत का दिन माना जा रहा था, क्योंकि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में पहली बार जीत की तैयारी चल रही थी. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था—भगदड़ में 11 लोगों की जान चली गई, जो शहर की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक बन गई.
‘मैंने सोचा था कि यह एक मज़ाक है’
कई लोग घंटों से इंतजार कर रहे हैं, जबकि कुछ पुलिस से अंदर जाने की गुहार लगा रहे हैं. ज्यादातर लोग फोन पर लगातार अपनों को बता रहे हैं कि क्या हुआ.
इन्हीं में एक पीड़िता के कुछ दोस्त भी हैं. वह एक युवा प्रोफेशनल थी, जो अपने दोस्तों की सलाह के बावजूद ऑफिस से जल्दी निकलकर परेड देखने गई थी. जब दोस्तों को उससे कोई जवाब नहीं मिला, तो एक दोस्त ने बार-बार फोन किया. करीब दो घंटे बाद किसी ने फोन उठाया — लेकिन वह उसकी दोस्त नहीं, एक पुलिसवाला था.
“मैंने सोचा मजाक कर रहे हैं,” वह दोस्त बाकी लोगों से कहता है, लेकिन फिर समझ आता है कि यह भयावह सच है. अब वे सभी उसके माता-पिता का इंतजार कर रहे हैं, जो कोयंबटूर में रहते हैं. उन्हें अभी तक यह दुखद खबर नहीं मिली है.
“अगर मुझे पता होता, तो मैं उसे जरूर रोकता,” एक दोस्त कहता है. वहीं दूसरा कहता है कि यह उसका फैसला था.
इनमें से कई लोग अभी भी इस भयानक घटना को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं और हकीकत से जूझ रहे हैं.
कुछ लोग थोड़े भाग्यशाली रहे. आरसीबी फैन हर्ष कहते हैं, “मैं मंड्या (करीब 100 किलोमीटर दूर) से जीत का जश्न मनाने आ रहा था, लेकिन रास्ते में ही स्थिति के बारे में पता चला.”
वह और उनके एक रिश्तेदार अपने चचेरे भाई के लिए इंतजार कर रहे हैं, जिसे एक्स-रे के लिए ले जाया गया है. उनके भाई की लिगामेंट फट गई है.
‘लोगों को सारडीन की तरह ठूंस दिया गया था’
जब परिवार अपने प्रियजनों के नुकसान का शोक मना रहे थे, विपक्षी पार्टियों ने कीमती जानों के नुकसान के लिए सिद्धारमैया सरकार पर निशाना साधा.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और विपक्ष के उपनेता अरविंद बेल्लाड ने ‘एक्स’ पर एक तस्वीर पोस्ट की. तस्वीर में एक ओर आरसीबी की टीम ओपन-टॉप बस में IPL ट्रॉफी का जश्न मना रही है, वहीं सामने ढंके हुए शव रखे हुए हैं.
पुलिस के अनुसार, लोग किसी भी गेट से अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे क्योंकि “इनवाइट ओनली” एंट्री को लेकर भ्रम था. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “लोगों को सर्दीन मछलियों की तरह भर दिए गए थे.”
आधिकारिक कार्यक्रम के अनुसार, आरसीबी टीम को दोपहर 1:30 बजे बेंगलुरु के एचएएल एयरपोर्ट पर पहुंचना था और फिर उन्हें मुख्यमंत्री और राज्य सरकार द्वारा सम्मानित करने के लिए विधान सौधा ले जाया जाना था।
इसके बाद 5 बजे एक ओपन-टॉप बस में विधान सौधा से चिन्नास्वामी स्टेडियम तक विजय जुलूस निकालने की योजना थी, जो करीब 1 किमी की दूरी है. लेकिन पुलिस ने इस दिन की भारी ट्रैफिक को देखते हुए जुलूस की अनुमति नहीं दी.
चूंकि जुलूस रद्द हो गया, टीम को देखने का एकमात्र रास्ता स्टेडियम के अंदर जाना रह गया. फिर यह तय हुआ कि टीम चिन्नास्वामी स्टेडियम जाएगी और जश्न वहीं मनाया जाएगा.
लेकिन इस बात को लेकर भ्रम था कि किसे अंदर जाने दिया जाएगा. कहीं कहा गया कि यह “इनवाइट ओनली” है और कहीं टिकट काउंटर से टिकट मिलने की बात कही गई.
इस बीच, हजारों लोग अपने पसंदीदा खिलाड़ियों की झलक पाने के लिए पहले ही विधान सौधा के बाहर जमा हो चुके थे. उतनी ही भीड़ स्टेडियम के पास भी जमा थी.
कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (केएससीए) ने अपने सभी सदस्यों को एक नोटिफिकेशन भेजा जिसमें कहा गया कि एंट्री “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर होगी. इसमें यह भी जोड़ा गया कि गेट 3 बजे खुलेंगे और प्रशंसकों से कहा गया कि सीट जल्द से जल्द ले लें. केएससीए के सचिव ए. शंकर को कॉल किया गया लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया.
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भीड़ दोपहर 2 बजे से इंतजार कर रही थी और 5:20 बजे तक गेट नहीं खुले, जिससे भीड़ और बढ़ गई. एक समय ऐसा आया जब सुरक्षा कर्मियों ने गेट नंबर 7 को आंशिक रूप से खोला ताकि लोग धीरे-धीरे अंदर जा सकें, लेकिन इससे लोग छोटे से रास्ते में तेजी से घुसने लगे और भगदड़ मच गई. जो बैरिकेड्स भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए थे, वे गिर गए और लोग उन पर चढ़ने लगे, जिससे नीचे फंसे लोग कुचले गए, एक और चश्मदीद ने बताया.
यह स्थिति केवल एक गेट पर नहीं थी. गेट 18-19 के बाहर भी ऐसी ही घटनाएं हुईं.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, “गेट छोटे हैं. लोग गेट तोड़कर अंदर घुसे. भगदड़ मच गई.” उन्होंने बताया कि स्टेडियम की क्षमता 35,000 है लेकिन वहां 2-3 लाख लोग पहुंच गए.
भगदड़ के बाद भी लोग अंदर जाते रहे और स्टेडियम के अंदर जश्न चलता रहा जो 6:30 बजे तक चला. पटाखे फूटते रहे जबकि एंबुलेंस घायल लोगों को नजदीकी अस्पताल ले जा रही थीं. कई प्रशंसक स्टेडियम से बाहर निकलते समय खुश नजर आ रहे थे, जबकि उनके कुछ ही दूरी पर परिवार अपने प्रियजनों के शोक में डूबे हुए थे.
जब मां रो रही थी, तो उसका बड़ा बेटा भी बहुत दुखी था, बार-बार चीख रहा था. “उसे क्रिकेट से बहुत प्यार था. अब उसी क्रिकेट ने उसकी जान ले ली.”
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