मुंबई/नई दिल्ली: 12 अक्टूबर, 2024 को रात 9:28 बजे, बांद्रा ईस्ट वायरलेस पर एक खौफनाक संदेश आया.
“तीन गोलियां चली हैं… ओवर एंड आउट…”
ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारी ने सूचना दी, “बाबा सिद्दीकी को गोली मारी गई है… उन्हें अस्पताल ले जाया गया है, गोलियां उनके सीने में लगी हैं.”
इस अलर्ट ने न केवल कंट्रोल रूम में खलबली मचा दी, बल्कि इलाके के पुलिसकर्मियों के बीच 1990 के दशक की अराजक यादें ताजा कर दीं—जब मुंबई हिंसा का अड्डा बन गई थी. उस दौर में हत्या, सुपारी किलिंग और खुलेआम वसूली शहर की रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गई थीं.
इससे पहले, इसी इलाके से ऐसी अफरातफरी वाली पीसीआर कॉल तीन दशक पहले की गई थी. 1994 में, भारतीय जनता पार्टी के मुंबई ईकाई प्रमुख रामदास नायक को एके-47 से बेरहमी से गोली मारी गई थी, जब वह अपनी एंबेसडर कार में बैठ रहे थे. यह हमला बाबा सिद्दीकी के घर से महज 700 मीटर की दूरी पर हुआ था. बाद में इस हत्या को छोटा शकील और उसके गिरोह से जोड़ा गया.
इस बार, जब बांद्रा में गोलियों की गूंज सुनाई दी और तीन गोलियां बाबा सिद्दीकी के सीने में लगीं, तो एक सिहरन भरा सवाल खड़ा हो गया: क्या अंडरवर्ल्ड की वापसी हो रही है?
यह जल्दी ही साफ हो गया कि यह घटना मुंबई के पुराने अंडरवर्ल्ड से नहीं जुड़ी थी, बल्कि एक नए तरह के अपराधी गिरोह की दस्तक थी. इस घटना में एक कुख्यात बाहरी व्यक्ति का नाम उभरकर आया, जो अब मुंबई के पुराने संगठित अपराध सिंडिकेट्स की जगह लेने की कोशिश कर रहा है. वह अपने 700 से ज्यादा साथियों के नेटवर्क का विस्तार कर रहा है: जिसका नाम है लॉरेंस बिश्नोई.
मुंबई का अंडरवर्ल्ड पिछले दो दशकों से शांत है. इसका कारण सख्त कानून, पुलिस की सक्रियता, बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां और मुठभेड़ें हैं. मुंबई पुलिस ने बहुत पहले, उत्तर प्रदेश से भी पहले, भारत में ‘ठोक दो’ की नीति शुरू की थी.
लॉरेंस बिश्नोई—जो नाम उन्होंने स्कूल के समय अपनाया—ने अपने अपराधी सफर की शुरुआत पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ में छात्र राजनीति से की थी. कई सालों तक उनका प्रभाव केवल पंजाब तक सीमित था, लेकिन धीरे-धीरे यह राजस्थान और हरियाणा तक फैल गया. पिछले दो सालों में उनकी पहचान तेजी से बढ़ी, खासकर 2022 में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या में कथित भूमिका के बाद.
उनका नाम अंतरराष्ट्रीय चर्चा में तब आया जब कनाडा ने भारत सरकार पर उनके गिरोह का उपयोग गुप्त अभियानों के लिए करने का आरोप लगाया. आज, बिश्नोई का नेटवर्क, जिसे वह कथित तौर पर गुजरात की साबरमती जेल से चला रहे हैं, मुंबई के ताकतवर तबके—राजनेताओं, रियल एस्टेट कारोबारियों और बॉलीवुड—के बीच खौफ का कारण बन गया है.
उनकी गतिविधियों को लेकर चिंता तब बढ़ी जब 14 अप्रैल को सलमान खान के घर के बाहर चेतावनी भरी गोलियां चलाई गईं. ये गोलियां उनके घर की बालकनी से टकराईं.
इसके बाद बाबा सिद्दीकी की हत्या, जो कथित तौर पर लॉरेंस बिश्नोई के गैंग द्वारा की गई, ने इस डर और आशंकाओं को और गहरा कर दिया.
मुंबई पुलिस के सूत्रों का कहना है कि लॉरेंस बिश्नोई का शहर में प्रभाव अभी शुरुआती चरण में है और फिलहाल वह कोई बड़ा खतरा नहीं है. हालांकि, वे यह मानते हैं कि इन घटनाओं को लोगों में डर पैदा करने और बॉलीवुड पर दबदबा बनाने के उद्देश्य से अंजाम दिया गया है, जैसा कि इस गैंग ने पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री में करने की कोशिश की है.
