नई दिल्ली: मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज मोहम्मद सईद के बेटे हाफिज तल्हा सईद को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के प्रावधानों के तहत गृह मंत्रालय (एमएचए) ने आतंकवादी घोषित किया गया है. इससे पहले पाकिस्तान का कोर्ट हाफिज सईद को 31 साल की जेल की सजा सुना चुका है.
8 अप्रैल को एक अधिसूचना में, MHA ने कहा कि हाफिज तल्हा सईद लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का एक वरिष्ठ नेता और आतंकी संगठन के मौलवी विंग का प्रमुख था. अधिसूचना में कहा गया है कि तल्हा सईद ‘भारत में लश्कर-ए-तैयबा और अफगानिस्तान में भारतीय हितों के लिए भर्ती, धन संग्रह, योजना और हमलों को अंजाम देने में सक्रिय रूप से शामिल रहा है.’
अधिसूचना उस दिन जारी की गई है जब तल्हा के पिता और प्रतिबंधित जमात-उद-दावा (जेयूडी) के प्रमुख हाफिज सईद को पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी अदालत ने 31 साल जेल की सजा सुनाई थी.
एमएचए अधिसूचना में भाषणों में आगे कहा गया है कि तल्हा सईद ‘पाकिस्तान भर में विभिन्न लश्कर केंद्रों का दौरा कर रहा है और अपने के दौरान भारत, इज़राइल, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में भारतीय हितों के खिलाफ जिहाद का प्रचार कर रहा है.’
एमएचए अधिसूचना में कहा गया है, ‘केंद्र सरकार का मानना है कि हाफिज तल्हा सईद आतंकवाद में शामिल है और हाफिज तलहा सईद को उक्त अधिनियम के तहत आतंकवादी के रूप में अधिसूचित किया जाना चाहिए.’
विशेष रूप से, केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 में संशोधन किया था, जिसमें किसी व्यक्ति को आतंकवादी के रूप में नामित करने के प्रावधान को शामिल किया गया था. इस संशोधन से पहले, केवल संगठनों को आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया जा सकता था.
संशोधन के बाद, मंत्रालय ने जुलाई 2020 में यूएपीए अधिनियम के प्रावधानों के तहत नौ व्यक्तियों को नामित आतंकवादी के रूप में नामित किया था.
सितंबर 2019 में, केंद्र सरकार ने चार व्यक्तियों को आतंकवादी के रूप में नामित किया, जिसमें मौलाना मसूद अजहर, हफीज सईद, जकी-उर-रहमान लखवी और दाऊद इब्राहिम शामिल थे.
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