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Wednesday, 20 November, 2024
होमदेशउंधेला के मुस्लिम निवासी बोले-नए सरपंच ने गांव में गरबा शुरू कराने की कसम खाई, इसीलिए भड़का विवाद

उंधेला के मुस्लिम निवासी बोले-नए सरपंच ने गांव में गरबा शुरू कराने की कसम खाई, इसीलिए भड़का विवाद

4 अक्टूबर को 10 लोगों को कथित तौर पर एक दिन पहले पथराव की घटना के सिलसिले में पीटा गया था. मुस्लिम ग्रामीणों का दावा है कि सारा विवाद तब शुरू हुआ जब सरपंच ने ‘गरबा’ के आयोजन का फैसला किया.

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खेड़ा: 25 वर्षीय सादिक 4 अक्टूबर को सो रहा था जब पुलिस ने उसके घर दस्तक दी. उसकी दादी महमूदा बीबी ने दिप्रिंट को बताया कि रात के 2:30 बज रहे थे जब 8-10 पुलिसकर्मी अंधेला गांव में उनके घर में घुसे और सादिक को उठा ले गए.

महमूदा बीबी ने बताया, ‘वह ऊपर कमरे में हमारे साथ सो रहा था. जब मैंने उन्हें यह बताने की कोशिश की कि मेरा पोता काम से लौटा है और थक गया है. उसकी कोई गलती नहीं है, लेकिन उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी. उन्होंने मुझे एक तरफ धकेल दिया और उसे खींचकर ले गए.’

सादिक उन 10 लोगों में शामिल है, जिन्हें 4 अक्टूबर को गुजरात के खेड़ा जिले के इस गांव में सार्वजनिक रूप से पीटा गया था. इन लोगों पर एक गरबा कार्यक्रम को बाधित करने का आरोप लगाते हुए खंभे से बांध दिया गया और फिर पुलिस ने बुरी तरह पीटा. इस घटना की व्यापक निंदा हुई थी.

पथराव को लेकर दर्ज कराई गई एक एफआईआर में नामित 43 लोगों में से कम से कम 13 को गिरफ्तार किया गया है. गुजरात के पुलिस महानिदेशक आशीष भाटिया ने मुस्लिम पुरुषों की पिटाई के मामले में जांच के आदेश दिए हैं.

Mehmooda Bibi, who's grandson is one of those arrested in connection with the stone pelting, cries | Praveen Jain | ThePrint
महमूदा बीबी का पोता पथराव के सिलसिले में गिरफ्तार है | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

बीबी कहती है कि उन्हें नहीं पता था कि उनके पोते को अगली सुबह चौक पर ले जाया गया.

वह अपने आंसू पोंछते हुए कहती है, ‘हमने वीडियो देखा जब यह मोबाइल पर आया और तब पता चला कि यह हमारा पोता है. हम लोग तब बहुत रोए-चिल्लाए थे.’

सार्वजनिक रूप से पिटाई की घटना के एक हफ्ते बाद भी गांव में हिंदू-मुसलमानों के बीच तनाव साफ नजर आ रहा है.

गांव की निवासी अंजुमन मलिक ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारे बच्चे बहुत डरे हुए हैं. हम भी डरे हुए हैं. पुलिस हमारे घरों में आती है तो महिलाएं डर जाती हैं. हम महिला पुलिस का तो सामना कर सकते हैं लेकिन पुरुषों से डर लगता हैं.’

गांव के मुसलमान पूरे विवाद के लिए गांव के सरपंच इंद्रवदन पटेल को जिम्मेदार ठहराते हैं. दिसंबर में सरपंच बनने के बाद ही पटेल ने गांव में चौक पर गरबा करने का संकल्प लिया था. इस हुसैनी चौक पर ही तुलजाभवानी मंदिर है.

ग्रामीणों ने दिप्रिंट को बताया कि चौक के पास एक मस्जिद भी है और पहले कभी भी इस जगह पर गरबा का आयोजन नहीं हुआ था.