बिश्नोई की महत्वाकांक्षा उसे अपराध जगत में “नंबर वन नाम” बनने की ओर प्रेरित करती है. यह बात उसने दिल्ली पुलिस के एक जांचकर्ता से पूछताछ के दौरान खुद कही थी.
एक सूत्र ने बताया, “अगर बिश्नोई जैसे व्यक्ति किसी ऐसे स्टार को निशाना बनाते हैं, जिसकी करोड़ों की फैन फॉलोइंग हो, जैसे सलमान खान, तो उसके सारे प्रशंसक बिश्नोई का नाम जान जाएंगे. यही वह चाहता है—शोहरत, नाम, गैंग की पहचान और पैसा. यही कारण है कि उसने मुंबई को चुना.”
सूत्र ने कहा,“यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि वह कोई बड़ा खतरा है या उसकी तुलना मुंबई के पुराने अंडरवर्ल्ड से की जा सकती है. लेकिन जो हुआ है, उसे नजरअंदाज करना भी सही नहीं होगा. यह किसी बड़ी चीज की शुरुआत हो सकती है. हमें इसे बढ़ने से पहले ही रोकना होगा, वरना मुंबई एक बार फिर उन अंधकारमय दिनों में लौट सकती है जब अंडरवर्ल्ड का दबदबा था.”
आज के दौर में किसी गैंगस्टर का प्रभाव पुराने अंडरवर्ल्ड के मुकाबले कहीं तेज़ी से बढ़ सकता है. तकनीक और डिजिटल मीडिया का सहारा लेकर वे तेजी से प्रसिद्धि और दबदबा हासिल कर लेते हैं, और यह उनके अपराधी नेटवर्क के लिए एक बड़ा फायदा बनता है.
दिप्रिंट से बात करते हुए मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर डी. शिवनंदन ने कहा कि मीडिया ने अंडरवर्ल्ड को उसके चरम पर महिमामंडित करने और इस प्रकार उसे मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है.
उन्होंने यह भी बताया कि कैसे अंडरवर्ल्ड का वर्चस्व धीरे-धीरे शुरू हुआ और दशकों में अपने चरम पर पहुंचा.
“जहां भी पैसा होता है, संगठित अपराध वहां पानी की तरह बहता है. मुंबई, जहां 92 अरबपति रहते हैं, स्वाभाविक रूप से माफिया को आकर्षित करती है. यह सब एक सामान्य तरीके से शुरू हुआ था और 40 साल में अपने चरम पर पहुंचा. जो हम अभी देख रहे हैं, वह कुछ ऐसा ही शुरू हो सकता है. इसलिए इसे तुरंत रोकना जरूरी है,” उन्होंने कहा.
सूत्रों के अनुसार, मुंबई में संगठित अपराध ने ऐतिहासिक रूप से एक निश्चित पैटर्न का पालन किया है, जिसमें 1,000 से अधिक लोग और कई गैंग शामिल थे, जिनके ऑपरेटिव देशभर से आते थे.
जो रणनीति अब बिश्नोई अपना रहा है, वह छोटा शकील की भर्ती मॉडल से मिलती-जुलती है. इसमें वह गरीब परिवारों से जुड़े दर्जी और कबाड़ी जैसे लोगों को कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के लिए नियुक्त करता है.
उसकी बढ़ती लोकप्रियता इस रणनीति को और बढ़ावा दे रही है, जो एक ऐसा विकास है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
“अंडरवर्ल्ड के खत्म होने के बाद एक खाली जगह बन गई थी. बाबा की हत्या के बाद फिल्म इंडस्ट्री में घबराहट और प्रतिक्रियाएं हुईं. यह धमकियों के जरिए मुंबई को काबू में करने की कोशिश हो सकती है, क्योंकि मुंबई देश की वित्तीय राजधानी है,” एक सूत्र ने बताया.
वहीं, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह अंडरवर्ल्ड में जगह भरने की कोशिश नहीं, बल्कि केवल प्रचार पाने का तरीका है.”
‘चेतावनी की घंटी, संकेतक’
बिश्नोई गैंग ने फेसबुक पोस्ट के जरिए बाबा सिद्धीकी की हत्या की जिम्मेदारी ली. उन्होंने आरोप लगाया कि सिद्धीकी दाऊद इब्राहीम और सलमान खान के करीब थे. गैंग ने यह भी कहा कि हमला उनके साथी अनुज थपान की मौत का बदला लेने के लिए था—वह गैंग सदस्य और सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग में शामिल एक शूटर था, जो पुलिस हिरासत में कथित तौर पर आत्महत्या कर बैठा.
