नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित एक आश्रयगृह में अनेक लड़कियों के साथ कथित दुष्कर्म और यौन हिंसा के मामले में वकीलों की हड़ताल के चलते बृहस्पतिवार को अपना निर्णय एक महीने के लिए टाल दिया.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने फैसला 12 दिसंबर तक के लिए टाल दिया क्योंकि तिहाड़ जेल में बंद आरोपियों को दिल्ली की सभी जिला अदालतों में जारी वकीलों की हड़ताल के चलते अदालत परिसर नहीं लाया जा सका.
अदालत ने पूर्व में बलात्कार और यौन हिंसा के मामले में 20 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए थे.
मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के खिलाफ धारा 6 (गंभीर यौन हिंसा) सहित पोक्सो कानून के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोप दर्ज किए गए थे.
संबंधित अपराध के लिए न्यूनतम 10 साल की कैद और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है.
आरोपियों में ठाकुर के आश्रयगृह के कर्मचारी और बिहार समाज कल्याण विभाग के अधिकारी भी शामिल हैं.
मामला टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट के बाद प्रकाश में आया था.