पटेल की तरफ से 4 अक्टूबर को दायर कराई गई एक एफआईआर में कहा गया है, ‘जब मैं सरपंच बना था तो मैंने प्रतिज्ञा ली थी कि नवरात्रि के आठवें दिन गरबा खेलूंगा, और इसके के मुताबिक आठवें दिन (3 अक्टूबर को) गरबा खेला गया. (हमने) गरबा के बारे में स्थानीय लोगों को दो दिन पहले ही बता दिया था.’

मुस्लिम ग्रामीणों ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने गरबा कार्यक्रम के आयोजकों से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि चौक से कुछ ही दूरी पर स्थित मस्जिद में ईद की तैयारियों में कोई बाधा न पड़े.

कथित तौर पर इस अनुरोध पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, और इसके बाद ही हाथापाई की नौबत आई और फिर पथराव शुरू हो गया.

कुछ ग्रामीणों का दावा है कि सरपंच उस समय वहीं पर मौजूद थे जब पुलिसवाले मुस्लिम पुरुषों को सार्वजनिक तौर पर पीट रहे थे और उन्होंने इसे प्रोत्साहित भी किया.

दिप्रिंट ने जब पटेल से इसका कारण पूछा, तो वह बिना कुछ बोले ही चले गए.

इस बीच, पुलिस का कहना है कि उनकी तरफ से 8 और 9 अक्टूबर को होने वाले ईद-ए-मिलाद से पहले दोनों समुदायों के साथ बैठक की जा रही है.

यह झड़प ऐसे समय पर हुई है जबकि इस साल के अंत गुजरात विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं.

क्या हुआ था उस दिन

पुलिस का दावा है कि गांव में करीब 450 मुस्लिम घर और 800 हिंदू घर हैं.

ग्रामीणों का दावा है कि इससे पहले हिंदुओं और मुसलमानों के बीच संबंध हमेशा सौहार्दपूर्ण थे, हालांकि सांप्रदायिक विभाजन हमेशा स्पष्ट रूप से नजर आता था.

मलिक वारिस ने दिप्रिंट को बताया, ‘उनका अपना इलाका हैं और हम गांव के इस हिस्से में रहते हैं.’ वारिस के पिता भी उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें गिरफ्तारी के बाद बांधकर पीटा गया था.

पटेल ने अपनी प्राथमिकी में मुसलमानों पर उकसाने का आरोप लगाया है. पटेल ने एफआईआर में दावा किया है कि वे नहीं चाहते थे कि उनकी मस्जिद के पास गरबा खेला जाए.

A view of Undhela village in Gujarat's Kheda | ThePrint
गुजरात के खेड़ा में उंधेला गांव का एक दृश्य | दिप्रिंट

पटेल ने एफआईआर में कहा है, ‘बड़ी संख्या में मुस्लिम पुरुष मस्जिद के पास जमा हो गए और बहस करने लगे. (उन्होंने) गरबा बंद करने को कहा और यहां तक कि गरबा खेल रही महिलाओं को गाली भी दी और पथराव शुरू कर दिया.’

उधर, मुसलमान हिंदुओं की तरफ से पहले पथराव करने का आरोप लगाते हैं.

महजबीन बानो, जिनके ससुर जाकिर मियां और पति नजीर मियां हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार लोगों में शामिल थे, का दावा है कि 3 अक्टूबर को सरपंच पटेल ने गांव के बुजुर्ग और समुदाय के नेता जाकिर मियां से मिलकर यह सुनिश्चित करने को कहा था कि गरबा कार्यक्रम में कुछ गड़बड़ न हो.

परिवार तीन-चार पीढ़ियों से गांव में रह रहा है, लेकिन पहले कभी चौक पर गरबा होते नहीं देखा है.

महजबीन बानो ने कहा कि चूंकि ईद से ठीक पहले का समय था और धार्मिक कार्यक्रम चल रहा था, ‘मेरे ससुर ने लड़कों से कहा कि (हिंदुओं को) को गरबा खेलने दें.’

उनके मुताबिक, ‘(हमारी चिंता) बस यह थी कि उनमें से कुछ नशे में थे और गरबा में गुलाल फेंक रहे थे. (हमने उनसे कहा) कि हमारी मस्जिद को बचाकर खेलें.’ उनका दावा है कि तभी पथराव शुरू हो गया.