पोस्ट में लिखा था, “ओम जय श्री राम, जय भारत. सलमान खान, हम यह झगड़ा नहीं चाहते थे, लेकिन तुमने हमारे भाई अनुज थपान को नुकसान पहुंचाया. आज जो लोग बाबा सिद्धीकी की तारीफ कर रहे हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि वह कभी दाऊद से जुड़े थे और MCOCA (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट, 1999) के तहत उनका नाम था. इस मौत की वजह अनुज थपान और दाऊद, बॉलीवुड, राजनीति और संपत्ति के सौदों के बीच के कनेक्शन को उजागर करना था. हमारी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है, लेकिन जो भी सलमान खान और दाऊद गैंग की मदद करेगा, वह सावधान रहे. अगर किसी ने हमारे भाई को नुकसान पहुंचाया, तो हम जरूर जवाब देंगे. हम कभी पहले हमला नहीं करते. जय श्री राम, जय भारत. शहीदों को सलाम.”
इस पोस्ट ने जांच में एक नया आयाम जोड़ा. पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह सालों में पहली बार था जब ऐसी हत्या ने मुंबई को हिलाकर रख दिया. हालांकि, इस बार यह सामान्य अंडरवर्ल्ड के खिलाड़ी नहीं थे, बल्कि एक नया गैंग था जो शहर पर अपनी पकड़ जमाने की कोशिश कर रहा था.
दो प्रमुख घटनाओं—सलमान खान के आवास के बाहर फायरिंग और बाबा सिद्धीकी की हत्या—में जो चिंता का विषय था, वह यह था कि पुलिस के पास कोई पूर्व सूचना नहीं थी और वे यह नहीं जान पाए कि हमले को किसने अंजाम दिया.
बाबा सिद्धीकी हत्या मामले में मुख्य आरोपी शुभम लोंकर पुणे, महाराष्ट्र का रहने वाला है, जबकि मोहम्मद ज़ीशान अख्तर पंजाब के नकोदर का रहने वाला है. मामले में कुल 26 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें मुख्य शूटर शिव कुमार गौतम भी शामिल हैं, जो यूपी का रहने वाला है लेकिन पुणे में एक स्क्रैप शॉप में काम करता था.
सलमान खान मामले में गिरफ्तार होने वाले दो आरोपियों—विक्की गुप्ता और सागर पाल—का संबंध बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के मझरिया गांव से है, और दोनों को फर्स्ट टाइम शूटर माने जा रहे हैं. थपान, जिसने बाद में कथित तौर पर जेल में आत्महत्या की, पंजाब का था.
“पूरी योजना मुंबई के बाहर बनाई गई थी और इसे ऐसे व्यक्तियों द्वारा अंजाम दिया गया था जो शहर से नहीं थे. अपराध से जुड़े कोई स्थानीय संबंध नहीं थे, कोई खुफिया जानकारी नहीं थी कि क्या योजना बनाई जा रही थी, जबकि शूटर मुंबई में 20 दिन से ज्यादा रहे और रेकी की. यह निश्चित रूप से मुंबई के लिए एक चेतावनी है,” एक वरिष्ठ मुंबई पुलिस अधिकारी ने कहा.
सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि पुलिस को अब यह चिंता है कि बिश्नोई गैंग पुराने डी कंपनी नेटवर्क के अवशेषों का इस्तेमाल अपने विस्तार के लिए कर सकता है. जबकि इस नेटवर्क का अधिकांश हिस्सा विघटित हो चुका है, कुछ सदस्य निर्माण व्यवसाय में सक्रिय हैं, जबकि अन्य नशे की तस्करी में शामिल हैं.
इस खतरे से निपटने के लिए मुंबई पुलिस इन तत्वों पर बारीकी से नजर रख रही है और पंजाब, राजस्थान, हरियाणा और विशेष रूप से दिल्ली की पुलिस के साथ सहयोग कर रही है, क्योंकि बिश्नोई के अधिकतर ओवरग्राउंड ऑपरेटिव्स इन क्षेत्रों से हैं, सूत्रों का कहना है.
पुलिस एक करीबी निगरानी रख रही है कि गैंग में नए भर्ती होने वाले लोग कौन हो सकते हैं, विशेष रूप से वे लोग जो मुंबई में छोटे गैंग्स के साथ काम कर रहे हैं और “क्राइम वर्ल्ड में बड़ा नाम बनाने की ख्वाहिश रखते हैं”, जैसा कि एक सूत्र ने बताया. यह उन्हें बिश्नोई के गैंग द्वारा भर्ती किए जाने के लिए एक आकर्षक लक्ष्य बनाता है.
सूत्रों का कहना है कि यह खास तौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि मुंबई पर नियंत्रण पाने के लिए आपको एक स्थानीय आधार की आवश्यकता होती है.
