गुरुग्राम: मुरारी लाल तायल भूपिंदर सिंह हुड्डा के पहले कार्यकाल के दौरान हरियाणा की नौकरशाही में एक प्रमुख चेहरा रहे, जब वे मुख्यमंत्री थे और तायल उनके प्रमुख सचिव के तौर पर कार्यरत थे.
1976 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी तायल की शुरुआती नियुक्तियां राज्य के विभिन्न विभागों और जिलों में रहीं, जहां उन्होंने दक्षता और अनुकूलन क्षमता के लिए ख्याति अर्जित की.
जटिल प्रशासनिक चुनौतियों को संभालने और प्रभावशाली राजनीतिक हस्तियों के साथ तालमेल बैठाने की उनकी क्षमता ने उन्हें राज्य की नौकरशाही में तेजी से ऊपर चढ़ने का रास्ता दिया.
लेकिन अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और हरियाणा के सबसे शक्तिशाली नौकरशाहों में से एक मुरारी लाल तायल के खिलाफ अपनी जांच तेज कर दी है. अपने शानदार करियर के अंत में तायल अब मुश्किल में हैं. ईडी ने चंडीगढ़, नई दिल्ली और गुरुग्राम में स्थित दो घरों और सात फ्लैटों सहित नौ अचल संपत्तियां और 14.06 करोड़ रुपये की बैंक बैलेंस को अनंतिम रूप से अटैच कर लिया है.
एजेंसी ने 7 जुलाई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए इसकी घोषणा की, जिसमें इन संपत्तियों को मनी लॉन्ड्रिंग जांच से जोड़ा गया है, जो मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत चल रही है. यह जांच तायल के खिलाफ उन पर लगे “अवैध रूप से अर्जित संपत्ति” के आरोपों से जुड़ी है.
ईडी की एक्स पोस्ट में कहा गया, “ईडी, चंडीगढ़ ने 30/06/2025 को PMLA, 2002 के तहत मुरारी लाल तायल (सेवानिवृत्त आईएएस) और अन्य के खिलाफ चल रही जांच के सिलसिले में नौ अचल संपत्तियों—चंडीगढ़, नई दिल्ली और गुरुग्राम में स्थित दो मकानों और सात अपार्टमेंट्स—और लगभग 14.06 करोड़ रुपये की बैंक राशि को अनंतिम रूप से अटैच किया है. यह जांच उस समय के मुख्यमंत्री हरियाणा के प्रमुख सचिव और प्रतिस्पर्धा आयोग के सदस्य के रूप में कार्यरत रहते हुए अर्जित अनुपातहीन संपत्ति से जुड़ी है.”
ED, Chandigarh has provisionally attached assets in the form of nine immovable properties including two houses and seven apartments located in Chandigarh, New Delhi & Gurgaon, and bank balances of Rs. 14.06 Crore (approx.) on 30/06/2025 under the PMLA, 2002 in connection with…
— ED (@dir_ed) July 7, 2025
दिप्रिंट ने तायल से संपर्क करने के लिए उनके मोबाइल पर कॉल, एसएमएस और व्हाट्सएप संदेश भेजे. जैसे ही उनकी प्रतिक्रिया मिलेगी, यह रिपोर्ट अपडेट की जाएगी.
हुड्डा सरकार में एक प्रमुख चेहरा
भूपिंदर सिंह हुड्डा के पहले कार्यकाल (6 मार्च 2005 से 31 अक्टूबर 2009) के दौरान मुरारी लाल तायल हरियाणा के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव रहे. इस भूमिका में वे राज्य प्रशासन के केंद्र में थे और हरियाणा के सबसे ताकतवर अफसरों में गिने जाते थे.
इस दौरान तायल का प्रभाव बेजोड़ था. सूत्रों ने उनके अधिकार को प्रशासनिक हलकों में लगभग पूर्ण बताया. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “तायल की तूती बोलती थी,” जो उनके प्रभुत्व को दर्शाता है.
