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Tuesday, 9 September, 2025
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मुंबई उच्च न्यायालय ने जरांगे को आजाद मैदान खाली करने के लिए बुधवार सुबह तक का समय दिया

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मुंबई, दो सिंतबर (भाषा) मुंबई उच्च न्यायालय ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे कार्यकर्ता मनोज जरांगे को अनशन स्थल ‘आजाद मैदान’ में तीन सितंबर की सुबह तक रहने की अनुमति दे दी है।

न्यायालय ने इससे पहले मराठा आरक्षण नेता और प्रदर्शनकारियों को मंगलवार अपराह्न तीन बजे तक मैदान खाली करने का निर्देश दिया था।

अदालत ने राज्य सरकार के प्रति नाखुशी जताते हुए सवाल किया कि प्रशासन ने उसके आदेशों का क्रियान्वयन क्यों नहीं किया और क्षेत्र को जबरन खाली कराने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए।

पीठ ने कहा कि यदि बुधवार तक स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वह आदेश पारित करने के लिए बाध्य होगी और कानून की गरिमा बनाए रखने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकती है।

मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति आरती साठे की पीठ के समक्ष जरांगे ने अपने वकील के जरिये अनुरोध किया कि बुधवार तक उन्हें मैदान में रहने की अनुमति दी जाए, क्योंकि तबतक कोई समाधान निकलने की संभावना है, जिसे पीठ ने स्वीकार कर लिया।

इसी पीठ ने सुबह सुनवाई के दौरान जरांगे को आजाद मैदान खाली करने का निर्देश दिया था और उनके समर्थकों को अपराह्न तीन बजे तक वहां से चले जाने को कहा था। जरांगे पिछले पांच दिनों से इस मैदान पर अनशन कर रहे हैं।

पीठ ने चेतावनी दी कि अगर आदेश का पालन नहीं किया गया तो उनपर भारी जुर्माना लगाया जाएगा और अवमानना ​​की कार्रवाई की जाएगी।

अपराह्न तीन बजे जब मामले की फिर से सुनवाई हुई तो जरांगे और उनकी टीम की ओर से पेश वकील सतीश मानशिंदे और वी एम थोराट ने बुधवार सुबह तक का समय मांगा, ताकि वे राज्य सरकार के साथ मराठा समुदाय के सदस्यों के लिए आरक्षण की अपनी मांग पर चर्चा कर सकें।

मानशिंदे ने कहा कि अगली सुबह तक समाधान निकल आने की संभावना है। उन्होंने कहा कि अगर जरांगे और प्रदर्शनकारियों को मंगलवार को जाने को कहा गया तो इसका अभिप्राय होगा कि आंदोलन समाप्त हो गया है।

पीठ ने दलील स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई बुधवार दोपहर को तय कर दी।

अदालत ने हालांकि टिप्पणी की कि जरांगे वह व्यक्ति प्रतीत होते हैं, जो 5,000 व्यक्तियों की अनुमत सीमा से अधिक लोगों को मुंबई आने के लिए उकसाने के लिए जिम्मेदार हैं।

पीठ ने कहा कि इस मामले में कई अन्य गंभीर मुद्दे भी शामिल हैं, जिनके बारे में जरांगे और उनकी टीम को जवाब देना होगा।

पीठ ने कहा, ‘‘अदालत के आदेशों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।’’

पीठ ने महाराष्ट्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए उसे मौजूदा स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘हम राज्य (सरकार) के आचरण से बहुत नाखुश हैं। सरकार ने अदालत के आदेशों को लागू क्यों नहीं किया? राज्य सरकार कदम उठा सकती थी और क्षेत्र को जबरन खाली करवा सकती थी।’’

पीठ ने जरांगे और उनकी टीम से कहा कि कानून का पालन करने वाले नागरिकों के रूप में उन्हें आजाद मैदान खाली कर देना चाहिए था, क्योंकि उनके पास आवश्यक अनुमति नहीं थी।

अदालत ने कहा, ‘‘आपने किस अधिकार से आजाद मैदान पर कब्ज़ा किया है? अगर आपके कहने पर इतने सारे लोग यहां आते हैं, तो वे निश्चित रूप से आपकी बात मानेंगे। हमें इस देश में कानून का राज बनाए रखना है। यह महत्वपूर्ण है।’’