“मुंबई पर कब्ज़ा करने के लिए आपको एक अंदरूनी व्यक्ति की जरूरत होगी. जैसे चेंबूर में छोटा राजन था और दक्षिण बॉम्बे में दाऊद और पठान थे. जब बाहरी लोगों की भर्ती की गई, तब भी मुंबई के अंदर के लोग उन्हें संभाल रहे थे. इसलिए, अगर बिश्नोई मुंबई में अपना आधार बनाना चाहता है, तो उसे स्थानीय गुर्गों की जरूरत होगी,” एक सूत्र ने बताया. उस ने आगे कहा, “और इसीलिए उसने बाबा के मामले में मुख्य आरोपी शुभम लोनकर को चुना, क्योंकि वह मराठी है.”
हालांकि, सूत्रों के अनुसार, फिलहाल ऐसी कोई भर्ती नहीं हो रही है.
“इस वक्त, जमीन पर कोई नई भर्ती की खबर नहीं आई है. बिश्नोई का तरीका आमतौर पर गरीब परिवारों के लोगों को निशाना बनाता है, जो पैसे की तंगी में होते हैं और अपराध की दुनिया में नए होते हैं. इन युवाओं के लिए थोड़ी ताकत और कुछ पैसे मिलना उन्हें इस दुनिया में खींच लाता है,” सूत्र ने बताया.
दूसरे सूत्र ने कहा कि बिश्नोई मुंबई में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहा हो सकता है, लेकिन उसके पास यहां काम करने के लिए जरूरी संसाधन नहीं हैं. उन्होंने कहा कि मुंबई में अंडरवर्ल्ड को अपने प्रभाव बनाने में सालों का समय लगा था, जबकि बिश्नोई अभी उससे बहुत दूर है.
“यहां एक मजबूत आधार बनाना आसान नहीं था. अंडरवर्ल्ड के डॉन पंडालों में पैसे देते थे, सिस्टम में कनेक्शन बनाते थे और नेताओं और पुलिस से मदद लेते थे. इसी तरह से उन्होंने अपना प्रभाव बनाया. फिर उन्होंने उगाही (पैसा वसूलना) शुरू की, जिससे उनका प्रभाव बढ़ा. एक बाहरी व्यक्ति के लिए, जैसे बिश्नोई, जिसके पास यहां कोई संसाधन नहीं हैं, अंडरवर्ल्ड के खाली स्थान को भरने का विचार बहुत दूर की बात है,” सूत्र ने कहा.
सूत्रों के मुताबिक, बिश्नोई के मुंबई में फैलने का एक और संकेत सलमान खान और बाबा सिद्धीकी की हत्या के बाद पैसा वसूलने की कॉल्स में बढ़ोतरी हो सकता है.
“इन हाई-प्रोफाइल घटनाओं के बाद, हमने उम्मीद की थी कि गैंग इस स्थिति का फायदा उठाते हुए पैसे वसूलने की कॉल्स में अचानक वृद्धि करेगा. लेकिन ऐसा अब तक नहीं हुआ है। हम इस पर कड़ी नजर रख रहे हैं,” सूत्र ने कहा.
हालांकि, सूत्र ने यह भी तुरंत जोड़ा: “इसका मतलब यह नहीं कि यह कुछ बड़े की शुरुआत नहीं हो सकती. हम इसका इनकार नहीं कर रहे हैं. अभी भी गतिविधियों के संकेत हैं और हम इन्हें मॉनिटर कर रहे हैं.”
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भय, जबरन वसूली, कमजोरियों का फायदा उठाना
मुंबई पुलिस के सूत्रों के अनुसार लॉरेंस के भाई अनमोल बिश्नोई ने 19 अप्रैल को अभिनेता सलमान खान के घर के बाहर गोलीबारी करने से कुछ घंटे पहले नौ मिनट के भाषण में दो शूटरों से कहा, “क्या आप सिगरेट पीते हो? जब आप सलमान के घर पर गोलीबारी करें, तो एक सिगरेट जलाना, उसे एक हाथ में पकड़ना और दूसरे हाथ से गोली चलाना…पूरे आत्मविश्वास और स्टाइल के साथ – किसी कायर की तरह नहीं जो अपना चेहरा हेलमेट से ढंक लेता है. यह इतिहास बनने वाला है, अपनी योग्यता साबित करने का समय है. अगली सुबह अखबार आपके नाम से भरे होंगे…भगवान राम ने हमें आशीर्वाद दिया है और कृष्ण हमारे साथ हैं.”
सूत्रों के अनुसार, यह दिखाता है कि कैसे गिरोह इतनी बेधड़कता से काम करता है, जिससे फिल्म इंडस्ट्री में डर फैलता है—खासकर उन लोगों में जिन्होंने 1990 के दशक में अंडरवर्ल्ड का दबदबा देखा और जो इसके सीधे निशाने पर थे. इस स्थिति को और खराब किया है एक के बाद एक ‘जबरन वसूली’ के कॉल्स ने, जिन्हें पुलिस ने झूठा बताया है, लेकिन फिर भी इन कॉल्स ने घबराहट फैलायी और बिश्नोई गिरोह के प्रभाव को और मजबूत किया.
