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Friday, 1 November, 2024
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साल 2022 में ‘अंडर-कंस्ट्रक्शन’ लुक से उबर सकती है मुंबई, अधिकारियों ने बना रखी है एक योजना

शहर में मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक और भूमिगत कोलाबा-बांद्रा-सीपज मेट्रो जैसी प्रमुख परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं. कोविड के कारण निर्माण कार्यों पर पड़े असर के कारण मुंबई जगह-जगह कंक्रीट और लोहे के जंगल में तब्दील नजर आती है.

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मुंबई: पिछले करीब आधे दशक से करोड़ों की लागत वाली कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर निर्माण कार्य जारी होने के कारण मुंबई एकदम भूलभुलैया जैसी बनी हुई है, जो परियोजनाएं शहर में यातायात संकट को घटाने के वादे के साथ शुरू हुई थीं.

हालांकि, ये सुनिश्चित करने के लिए कि नए साल में यह महानगर निर्माण कार्यों की वजह से कम से कम अव्यवस्थित दिखे, सरकारी अधिकारी कुछ परियोजनाओं में तेजी लाने की कोशिशों में जुटे हैं.

इनमें से अधिकांश निर्माणाधीन परियोजना पर अमल की जिम्मेदारी संभाल रही मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) ने कोविड-19 महामारी के कारण देरी से प्रभावित विभिन्न परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए एक ‘एक्सीलरेशन प्लान’ तैयार किया है.

मुंबई के भीड़भाड़ इलाकों में निर्माणाधीन प्रमुख परियोजनाओं में सेवरी को न्हावा शेवा से जोड़ने वाली मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक (एमटीएचएल), भूमि फिर हासिल करके मरीन ड्राइव से वर्ली तक तटीय सड़क का निर्माण, भूमिगत कोलाबा-बांद्रा-सीपज मेट्रो और नौ अन्य मेट्रो लाइन—अंडरग्राउंड और एलीवेटेड दोनों—शामिल हैं.

2020 और 2021 के दौरान कोविड की दो लहरों ने श्रमिकों की कमी, सप्लाई-चेन से जुड़े मुद्दों और इन परियोजनाओं के विभिन्न कंपोनेंट के लिए महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ कोऑर्डिनेशन में देरी आदि की वजह से इन सभी कार्यों पर खासा प्रतिकूल असर डाला है.

नतीजा यह हुआ है कि शहर कई जगहों पर एकदम कंक्रीट और लोहे का जंगल जैसा नजर आ रहा है. जगह-जगह बैरिकेड्स लगाकर यातायात के लिए मुख्य सड़कों को संकरा कर दिया गया है, अनगिनत इमारतें बांस-बल्लियों से ढकी नजर आ रही हैं, और बड़ी क्रेनें और निर्माण मजदूरों को सड़कों पर इधर-उधर आते-जाते देखा जा सकता है.

एमएमआरडीए के मेट्रोपॉलिटन कमिश्नर एस.वी.आर. श्रीनिवास ने दिप्रिंट से कहा, ‘इनमें कई परियोजनाओं में हर दिन के यातायात के बीच काम करने की व्यवस्था करने, रास्ते पर कानूनी अधिकार हासिल करने, कार डिपो पर विवाद जैसे मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है. ये सभी परियोजनाएं पिछले 4-5 वर्षों से निर्माणाधीन हैं. इससे लोगों को बहुत कुछ झेलना पड़ रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘उम्मीद है कि 2022 वह साल होगा जब उन्हें ऐसी समस्याओं के निजात मिल सकती है.’

क्या है योजनाओं में ‘तेजी लाने की योजना’

नए साल की शुरुआत के साथ ही एमएमआरडीए को पश्चिमी उपनगरों में दो एलिवेटेड मेट्रो लाइनों के चालू होने की उम्मीद है—इनमें एक दहिसर पूर्व से अंधेरी पूर्व तक पश्चिमी एक्सप्रेस राजमार्ग के साथ लगी 16.5 किलोमीटर लंबी लाइन है और दूसरी है अंधेरी पश्चिम में दहिसर से डीएन नगर तक 18.5 किलोमीटर लंबी लाइन.

