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Friday, 22 November, 2024
होमदेशअर्णब गोस्वामी के दफ्तर का कांट्रैक्ट मिलने से पहले ही गहरे वित्तीय संकट में घिरा था मुंबई का डिजाइनर

अर्णब गोस्वामी के दफ्तर का कांट्रैक्ट मिलने से पहले ही गहरे वित्तीय संकट में घिरा था मुंबई का डिजाइनर

अन्वय नाइक और उनकी मां ने 2018 में आत्महत्या कर ली थी और उन्होंने सुसाइड नोट में इसके लिए रिपब्लिक टीवी के प्रमुख अर्णब गोस्वामी और दो अन्य को दोषी ठहराया था, जिन्होंने उनका पैसा नहीं चुकाया था.

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मुंबई: रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी और दो अन्य को 2018 में आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में बुधवार को जमानत मिल गई.

यह मामला मुंबई के इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां कुमुद नाइक द्वारा 5 मई, 2018 को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में अलीबाग स्थित अपने बंगले में आत्महत्या करने से जुड़ा है. एक पेज के सुसाइड नोट, जो पुलिस ने घटनास्थल से बरामद किया था, में गोस्वामी, स्मार्टवर्क्स के नीतीश सरदा और आईकास्टएक्स/स्कीमीडिया के फिरोज शेख पर अन्वय नाइक की कंपनी, कॉनकॉर्ड डिजाइन्स प्राइवेट लिमिटेड को क्रमशः 83 लाख, 55 लाख और चार करोड़ रुपये का बकाया न चुकाने का आरोप लगाया गया था.

रायगढ़ पुलिस ने पिछले साल एक ‘समरी रिपोर्ट’ दायर करने के बाद इस मामले को बंद कर दिया था, जो अमूमन उस स्थिति में होता है जब किसी के खिलाफ शिकायत में आरोप तो सही पाए जाते हैं, लेकिन मुकदमा चलाने के लिए ठोस सबूत नहीं होते. हालांकि, इस मामले को इसी साल अक्टूबर में फिर खोला गया, जब पुलिस ने दावा किया कि नए सबूत सामने आए हैं. पुलिस ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता नाइक की पत्नी अक्षता को केस बंद होने से पहले अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया था. 4 नवंबर को पुलिस ने गोस्वामी, सरदा और शेख को गिरफ्तार कर लिया.

हालांकि, दिप्रिंट ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज से हासिल दस्तावेजों में पाया कि अन्वय नाइक और कॉनकॉर्ड डिजाइन्स का वित्तीय संकट इन तीनों लोगों की कंपनियों की तरफ से कथित तौर न चुकाई गई बकाया राशि से कहीं ज्यादा बड़ा था.

2016 में ही कॉनकॉर्ड भारी नुकसान में थी, उस पर 20 करोड़ रुपये के करीब कर्ज था और कर अधिकारियों के साथ कई विवाद चल रहे थे. 2012 तक अन्वय नाइक एक कंस्ट्रक्शन फर्म ओम अथर्वा रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक और शेयरधारक भी थे, जिसका सह-स्वामित्व ठाणे के एक स्थानीय राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पदाधिकारी मनोज प्रधान के नाम पर था. यह कंपनी भी बुरी तरह घाटे में चल रही थी जिसके कारण इसे अंतत: रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज लिस्ट से ही हटा दिया गया था.

दिप्रिंट ने इस रिपोर्ट के संदर्भ में टिप्पणी के लिए कॉल और टेक्स्ट मैसेज के जरिये टिप्पणियों के लिए अन्वय नाइक की पत्नी अक्षता और बेटी अदन्या से संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. उनके वकील वैभव कार्णिक ने कहा, ‘अन्वय नाइक ने पहले भी उतार-चढ़ाव का सामना किया था और अपनी फर्म और अन्य व्यापारिक कामकाज के कारण नुकसान झेल चुके थे, लेकिन वह इससे बाहर आ चुके थे. वह इस सबसे उबर चुके थे. इस मामले में हमारे पास इस सबूत हैं कि उन पर लगातार दबाव बनाने के प्रयास किए गए, जिसने उन्हें ऐसा कदम उठाने पर बाध्य कर दिया था.’

पुलिस की ओर से रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक, अशोक दुधे ने कहा, ‘हम अभी मामले की जांच कर रहे हैं इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता.’


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घाटे में घिरी ओम अथर्वा में 25% शेयर

पहले से ही कॉनकॉर्ड डिजाइन्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक नाइक ने 2006 में खुद को एक अन्य ओम अथर्वा रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड, इंकॉरपोरेशन के एक माह से भी कम समय में, के साथ संबद्ध कर लिया.

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के दस्तावेज बताते हैं कि ओम अथर्वा ने मार्च 2012 को समाप्त वित्तीय वर्ष के लिए अपना अंतिम वार्षिक रिटर्न और बैलेंस शीट दायर की थी, जिसमें दिखाया गया कि कंपनी को कोई आय नहीं हुई, 470 रुपये का मामूली नुकसान हुआ और भूसंपत्ति से जुड़े कुछ नकद सौदे हुए, जिनका विस्तृत ब्योरा नहीं दिया गया.

वर्ष 2010-11 के लिए दायर एक बैलेंस शीट से पता चलता है कि ओम अथर्वा, जिसमें नाइक को ही सभी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर का अधिकार था, के पास 2.63 करोड़ रुपये की लेनदारी और और 6.41 करोड़ रुपये की देनदारी थी. दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि कंपनी के पास कोई काम नहीं था.