सलमान खान के घर के बाहर गोलीबारी के महीनों बाद, अक्टूबर में मुंबई ट्रैफिक पुलिस के व्हाट्सएप नंबर पर एक धमकी भरा संदेश भेजा गया था. संदेश भेजने वाले ने सलमान खान से 5 करोड़ रुपये की मांग की, यह कहते हुए कि अगर उन्हें “जिंदा रहना है और लॉरेंस बिश्नोई से दुश्मनी खत्म करनी है, तो उन्हें पैसे देना होंगे.”
संदेश में यह भी कहा गया कि अगर पैसे नहीं दिए गए तो बाबा सिद्धीकी से भी बुरा हाल होगा. हालांकि, मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच ने यह निष्कर्ष निकाला कि यह धमकी एक धोखाधड़ी थी.
इसी तरह, नवंबर में शाहरुख खान को 50 लाख रुपये की मांग करते हुए एक धमकी कॉल आई थी, जो बांद्रा पुलिस स्टेशन को की गई थी. कॉल रायपुर से ट्रेस हुई, जिसके बाद फैज़ान खान, एक वकील, से पूछताछ की गई. फैज़ान खान ने पहले शाहरुख के खिलाफ 1994 की फिल्म ‘अंजाम’ में हिरण शिकार के संदर्भ को लेकर शिकायत की थी—जो बिश्नोई समुदाय के लिए एक संवेदनशील मुद्दा था.
ये कॉल्स पहले के अंडरवर्ल्ड जबरन वसूली मामलों की तरह संगठित नहीं हैं, और एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह घटनाएं असली धमकी से ज्यादा परेशानी का कारण बन रही हैं.”
हालांकि, एक बॉलीवुड फिल्म निर्माता जिन्होंने 1990 के दशक में अंडरवर्ल्ड से धमकियां झेली थीं, ने कहा, “चाहे यह धोखाधड़ी हो या नहीं, इन घटनाओं ने निश्चित रूप से घबराहट पैदा की है. जिन्होंने ऐसी धमकियों का सामना किया है, वे स्थिति की गंभीरता को समझते हैं. हम सिर्फ यह उम्मीद करते हैं कि पुलिस तैयार रहे.”
एक फिल्म निर्माता ने 1990 के दशक में जबरन वसूली कॉल्स के बारे में याद करते हुए कहा कि यह एक “वायरस” की तरह था. उन्होंने कहा कि हालांकि समय बदल चुका है, बड़े सितारे अब उतने आसानी से उपलब्ध नहीं होते, और अधिकांश लोग यह समझते हैं कि गैंग्स अब इस तरह से काम नहीं करते, फिर भी डर बना रहता है क्योंकि सार्वजनिक हस्तियां हमेशा जोखिम में रहती हैं.
एक अन्य उद्योग पेशेवर ने इस डर की बात को दोहराया, “भले ही ये प्रैंक कॉल्स हों, डर लोगों को पैसे देने के लिए मजबूर कर सकता है, जैसा कि पहले हुआ था,” उन्होंने कहा.
मुंबई पुलिस के सूत्रों ने इस संभावना को स्वीकार किया कि कुछ लोगों ने बिना अधिकारियों को जानकारी दिए जबरन वसूली के पैसे दिए होंगे, हालांकि ऐसी कोई आधिकारिक रिपोर्ट नहीं आई है. एक सूत्र ने कहा, “इतने करोड़पति लोगों वाले शहर में यह संभव है कि डर के कारण कुछ लोगों ने चुपचाप पैसे दिए हों. जबकि यह कम संभावना है, लेकिन इसे पूरी तरह से नकारा भी नहीं किया जा सकता. यह एक समस्या है जिसे सावधानी से संभालने की जरूरत है.”
‘स्टार छवि’ वाला ‘हिंदुत्व से जुड़ा’ गैंगस्टर
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के सूत्रों के अनुसार, बिश्नोई गैंग में शामिल होने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो 1980 के दशक में दाऊद इब्राहीम के गैंग की वृद्धि की याद दिलाती है. बिश्नोई गैंग की संख्या पहले ही 700 के करीब आ चुकी है, और इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है, खासकर युवाओं के बीच, जो अक्सर बिश्नोई की तस्वीर वाली टी-शर्ट पहनते हैं और उनके नाम को अपनी बांहों पर टैटू के रूप में बनवाते हैं.
सूत्रों के अनुसार, बिश्नोई गैंग के 700 ऑपरेटिव्स में से 300 से ज्यादा लोग पंजाब से हैं, जो बिश्नोई का गृह राज्य है, और लगभग 200 हरियाणा से हैं, जहां वह नरेश सेठी और राजू बसोदी के साथ काम करता है. करीब 100 लोग राजस्थान से हैं, जहां वह संपत नेहरा और रोहित गोदारा के साथ मिलकर काम करता है, और बाकी लोग दिल्ली से हैं, जहां वह हाशिम बाबा के साथ जुड़ा है. बिहार में वह अमन साहू के साथ काम करता है और मध्य प्रदेश में महाकाल गैंग के बचे हुए लोगों के साथ.
