कोलकाता, 19 अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष शुभंकर सरकार ने शनिवार को मुर्शिदाबाद जिले के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और दावा किया कि दंगे ‘‘पूर्व नियोजित’’ थे और इसमें कोई स्थानीय मुस्लिम शामिल नहीं था।
शुभंकर सरकार के साथ मालदा दक्षिण सांसद ईशा खान चौधरी और कांग्रेस पर्यवेक्षक अंबा प्रसाद सहित पार्टी के अन्य वरिष्ठ सदस्य थे। कांग्रेस नेताओं के साथ शमशेरगंज पहुंचे शुभंकर सरकार ने पीड़ित परिवारों से बात की और मांग की कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उन्हें नौकरी प्रदान करें और उनके बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी लें।
शुभंकर सरकार ने कहा, ‘‘यहां (मुर्शिदाबाद में) हर समुदाय के लोग एकसाथ रहते हैं। स्थानीय मुसलमान दंगों में शामिल नहीं हैं। यह पूर्वनियोजित हिंसा है। कुछ लोग दोहरी राजनीति के कारण बंगाल में हिंसा फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘मुख्यमंत्री को पीड़ितों के परिवारों को नौकरी देनी चाहिए और उनके बच्चों की शिक्षा का ध्यान रखना चाहिए। 10 लाख रुपये का मुआवज़ा कब तक चलेगा?’’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ विरोध प्रदर्शन से संबंधित हिंसा में मारे गए तीन लोगों के परिवार के सदस्यों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की थी।
कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाया होता तो ऐसी हिंसा को टाला जा सकता था। उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूछ रहा हूं कि आग किसने लगाई? क्या वह भाजपा थी? फिर उन्हें माचिस किसने दी? अगर राज्य प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया होता तो शायद ऐसी घटना नहीं होती।’’
प्रभावित परिवारों की मांग पर कि इलाके में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की स्थायी चौकियां स्थापित की जाएं, सरकार ने कहा कि कांग्रेस नेता उनका पूरा समर्थन करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रभावित लोग कोई भी मांग कर सकते हैं। हमारा कर्तव्य है कि हम उनके साथ रहें और यह सभी राजनीतिक दलों का कर्तव्य होना चाहिए। हमारी पार्टी के नेता और समर्थक उनके साथ हैं। हम हिंदू और मुसलमानों के साथ हैं।’’
मुर्शिदाबाद जिले के शमशेरगंज, सुती, धुलियान और जंगीपुर के मुस्लिम बहुल इलाकों में हाल ही में हुई झड़पों के दौरान तीन लोगों की मौत हो गई।
हिंसा के बाद, कई लोग अपने घरों को छोड़कर चले गए और पड़ोसी मालदा जिले में स्थापित राहत शिविरों में शरण ली।
यह हिंसा केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधनों के खिलाफ व्यापक विरोध के बीच हुई।
भाषा अमित माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.