ओम अथर्वा रियल्टर्स को कंपनी रजिस्ट्रार ने सूची से बाहर कर दिया था-एक बार बंद होने के बाद कोई कंपनी काम नहीं कर सकती. यदि किसी कंपनी ने अपने निगमन के एक वर्ष के भीतर अपने व्यवसाय का संचालन शुरू नहीं किया है, या दो वित्तीय वर्षों से सक्रिय रूप से कोई व्यवसाय नहीं कर रही, और एक निष्क्रिय कंपनी का दर्जा पाने के लिए आवेदन नहीं किया है, तो रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज इसे बंद कर सकते हैं. कंपनी खुद भी इसके लिए आवेदन कर सकती है.

ओम अथर्वा के शेयरों में 25 फीसदी हिस्सेदार नाइक की थी, एनसीपी के मनोज प्रधान के 50 फीसदी शेयर थे, जबकि अन्य 25 फीसदी शेयर शैलेंद्र महेश्वर कुमार नामक एक व्यक्ति के पास थे.

नाइक के सह-निदेशक प्रधान एक विवादास्पद व्यक्ति रहे हैं. उन्हें 2014 में एनसीपी की ठाणे इकाई का प्रमुख बनाया गया था, लेकिन जिस मंदिर ट्रस्ट से जुड़े थे उसी के फंड में कथित धोखाधड़ी के मामले में नाम आया. 2018 में ठाणे ग्रामीण पुलिस की तरफ से वज्रेश्वरी मंदिर ट्रस्ट के 3.22 करोड़ रुपये की कथित गड़बड़ी के मामले में उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया.

ठाणे में एनसीपी के मौजूदा अध्यक्ष आनंद परांजपे ने दिप्रिंट को बताया, ‘प्रधान अब न तो पार्टी में पदाधिकारी हैं और न ही इसके किसी मामले में सक्रिय है, यहां तक कि किसी कार्यकर्ता की हैसियत से भी इससे नहीं जुड़े हैं. हमारे पास इसकी कोई जानकारी नहीं वह कहां है या उनसे कैसे संपर्क किया जा सकता है.’


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करीब 20 करोड़ रुपये का कर्ज

मुंबई स्थित बॉम्बे डाइंग मिल परिसर में रिपब्लिक मीडिया का संचालन करने वाली कंपनी एआरजी आउटलेयर मीडिया का न्यूजरूम डिजाइन करने के लिए उसके साथ करार करने वाली कंपनी कॉनकॉर्ड डिजाइन्स में 60 फीसदी हिस्सेदारी अन्वय नाइक के थे. बाकी 40 फीसदी हिस्सेदारी उनकी मां कुमुद नाइक के पास थी.

जैसा पहले ही उल्लेख किया गया था नाइक की मृत्यु से कुछ साल पहले से ही कॉनकॉर्ड कंपनी गंभीर वित्तीय संकटों से जूझ रही थी और कर अधिकारियों के साथ कई विवादों में उलझी थी.

वित्तीय वर्ष 2015-16 में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास उपलब्ध अंतिम रिकॉर्ड के मुताबिक, कॉनकॉर्ड डिजाइन्स ने उस वर्ष 36.26 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने के बावजूद 4.45 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया था.

एक रियल एस्टेट कारोबारी और राजनेता, जो कामकाज के सिलसिले में बातचीत के लिए दो बार नाइक से मिले थे, ने पहचान न बताने की शर्त पर दावा किया, ‘एक इंटीरियर डिजाइनर की फीस कुल काम में सिर्फ 5 से 8 प्रतिशत ही होती है. और अन्वय नाइक की देनदारी लगभग 6 करोड़ की थी. आवश्यक सामान मुहैया कराने वाले सभी लोग पैसों के लिए उनके पीछे पड़े थे. यह एक ऐसा काम हैं जिसमें बहुत अच्छा करने पर भी वास्तविक लाभ अधिकतम 7 से 8 प्रतिशत होगा.’

2014-15 में 12.26 लाख रुपये का मामूली लाभ हुआ था, जबकि एक साल पहले कॉनकॉर्ड ने 8.28 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया था. 2015-16 में कंपनी की कुल संपत्ति 165.72 प्रतिशत घट गई और इस पर 19.5 करोड़ रुपये का कर्ज था.

कॉनकॉर्ड के लिए 2015-16 की ऑडिटर्स रिपोर्ट कहती है, ‘कंपनी के रिकॉर्ड के अनुसार कंपनी उचित प्राधिकारियों के साथ निर्विवाद वैधानिक बकाया राशि जमा करने में अनियमित है.’

कॉनकॉर्ड डिजाइन्स को लेकर मूल्य वर्धित कर, केंद्रीय बिक्री कर और आयकर भुगतान से जुड़े कम से कम सात विवाद लंबित थे, जिनकी कुल राशि 9.74 करोड़ रुपये थी.

2018 में नाइक की बेटी अदन्या, जो कभी एक अंतरराष्ट्रीय लॉन टेनिस खिलाड़ी थी, ने मां अक्षता के साथ एक नई कंपनी-अदन्या नाइक डिजाइन्स प्राइवेट लिमिटेड-पंजीकृत कराके अपने पिता के व्यवसाय को आगे बढ़ाया.


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1 टिप्पणी

  1. यहपक्षपाती और तथ्यों को तोडमोडकर पेश करने वाली रिपोर्ट है । व्यापार में उतार चढावा आते रहते है इसका मतलब आप मेरे पैसे हडप लेगें । आत्महत्या में महत्वपूर्ण है कि वह कि घटना के बाद टूटा और आत्म हत्या की। शेखर यह पत्रकारिता नहीं है जो आप कर रहे हो।इसने वाजिब पैसे नहीं दिए और इसका नाम आत्महत्या नोट
    में है

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