मानशिंदे ने कहा कि दिन में पहले दिए गए अदालती निर्देश के अनुसार, जरांगे और उनकी टीम ने अपने समर्थकों से शहर छोड़ने को कहा है और इसका पालन किया जा रहा है।

जरांगे ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समूह के तहत मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में पांच दिनों से अनिश्चितकालीन अनशन कर रहे हैं और उन्होंने कहा है कि जब तक सरकार उनकी मांगें पूरी नहीं करती, तब तक वह मुंबई नहीं छोड़ेंगे।

इससे पहले दिन में पीठ ने कहा था कि वह अपराह्न तीन बजे तक पूरी तरह सामान्य स्थिति बहाल करना चाहती है और यदि ऐसा नहीं हुआ तो वे (पीठ के न्यायाधीश) स्वयं सड़कों की स्थिति का आकलन करेंगे।

उच्च न्यायालय ने कहा कि जरांगे और उनके समर्थकों ने कानून का उल्लंघन किया है और इसलिए उन्हें बिना अनुमति के आजाद मैदान पर कब्जा करने का कोई अधिकार नहीं है।

अदालत ने कहा, ‘‘यह बहुत गंभीर स्थिति है। हम राज्य सरकार से भी संतुष्ट नहीं हैं। ऐसा लगता है कि सरकार की ओर से भी कुछ चूक हुई है।’’

जरांगे की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश मानशिंदे ने मुंबई की सड़कों पर उनके कुछ समर्थकों द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के लिए माफी मांगी और कहा कि आरक्षण कार्यकर्ता ने पहले दिन से ही यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि किसी भी आम नागरिक को परेशानी न हो।

उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि अब से कोई गलत व्यवहार नहीं होगा।

इसके बाद अदालत ने पूछा कि क्या जरांगे और उनके समर्थक आजाद मैदान से चले गए हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘वे (जरांगे और उनके समर्थक) उल्लंघनकर्ता हैं और इसलिए उनके पास कोई अधिकार नहीं है। उन्हें तुरंत चले जाना चाहिए, वरना हम कार्रवाई करेंगे। यह पूरी तरह से गैरकानूनी है। अपराह्न तीन बजे के बाद हम आजाद मैदान में किसी को भी आने की अनुमति नहीं देंगे।’’

अदालत ने कहा कि सोमवार को कई प्रदर्शनकारियों ने उच्च न्यायालय को घेर लिया था, जिससे न्यायाधीशों के काम में बाधा उत्पन्न हुई।

पीठ ने कहा, ‘‘इस तरह की स्थिति अस्वीकार्य है कि उच्च न्यायालय को नाकेबंदी जैसी परिस्थिति में डाल दिया जाए और एक न्यायाधीश को अदालत तक पहुंचने के लिए पैदल चलकर जाना पड़े।’’

मानशिंदे ने अदालत को बताया कि जरांगे ने आजाद मैदान में प्रदर्शन जारी रखने की अनुमति के लिए एक नया आवेदन किया है, लेकिन अब तक कोई आदेश पारित नहीं हुआ है।

मानशिंदे ने पीठ को बताया कि जरांगे ने चार महीने पहले सरकार को सूचित किया था कि वह मुंबई में प्रदर्शन करेंगे और एक महीने पहले अनुमति के लिए आवेदन भी किया था, लेकिन अब तक आज़ाद मैदान में कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

इसके बाद पीठ ने कहा कि आजाद मैदान में केवल 5,000 लोगों के लिए अनुमति थी, लेकिन हजारों प्रदर्शनकारी मुंबई में आ गए हैं।

अदालत ने पूछा, ‘‘आपने (जरांगे ने) यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए कि 5,000 से अधिक लोग न आएं। जब आपको पता चला कि 50,000 से अधिक लोग मुंबई शहर में घुस आए हैं, तो आपने क्या कदम उठाए? क्या आपने उन्हें मुंबई छोड़ने के लिए कहा?’’

मानशिंदे ने कहा कि जरांगे ने मीडिया के जरिये अपने समर्थकों से अपील की थी और कहा कि सोमवार को उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद सड़कें खाली करा दी गई हैं और सभी वाहनों को सड़कों से हटा दिया गया है।

मुंबई पुलिस ने मंगलवार को जरांगे और उनकी टीम को नोटिस जारी कर उन्हें यथाशीघ्र आजाद मैदान खाली करने को कहा।

भाषा धीरज सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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