महजबीन का कहना है, ‘हमारे लड़के वापस लौटने लगे लेकिन उन्होंने (हिंदुओं ने) पथराव करना शुरू कर दिया. फिर दोनों तरफ से पथराव शुरू हो गया.’

जाकिर मियां को अगले दिन उस समय गिरफ्तार किया गया जब वह खेतों में काम कर रहे थे.

महजबीन को इस बात की काफी हैरानी है कि गिरफ्तारी के बाद उन्हें वापस गांव क्यों लाया गया.

वह कहती हैं, ‘सजा देने का काम अदालतों का है. पुलिस का काम है उन्हें पकड़ना. फिर उन्हें वापस क्यों लाया गया? इन लोगों को हमारे लड़कों को सार्वजनिक रूप से पीटने का अधिकार किसने दिया?’

‘सब कुछ पूर्व नियोजित’

सादिक के दादा हाजी अब्बास ने दिप्रिंट को बताया कि सरपंच उस समय आसपास ही मौजूद थे, जब पुलिसकर्मी उनके पोते को घसीटते हुए घर से ले गए.

ऊपर उद्धृत वारिस का मानना है कि हिंसा पूर्व नियोजित थी और इसके पीछे इरादा सांप्रदायिकता को भड़काना था.

मलिक ने कहा, ‘वे अपनी गलियों में गरबा खेलते थे. इस बार सांप्रदायिक तनाव फैलाना उनकी साजिश थी और इसलिए उन्होंने हमारी गली में आकर गरबा खेला. वे सात दिनों तक अपनी गली में गरबा खेले लेकिन फिर आठवें दिन हमारी गली में क्यों आए.’ साथ ही बताया कि उसके पिता उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें पुलिस ने पीटा था.

उसने नाराजगी के साथ कहा, ‘लोग उस समय नारे लगा रहे थे जब उन्हें पीटा जा रहा था. यह किस तरह का व्यवहार है.’

गांव के कई हिंदुओं ने इस घटना के बारे में दिप्रिंट से कोई बात करने से इनकार कर दिया. हालांकि, एक ने दिप्रिंट को बताया कि ‘यह शतरंज के खेल जैसा था.’

नाम जाहिर न करने की शर्त पर उन्होंने कहा, ‘हम अपनी बुद्धि का इस्तेमाल कर रहे हैं जबकि वे बल का इस्तेमाल कर रहे हैं. बाकी, आप जैसा चाहें वैसा समझ लें.’

गांव में दहशत का माहौल

खेड़ा के पुलिस अधीक्षक राजेश गढ़िया ने शनिवार को गांव का दौरा किया.

पुलिस उपाधीक्षक वी.आर. वाजपेयी ने कहा, ‘हमने ईद से पहले (हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के साथ) एक बैठक की.’ साथ ही जोड़ा कि पुलिस ने दंगा और हत्या के प्रयास सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.

इस मामले में मुस्लिम ‘पीड़ितों’ का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील गुलरेज ने गुजरात हाई कोर्ट के एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में स्वतंत्र जांच की मांग की है.

गुलरेज ने दिप्रिंट से कहा, ‘जांच पूरी तरह पक्षपातपूर्ण है.’

Anjuman, a villager, weeps as she talks about the incident | Praveen Jain | ThePrint
अंजुमन, घटना के बारे में बात करते हुए रो पड़ती हैं | प्रवीण जैन | दिप्रिंट

पूर्व में उद्धृत अंजुमन मलिक ने दिप्रिंट को बताया कि जहां तक ग्रामीणों की बात है तो कई लोग पहले ही गांव छोड़कर जा चुके हैं.

मलिक ने कहा, ‘वे हमें धमकियां दे रहे हैं. ये कानून कहां है. पिछले चार दिनों में कई परिवार चले गए हैं. पुलिस मुस्लिम युवकों को पकड़ रही है. कोई यहां क्यों रहना चाहेगा.’

लेकिन कुछ ऐसे लोग भी है जो यहीं रहने पर दृढ़ हैं. जरीना बानो ने कहा, ‘हमें गांव छोड़कर क्यों जाना चाहिए? सब कुछ यहीँ है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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