दो एलिवेटेड मेट्रो कॉरिडोर का निर्माण 2016 में शुरू हुआ था और इन परियोजनाओं की मूल समयसीमा देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली पिछली राज्य सरकार ने 2019 तय की थी.

एमएमआरडीए अंततः मई 2021 के आसपास लाइनों को चालू करने की उम्मीद कर रहा था. लेकिन महामारी और रास्ते पर कानूनी अधिकार के मुद्दों के कारण उत्पन्न चुनौतियों ने परियोजनाओं को पटरी से उतार दिया.

दो मेट्रो लाइनों और 22-किमी सेवरी-न्हावा एमटीएचएल, जिसका निर्माण एमएमआरडीए के जिम्मे है, के लिए प्राधिकरण ने एक ‘एक्सीलरेशन प्लान’ बनाया है जिसमें क्रमिक तौर पर निर्माण कार्यों के बजाये कई शिफ्ट में और कई मोर्चों पर एक साथ काम करना शामिल है.

श्रीनिवास ने बताया कि वे इसे ‘कैच-अप प्लान’ कहते हैं.

उन्होंने कहा, ‘हमने ठेकेदारों को एक समय में अधिक श्रमिक लगाने और चौबीसों घंटे निर्माण कार्य जारी रखने को कहा है. ठेकेदार एक साथ कई निर्माणाधीन स्थलों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हम एक काम पूरा करके फिर दूसरा शुरू करने का इंतजार करने के बजाये जहां भी संभव है इन परियोजनाओं के विभिन्न घटकों पर एक साथ काम कर रहे हैं.’

उन्होंने बताया, ‘एमटीएचएल पर हमारे श्रमिक समुद्र में तीन शिफ्ट में काम कर रहे हैं, जहां 24/7 काम जारी है. 2021 के शुरू में एमटीएचएल की समय सीमा 2024 के अंत तक होने का अनुमान लगाया गया था. अब हम इसे 2023 के अंत तक पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं.’

देश का सबसे लंबा सी-लिंक बताया जाने वाला एमटीएचएल मुंबई से निर्माणाधीन नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए मुख्य कनेक्टर होगा, और इससे नवी मुंबई में वाणिज्यिक और आवासीय विकास को बढ़ावा मिलने की भी उम्मीद है.

नवी मुंबई एयरपोर्ट में कॉमर्शियल ऑपरेशन दिसंबर 2024 में शुरू होने के आसार हैं. निजी और सार्वजनिक भागीदारी वाली योजना कार्यान्वित कर रहे शहरी और औद्योगिक विकास निगम (सिडको) ने एयरपोर्ट विकसित करने से जुड़े शुरुआती कार्य जैसे पहाड़ियों का काटना और जलस्रोतों की दिशा मोड़ना आदि 2021 में ही पूरे कर लिए हैं.

परियोजना के निजी भागीदार अडानी समूह ने अगस्त में नवी मुंबई एयरपोर्ट पर अपने हिस्से का काम शुरू कर दिया था.

2021 में एमएमआरडीए ने वर्ली से एमटीएचएल (सेवरी में) के लिए एक कनेक्टर पर भी काम शुरू किया, जो बांद्रा-वर्ली सी लिंक के माध्यम से पश्चिमी उपनगरों के लिए ट्रांस-हार्बर लिंक को जोड़ेगा, और दक्षिण मुंबई को तटीय मार्ग के माध्यम से जोड़ेगा. वर्ली वह जगह है जहां तटीय मार्ग और सी लिंक मिलते हैं.

श्रीनिवास के मुताबिक, 2022 में एमएमआरडीए 23.64 किलोमीटर लंबी डीएन नगर-मंडले लाइन, 15 किलोमीटर लंबी स्वामी समर्थ नगर-विक्रोली लाइन और 32 किलोमीटर की वडाला-कासरवादावली लाइन जैसी निर्माणाधीन कुछ अन्य मेट्रो लाइनों पर भी काम में तेजी लाएगा.

पहली पूर्ण भूमिगत मेट्रो का काम अधर में अटका

2021 में 33.5 किलोमीटर लंबे कोलाबा-बांद्रा-सीपज मेट्रो के निर्माण कार्य ने गति पकड़ी.

