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गुरूवार, 15 मई, 2025
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मुर्शिदाबाद हिंसा : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पुलिस की कार्रवाई से संबंधित याचिका लौटाई

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कोलकाता, 15 मई (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को वह याचिका वापस कर दी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सांप्रदायिक हिंसा में मारे गये पिता-पुत्र के परिजनों को पुलिस परेशान कर रही है।

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में इस साल अप्रैल में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में पिता-पुत्र की मौत हो गयी थी।

न्यायमूर्ति सौमेन सेन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह याचिका इस आधार पर लौटा दी कि पुलिस की निष्क्रियता और अतिसक्रियता से संबंधित मसलों पर सुनवाई के लिए (अलग से) एक नामित पीठ है।

उच्च न्यायालय की एक एकल पीठ ने इससे पहले भी याचिका लौटायी थी, क्योंकि एक खंडपीठ पहले से ही मुर्शिदाबाद में घटनाओं से जुड़े मसलों पर सुनवाई कर रही थी और वर्तमान याचिकाकर्ता जिले में हिंसा के कथित पीड़ित हैं।

इस मामले को सुनवाई के लिए एक नयी पीठ को सुपुर्द करने के लिए उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को वापस भेज दिया जाएगा।

बिधाननगर पुलिस आयुक्तालय की कथित कार्रवाई से परेशान होकर सास-बहू ने उच्च न्यायालय की शरण ली थी। अप्रैल में सांप्रदायिक दंगे में मारे गये दोनों (पिता-पुत्र) की पहचान हरगोबिंद दास और चंदन के तौर पर की गयी थी।

वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध के दौरान 12 अप्रैल को मुर्शिदाबाद जिले के समसेरगंज में दंगाइयों ने दास और उनके बेटे चंदन की कथित तौर पर गला काटकर हत्या कर दी थी।

न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की एकल पीठ के समक्ष यह कहा गया कि पीड़ित के परिवार के सदस्य साल्ट लेक आए थे और उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर करने के उद्देश्य से वहां एक घर में रह रहे थे।

उनके वकील ने अदालत के समक्ष कहा था कि घर का दरवाजा टूट गया था, और पीड़ित परिवार के सदस्यों को बिधाननगर पुलिस ने अपशब्द कहे ।

भाषा रंजन रंजन सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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