नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) एक मुस्लिम संगठन ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय का रुख कर 2020 की उसकी उस जनहित याचिका पर अंतिम सुनवाई किये जाने का अनुरोध किया है, जिसमें फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने और निजामुद्दीन स्थित मरकज में तबलीगी जमात के एक धार्मिक कार्यक्रम को कोविड-19 के प्रसार के कारण के रूप में चित्रित करके कथित रूप से ‘‘सांप्रदायिक नफरत फैलाने’’ के लिए मीडिया के एक वर्ग के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में उसकी याचिका पर तत्काल सुनवाई किये जाने का आग्रह किया है। उच्चतम न्यायालय ने इस याचिका पर मई 2020 में केन्द्र और भारतीय प्रेस परिषद समेत अन्य को नोटिस जारी किये थे।
वकील एजाज मकबूल के जरिए दायर की गई याचिका में कहा गया है, ‘‘यह निवेदन किया जाता है कि वर्तमान मामले का विशेष महत्व है, क्योंकि वर्तमान में पांच राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव हो रहे हैं। चुनाव अभियानों के दौरान नफरत फैलाने वाले भाषण का प्रसार देश में शांति और सद्भाव के लिए एक गंभीर खतरा है। आवेदक/याचिकाकर्ता विनम्रतापूर्वक कहना चाहते हैं कि अदालत को फर्जी समाचारों और नफरत फैलाने वाले भाषणों के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए विशिष्ट निर्देश देने की आवश्यकता है और मामले पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है।’’
इसमें कहा गया है कि जनहित याचिका को आखिरी बार पिछले साल दो सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था और तब से इस पर सुनवाई नहीं हुई है।
इसमें कहा गया है कि इस अदालत की वेबसाइट के अनुसार मामले को सूचीबद्ध करने की वर्तमान स्थिति नौ फरवरी है।
याचिका में फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने और निजामुद्दीन स्थित मरकज में तबलीगी जमात के एक धार्मिक कार्यक्रम को लेकर कथित रूप से ‘‘सांप्रदायिक नफरत फैलाने’’ के लिए मीडिया के एक वर्ग के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के वास्ते केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
इसमें सूचना और प्रसारण मंत्रालय को निजामुद्दीन मरकज मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने वाले मीडिया के वर्गों की पहचान करने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने पिछले वर्ष दो सितंबर को कहा था कि मीडिया के एक वर्ग में दिखायी जाने वाली खबरों में साम्प्रदायिकता का रंग होने से देश की छवि खराब हो रही है।
खबरों के अनुसार, 2020 में निजामुद्दीन में स्थित तबलीगी जमात के मुख्यालय में एक धार्मिक कार्यक्रम में 9,000 लोगों ने भाग लिया था और यह कार्यक्रम भारत में कोविड-19 के प्रसार एक प्रमुख कारण बन गया था क्योंकि इसमें शामिल होने वाले कई लोगों ने मिशनरी कार्यों के लिए देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की थी।
भाषा
देवेंद्र दिलीप
दिलीप
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