सूत्रों के अनुसार, इन युवाओं को बिश्नोई की “स्टार छवि” प्रेरित करती है. उनका तरीका, जिसमें वह हिंदू धार्मिक उपदेशों का इस्तेमाल करते हैं, भी एक अहम कारण है. वह अक्सर हिंदू शास्त्रों से हवाला देते हैं और खुद को “भगवदप्रेरित” बताते हुए अपने अनुयायियों को यह महसूस कराते हैं कि वे किसी बड़े उद्देश्य का हिस्सा हैं. दाऊद इब्राहीम भी इसी तरीके से काम करता था, लेकिन वह “बहुत पेशेवर” और “धर्मनिरपेक्ष” था.
हालांकि, बिश्नोई गैंग को पहले “हिंदुत्व-समर्थित” गैंग के रूप में देखा जा रहा है, जबकि अंडरवर्ल्ड परंपरागत रूप से मुस्लिम-डोमिनेटिंग था. हिंदू डॉन जैसे छोटा राजन, अरुण गवली और रवि पुजारी मुस्लिम गैंग्स्टरों के खिलाफ खड़े थे, लेकिन वे किसी खास विचारधारा से प्रेरित नहीं थे.
बिश्नोई गैंग के सदस्य भगवद गीता के उपदेशों से प्रभावित हैं, जो कृष्ण के उपदेशों पर आधारित होते हैं, जिसमें एक सही उद्देश्य के लिए युद्ध को सही ठहराया गया है. इस धार्मिक प्रतीकवाद और अपराध का मिश्रण गैंग को एक अलग पहचान देता है और इसके अनुयायी बढ़ते जा रहे हैं.
गैंग को एक बड़ी चुनौती यह बनाता है कि वह बिना किसी डर के काम कर रहा है और बिश्नोई कथित तौर पर साबरमती जेल से अपनी पूरी गैंग का ऑपरेशन चला रहा है, मोबाइल फोन और वीपीएन कनेक्शन के जरिए अपने नेटवर्क से संपर्क में रहता है.
एक सूत्र ने बताया कि उसे जेल के अंदर मदद मिल रही है.
सूत्र ने कहा कि बिश्नोई के पास इंटरनेट का एक्सेस है, जिसका वह अवैध तरीके से कॉल करने के लिए इस्तेमाल करता है. इसके अलावा, उसे जेल कर्मचारियों से भी मदद मिल रही है.
“उसके पास फोन है और इंटरनेट का इस्तेमाल करके वह वीडियो कॉल्स के जरिए अपने लोगों से संपर्क करता है,” सूत्र ने कहा.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अगस्त में बिश्नोई की मूवमेंट पर पाबंदियों की अवधि अगस्त 2025 तक बढ़ा दी है, जिसका मतलब है कि अब उसकी पूछताछ सिर्फ जेल के भीतर ही की जा सकती है.
सूत्र ने कहा, “वह विभिन्न राज्यों में अपने ऑपरेटिव्स से लगातार संपर्क में रहता है, जेल से ही आपराधिक गतिविधियों को दिशा देता है. उसे अपराध करने या लोकप्रियता हासिल करने के लिए बाहर होने की ज़रूरत नहीं है—उसका नेटवर्क यह सुनिश्चित करता है.”
मुंबई का उभरता अपराध परिदृश्य
मुंबई पुलिस के अब रिटायर हो चुके एसीपी ने याद करते हुए कहा, “1990 के दशक में हम दफ्तर में बैठते थे, और अगर दोपहर तक कोई गोलीबारी नहीं होती थी, तो हम राहत की सांस लेते थे, सोचते थे, ‘भगवान का शुक्र है, आज गोलीबारी नहीं हुई.”
उन्होंने आगे कहा, “हर शाम, हम अपने जॉइंट कमिश्नर को एक्सटॉर्शन कॉल्स (अंतरराष्ट्रीय नंबरों से) को अपडेट देते थे, और अगर कोई कॉल नहीं होती थी, तो उसे एक अच्छा दिन माना जाता था.”
उन्होंने हंसते हुए कहा,”लेकिन चीजें पूरी तरह बदल गईं जब अंडरवर्ल्ड को तोड़ा गया और अब बाजार में एक नया गैंग लीडर है—बिश्नोई, जो मुंबई में कुछ नया करने की कोशिश कर रहा है.”