परियोजना के कार्यान्वयन से जुड़े प्राधिकरण मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एमएमआरसी) के प्रबंध निदेशक (एमडी) रंजीत सिंह देओल ने दिप्रिंट को बताया कि 2017 में शुरू हुई इस परियोजना पर 70 फीसदी सिविल कार्य पूरा हो गया है, जिसमें भूमिगत सुरंगों की खुदाई का काम 97 फीसदी पूरा हो चुका है.

कफ परेड, विधान भवन, चर्चगेट, हुतात्मा चौक, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, मुंबई सेंट्रल, सिद्धिविनायक, मुंबई एयरपोर्ट के टर्मिनल-2, मरोल, एमआईडीसी, सीपज आदि 11 स्टेशनों पर काम 85 प्रतिशत तक पूरा हो जाने की बात कही जा रही है.

10 और स्टेशनों—महालक्ष्मी, साइंस म्यूजियम, वर्ली, दादर, धारावी, बीकेसी, विद्यानगरी, सांताक्रूज, मुंबई एयरपोर्ट के टर्मिनल-1 और सहार रोड का निर्माण 75 प्रतिशत हो चुका है.

पांच अन्य स्टेशनों- गिरगांव, कालबादेवी, ग्रांट रोड, शीतलादेवी, आचार्य अत्रे चौक पर काम 50 प्रतिशत पूरा होने के करीब है.

देओल ने कहा, ‘उल्लेखनीय बात यह है कि दो ट्रैक तैयार हैं, एक तैयारी की प्रक्रिया में है और 15 प्रतिशत से अधिक पटरियां पहले ही बिछाई जा चुकी हैं, जिसका मतलब है कि काम प्रगति पर चल रहा है.’

हालांकि इस परियोजना पर आगे का काम अधर में लटका हुआ है क्योंकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार ने फैसला किया है कि वह प्रस्तावित कार डिपो को पूर्व में निर्धारित जगह पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील आरे मिल्क कॉलोनी से हटाना चाहती है.

मेट्रो परियोजना के लिए कार डिपो के स्थान को लेकर दो पूर्व सहयोगियों— एमवीए सरकार का नेतृत्व कर रही ठाकरे की पार्टी शिवसेना और राज्य में विपक्षी दल और केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा—के बीच तनातनी जारी है.

ठाकरे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने कार डिपो को कांजुरमार्ग में एक भूखंड में स्थानांतरित करने का फैसला किया था, लेकिन केंद्र ने जमीन के स्वामित्व का दावा करते हुए इस कदम पर रोक लगा दी. मामला पिछले साल दिसंबर से बॉम्बे हाईकोर्ट में पहुंचा था और अभी विचाराधीन है.

तटीय मार्ग—दावेदारी का मामला सुलझा, मछुआरों का विरोध बड़ी चुनौती

मरीन ड्राइव से वर्ली तक तटीय मार्ग का निर्माण ऐसी बुनियादी ढांचा परियोजना है जो महामारी से सबसे कम प्रभावित हुई है.

2020 और 2021 में लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के रिवर्स माइग्रेशन ने जहां अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निर्माण कार्य गति काफी धीमी कर दी थी. लेकिन तटीय मार्ग के लिए भूमि पुनर्ग्रहण में काफी प्रगति हुई.

2022 की शुरुआत तक बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने परियोजना के लिए भूमि पर कानूनी तौर पर कब्जे की आवश्यक खानापूरी पूरी कर ली है और सी-वॉल जैसा निर्माण कार्य जून तक पूरा होने की संभावना है.

तटीय मार्ग में 40 फीट व्यास वाली देश की पहली अंडर-सी सुरंग का निर्माण शामिल है. अतिरिक्त नगर आयुक्त अश्विनी भिड़े ने दिप्रिंट को बताया कि बीएमसी को जनवरी या फरवरी 2023 तक सुरंग बनाने का काम पूरा होने की उम्मीद है.

