मुंबई, चार जून (भाषा) यहां की एक अदालत ने डेवलपर निरंजन हीरानंदानी को राहत देते हुए मुंबई के पवई इलाके में कथित 30,000 करोड़ रुपये के भूमि घोटाले से जुड़े मामले को बंद करने के लिए भ्रष्टचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की ओर से दाखिल अर्जी स्वीकार कर ली।
अदालत ने कहा,‘‘अभियोजन के लिए कोई आपराधिक मामला नहीं बनता है’’।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामलों के लिए विशेष न्यायाधीश एस ई बांगर द्वारा दो जून को पारित आदेश से हीरानंदानी समूह के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक निरंजन हीरानंदानी और अन्य के खिलाफ मामला प्रभावी रूप से बंद हो गया है।
आदेश की बुधवार को उपलब्ध हुई प्रति के मुताबिक, ‘‘मामला बंद करने की अर्जी ठोस जांच, सत्यापित अनुपालन और संवैधानिक न्यायालय के न्यायिक आदेशों के अनुरूप है।’’
एसीबी ने 2012 में एक प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पवई क्षेत्र विकास योजना (पीएडीएस)का उद्देश्य किफायती आवास बनाना था लेकिन नियमों की अनदेखी कर उस भूमि पर लक्जरी अपार्टमेंट बनाये गए।
एसीबी ने दावा किया कि हीरानंदानी समूह की इकाई लेक व्यू डेवलपर्स ने मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) और ग्रेटर मुंबई नगर निगम (एमसीजीएम) के साथ मिलकर पीएडीएस का दुरुपयोग किया।
जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि इस कदम से राजकोष को (30,000 करोड़ रुपये का) नुकसान हुआ और 19 नवंबर 1986 के त्रिपक्षीय समझौते के तहत वैधानिक दायित्वों का उल्लंघन हुआ।
विशेष अदालत ने 2018 में एजेंसी की ‘ए’ सारांश रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और इसके बजाय मामले में आगे की जांच का निर्देश दिया था।
एसीबी ने दोबारा जांच के बाद 30 अगस्त, 2019 को एक ‘सी’ सारांश रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें मामले को बंद करने की सिफारिश की गई। इसमें कहा गया कि हीरानंदानी या मामले में नामित सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिकता का कोई सबूत नहीं मिला।
भाषा
धीरज माधव
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