मुंबई के अपराध इतिहास पर बात करते हुए, उन्होंने कहा कि 1960 के दशक में केवल छोटे गैंग्स जैसे कोबरा गैंग और गोल्डन गैंग मौजूद थे, जो शराब और जुआ जैसे अपराधों में शामिल थे. ये गैंग अक्सर ‘रॉबिन हुड’ के रूप में काम करते थे, जिसमें बाब्या खोपड़े और मन्या सुरवे जैसे लोग कुख्यात हो गए थे. इसके बाद, 1960 से लेकर 1980 के दशक के शुरुआत तक, अपराधी जैसे हाजी मस्तान, यूसुफ पटेल और करीम लाला ने तस्करी, सोने, इलेक्ट्रॉनिक्स और फैब्रिक्स जैसे टेरीकोट और टेरीलिन की तस्करी शुरू की, जो बहुत लाभकारी व्यवसाय बन गए थे.
“उन्हें आखिरकार सुरक्षा की जरूरत पड़ी, जिससे हिटमैन का उदय हुआ. यह वही समय था जब दाऊद इब्राहीम का प्रवेश हुआ, जिन्होंने शुरू में तस्करी के माल को परिवहन में मदद की. कॉम्पिटिशन तब बढ़ा जब पठान गैंग ने दाऊद के भाई शबीर इब्राहीम कसकर को प्रभादेवी पेट्रोल पंप पर मार डाला, जिससे अंडरवर्ल्ड में प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिश की. इस हत्या ने मुंबई में गैंग युद्धों की शुरुआत की. इसके बाद, डी-कंपनी ने अपनी ताकत बढ़ाई और पठान गैंग को पूरी तरह से नष्ट कर दिया,” रिटायर एसीपी ने समझाया.
उन्होंने आगे कहा कि 1993 के बाद ही बॉलीवुड को धमकियां मिलने लगीं; जो 2016 तक जारी रही. 2014 में, रवि पुजारी, जो पहले छोटा राजन के तहत काम करता था लेकिन बाद में अलग हो गया, ने रेड चिलीज़ को धमकी दी थी जब वे फिल्म ‘हैप्पी न्यू ईयर’ की शूटिंग कर रहे थे.
“हालांकि गोलीबारी और हत्याएं रुक गईं, लेकिन एक्सटॉर्शन कॉल्स, भले ही बहुत कम संख्या में थीं, 2016 तक जारी रहीं. रवि और हेमंत पुजारी इस क्षेत्र में सक्रिय थे,” उन्होंने कहा, और जोड़ा, “लेकिन तब से, इस तरह के कॉल बहुत कम या बिल्कुल नहीं रिपोर्ट किए गए हैं.”
उन्होंने कहा कि हालांकि छोटे अपराधियों से स्थानीय गैंग्स द्वारा छोटे व्यापारियों और दुकानदारों को धमकियां दी जाती हैं, लेकिन दुबई या अंतरराष्ट्रीय नंबरों से जो धमकी कॉल्स मुंबई में एक खतरे के रूप में उभरी थीं, अब वे रिपोर्ट नहीं की जातीं.
मुंबई पुलिस के डेटा के अनुसार, 2015 में एक्सटॉर्शन कॉल्स की संख्या 253 थी, जो 2017 में घटकर 195 और 2024 में 182 हो गई. 2017 के बाद से, अंतरराष्ट्रीय नंबरों से कोई एक्सटॉर्शन कॉल्स रिपोर्ट नहीं किए गए हैं, स्रोत ने बताया.
“वह कॉल्स अब रुक गई हैं. अंडरवर्ल्ड से कोई भी कॉल रिपोर्ट नहीं हुई है. जो भी डेटा है, वह मुंबई के विभिन्न हिस्सों में छोटे अपराधियों से आ रहा है,” सूत्र ने कहा.
इसी तरह, कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के मामले भी बहुत घट गए हैं, और डकैती की घटनाएं भी काफी कम हो गई हैं. 2015 में डकैती के 46 मामले थे, जो 2021 में घटकर 16 और 2024 में 15 हो गए.
छोटे जेबकतरों के अलावा, अब प्रमुख अपराध निर्माण अनुबंधों और स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (SRA) परियोजनाओं के आसपास घूमते हैं, साथ ही ड्रग कार्टेल्स भी मुंबई से संचालित हो रहे हैं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अब अधिकांश अपराध कंप्यूटर स्क्रीन के पीछे हो रहे हैं, जहाँ पकड़ने का खतरा काफी कम है और इसमें कम संसाधनों की आवश्यकता होती है.
“लोग साइबर धोखाधड़ी की ओर बढ़ गए हैं, जो पैसे कमाने के लिए आसान और सुरक्षित है. जबकि अपराध जैसे हत्या और लूट अब तक के सबसे कम स्तर पर हैं, आर्थिक और साइबर अपराध अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं,” अधिकारी ने कहा.