भिड़े ने कहा कि, कुल मिलाकर परियोजना दिसंबर 2023 तक पूरी होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि तय समयसीमा में काम पूरा कर पाने के लिए जरूरी है कि बीएमसी परियोजना का विरोध कर रहे मछुआरों की समस्याओं का समाधान निकालने में सक्षम हो. मछुआरों का विरोध सी-लिंक के वर्ली छोर को तटीय मार्ग से कनेक्ट करने वाले एक इंटरचेंज के काम में बाधक बना हुआ है.

भिड़े ने कहा, ‘प्रदर्शनकारी मछुआरे इस पर जोर दे रहे हैं कि स्पैन (दो खंभों के बीच की दूरी) की लंबाई 200 मीटर हो, जो तर्कसंगत नहीं है. हमने नेविगेशन के लिए 60 मीटर के तीन स्पैन रखे हैं. हमने मानकों का पूरी तरह पालन किया है लेकिन निर्माण के दौरान आजीविका को कुछ नुकसान हो सकता है. हमने इसके अध्ययन के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज को नियुक्त किया है और उन्हें इसके आधार पर मुआवजे की पेशकश करने को भी तैयार हैं.’

भिड़े ने कहा, ‘परियोजना में मछुआरों का आंदोलन एकमात्र बड़ी चुनौती है जिसे 2022 में हल करने की जरूरत है. इसे हल किए बगैर तटीय मार्ग को बांद्रा-वर्ली सी लिंक से नहीं जोड़ा जा सकता.’

‘महामारी न आती तो बेहतर होते आंकड़े’

तटीय मार्ग को छोड़कर मुंबई में सभी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं कोविड-19 के कारण श्रमिकों की भारी कमी से प्रभावित हुई थीं. विशेष कार्य के लिए कुशल श्रमिकों और तकनीशियनों की भारी कमी सामने तो आई ही, कई श्रमिकों को कोविड पॉजिटिव भी पाया गया.

एमएमआरडीए मेट्रोपॉलिटन कमिश्नर श्रीनिवास ने बताया कि एक विशेष अभियान चलाकर कर्मचारियों के टीकाकरण में तेजी लाई गई.

उन्होंने कहा, ‘अब अधिकतर श्रमिकों को टीके की दोनों डोज दी जा चुकी हैं. दूसरे, तकनीकी विशेषज्ञ विदेश से काम कर रहे थे और उनसे मिले बिना रिमोटली काम करना यह एक बड़ी बाधा था, खासकर उन दो लाइनों के लिए जिन्हें 2022 में चालू किया जाना है.’

श्रीनिवास ने बताया कि खासकर ताइवान, जापान और मलेशिया जैसे देशों से आने वाले कंपोनेंट की डिलीवरी में भी देरी हुई है.

एमएमआरसी के एमडी देओल ने कहा कि कोविड के बावजूद अप्रैल 2020 से दिसंबर 2021 के बीच 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के कार्यों को पूरा किया गया है.

उन्होंने कहा, ‘इस अवधि के दौरान भी परियोजना आगे बढ़ी है लेकिन यह तमाम प्रयासों और योजनाओं से ही संभव हो पाया है. हम कह सकते हैं कि अगर महामारी का असर नहीं होता तो परियोजना से जुड़े आंकड़े इससे कहीं बेहतर हो सकते थे.’

प्राधिकरण काम में तेजी आने और 2022 में कुछ परियोजनाओं का उद्घाटन होने की उम्मीद तो कर रहा है लेकिन उसकी सारी आशाओं के पीछे कुछ चिंताएं भी छिपी हैं.

देओल ने कहा, ‘हमें यह नहीं भूलना चाहिए, महामारी खत्म नहीं हुई और इसने हमें और हमारी परियोजना को काफी नुकसान पहुंचाया है. काम करने, मैनपॉवर, कुशल कार्यबल, सप्लाई चेन, विशेषज्ञों की उपलब्धता और निर्माण कार्यों की सामान्य गति को लेकर कुछ बाध्यताएं कायम हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘लोगों पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ा है और उन्हें एक अज्ञात भय ने घेर रखा है. लेकिन इन तमाम बाध्यताओं के बावजूद सभी अपने-अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन और परियोजनाओं में तेजी जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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