अक्टूबर 2009 में रिटायर होने के बाद यूपीए सरकार ने उन्हें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) का सदस्य नियुक्त किया, जहां उन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.
एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि CCI में रहते हुए भी तायल ने हुड्डा के दूसरे कार्यकाल (2009–2014) के दौरान हरियाणा के प्रशासनिक हलकों में अपना प्रभाव बनाए रखा। इस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बात की.
ईडी की जांच और संपत्ति जब्ती
हुड्डा शासन के दौरान मानेसर लैंड डील घोटाले की सीबीआई जांच के चलते, सीबीआई ने 2017 में तायल, उनकी पत्नी सविता, बेटे कार्तिक, बेटी मालविका और उनकी फर्म कपैक फार्मा लिमिटेड के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत एक अलग एफआईआर दर्ज की.
एफआईआर में आरोप लगाया गया कि 1 जनवरी 2006 से 31 दिसंबर 2014 के बीच तायल के परिवार ने 10 करोड़ रुपये की अनुपातहीन संपत्ति अर्जित की. सीबीआई ने यह आंकड़ा 8 फरवरी 2024 को पंचकूला की एक विशेष अदालत में दायर आरोपपत्र में संशोधित कर 14.06 करोड़ रुपये बताया.
आरोपपत्र में कहा गया है कि यह संपत्ति तायल परिवार की वैध आय से 81.11% अधिक है.
ईडी ने सीबीआई की एफआईआर के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत समानांतर जांच शुरू की.
30 जून 2025 को, ईडी के चंडीगढ़ जोनल कार्यालय ने मुरारी लाल तायल, उनकी पत्नी सविता तायल और बेटे कार्तिक तायल की वित्तीय लेन-देन, आयकर रिकार्ड और शेयर बाजार लेन-देन की जांच के बाद 14.06 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की. इस बात की जानकारी ईडी ने 7 जुलाई को एक्स पर पोस्ट के जरिए दी.
मानेसर लैंड स्कैम से कनेक्शन
तायल की मुश्किलें मानेसर भूमि घोटाले से गहराई से जुड़ी हैं. यह एक बहु-करोड़ का घोटाला है जिसमें गुरुग्राम के मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला गांवों में 2004 से 2007 के बीच हुई कथित अनियमित भूमि अधिग्रहण की जांच की जा रही है. सीबीआई की पहली एफआईआर 12 अगस्त 2015 को हुई थी जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों, जिनमें तायल भी शामिल हैं, की भूमिका की जांच की गई थी. इन पर आरोप है कि हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं आधारभूत संरचना विकास निगम (HSIIDC) द्वारा अधिग्रहित की गई भूमि को छोड़ने में इनकी भूमिका थी, जिससे किसानों को 1,500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और इसका लाभ बिल्डरों व अधिकारियों को हुआ.
मानेसर जांच से मिले सबूतों के आधार पर सीबीआई की 2017 की अलग एफआईआर ही ईडी के मनी लॉन्ड्रिंग केस की नींव बनी.
उनकी पत्नी सविता तायल, जो 2012 में रिटायर हुईं, पंचकूला के एक सरकारी कॉलेज में प्रिंसिपल थीं. हुड्डा सरकार ने उन्हें हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) का सदस्य नियुक्त किया था, जहां उन्होंने जून 2016 तक सेवा दी.
उनके बेटे कार्तिक तायल, जो लॉ ग्रेजुएट हैं, गुरुग्राम में भूमि सौदों के ब्रोकर के रूप में कार्यरत रहे, जिससे यह परिवार रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़ता है जो मानेसर केस का केंद्रीय विषय है.
तायल की बेटी मालविका तायल का नाम भी सीबीआई की 2017 की एफआईआर में अनुपातहीन संपत्ति मामले में दर्ज है, हालांकि उनके पेशे या भूमिका का विशेष उल्लेख उपलब्ध नहीं है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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