अपराध, चाहे वह एक्सटॉर्शन हो या बिल्डरों या ठेकेदारों पर किसी परियोजना को छोड़ने का दबाव डालना, अक्सर SRA परियोजनाओं के इर्द-गिर्द घूमते हैं. इन परियोजनाओं का उद्देश्य झुग्गियों का पुनर्विकास करना और किफायती आवास प्रदान करना है, जो आमतौर पर प्रमुख रियल एस्टेट क्षेत्रों में स्थित होते हैं—जो बिल्डरों, रियल एस्टेट डेवलपर्स, राजनीतिज्ञों और अपराध सिंडिकेट्स के लिए बेहद आकर्षक होते हैं, क्योंकि इसमें बड़ा मुनाफा होता है.
मुंबई पुलिस के एक तीसरे सूत्र ने समझाया, “इस योजना के तहत, जो बिल्डर झुग्गियों का पुनर्विकास कर रहा होता है और इस भूमि पर घर बना रहा होता है, वह अतिरिक्त यूनिट्स को बाजार दरों पर बेचने का अधिकार रखता है. उन्हें भारी मुनाफा होता है क्योंकि यह भूमि बहुत प्रमुख होती है. यही कारण है कि बिल्डरों और डेवलपर्स के बीच इन परियोजनाओं को सुरक्षित करने को लेकर कॉम्पिटिशन होते हैं.”
“हमने ऐसे कॉम्पिटिशन के मामलों का सामना किया है जहां बिल्डरों को इन परियोजनाओं को छोड़ने की धमकी दी जाती है,” सूत्र ने जोड़ा.
यह, दरअसल, बाबा सिद्धीकी की हत्या के पीछे एक कारण होने का संदेह था. सूत्र के अनुसार, पुलिस ने इसे एक “कॉन्ट्रैक्ट किलिंग” मानने की संभावना पर विचार किया था, क्योंकि सिद्धीकी बांद्रा में कुछ SRA परियोजनाओं के खिलाफ मुखर थे और रियल एस्टेट में शामिल थे.
“यह एक कॉन्ट्रैक्ट किलिंग होने का संदेह था, संभवत: उस क्षेत्र के एक रियल एस्टेट डेवलपर द्वारा किया गया था जो इन परियोजनाओं में शामिल था. लेकिन बाद में, लॉरेंस बिश्नोई गैंग के लिंक सामने आए,” सूत्र ने कहा, बिना और विवरण दिए.
“इसे ज्यादा बढ़ाओ और समस्या को खत्म कर दो”
अंडरवर्ल्ड को खत्म करना और उसे कमजोर करना एक बहुत बड़ा काम था, जो कई सालों तक राजनीतिकों, पुलिस और सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से चला. अब जब बिश्नोई अंडरवर्ल्ड की खाली जगह भरने की कोशिश कर रहा है, तो सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी यह कहते हैं कि इस समस्या को जल्दी हल करना जरूरी है.
मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त शिवानंदन ने कहा, “गैंगस्टर हमेशा नए मौके तलाशते हैं. पुलिस को पहले ही संकेत मिलते ही समस्या को खत्म करना चाहिए. इससे पहले कि यह बढ़े, इसे खत्म कर देना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “50 साल तक गैंगस्टर राज कर रहे थे. बिश्नोई ने अपनी पहचान बनाई है, और इसे रोकना जरूरी है. इन लोगों को पब्लिसिटी मत दो, क्योंकि यही उनकी ताकत होती है.”
शिवानंदन ने बताया कि अंडरवर्ल्ड को खत्म करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए थे, जैसे कड़े कानून लागू करना, हथियारों को जब्त करना और गिरफ्तारियां करना.
“हमने उनके ईमेल हैक किए, उनके संचार को तोड़ा और जरूरी जानकारी जुटाई. कड़े कानून, जैसे MCOCA, और 16,000 से ज्यादा गिरफ्तारियों और 26,000 अवैध हथियारों की जब्ती से अंडरवर्ल्ड को खत्म किया,” उन्होंने कहा.
एक अधिकारी ने कहा कि पुलिस मुठभेड़ों ने अंडरवर्ल्ड के खत्म होने में मदद की, लेकिन कुछ का मानना था कि इससे गैंगस्टर और भी प्रसिद्ध हो गए.
“मुठभेड़ों को ज्यादा पब्लिसिटी मिलती थी, जिससे पुलिसकर्मी नायक बन जाते थे. इससे गैंगस्टर भी प्रसिद्ध हो जाते थे. यह दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद था,” दूसरे अधिकारी ने कहा.
हालांकि, बिश्नोई के प्रभाव को लेकर अलग-अलग राय है, लेकिन अधिकारियों को चिंता है कि इस मुद्दे को जल्द ही निपटाना जरूरी है, खासकर जब उसके बारे में ज्यादा चर्चा हो रही हो.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह कैंसर की वापसी जैसा है, और इसे फैलने से पहले पहचान कर खत्म करना चाहिए.”
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