बेंगलुरू: कर्नाटक में चल रहा एक कथित क्रिप्टोकरेंसी घोटाला तेज़ी से एक उग्र विवाद में तब्दील हो गया है जिसमें पिछले हफ्ते कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्य की बीजेपी सरकार मामले पर ‘पर्दा डाल’ रही है. सोमवार को मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने जवाब देते हुए कहा कि ये कोई ‘मुद्दा नहीं है’ और कांग्रेस इसे सिर्फ सियासी फायदे के लिए उठा रही है.
कथित बिटक्वाइन घोटाले के मुद्दे को ‘नॉन-इश्यू’ कहकर ख़ारिज करने से बमुश्किल पांच दिन पहले ही बोम्मई ने इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चर्चा की थी. मोदी के साथ मीटिंग के बाद गुरुवार को नई दिल्ली में बोम्मई ने कहा, ‘प्रधानमंत्री बिटक्वॉइन मुद्दे पर ज़्यादा बात नहीं करना चाहते थे लेकिन मैंने ख़ुद ही इसे उठाया. प्रधानमंत्री ने मुझे आश्वस्त किया कि बिटक्वॉइन मुद्दे की ज़्यादा चिंता न करें’.
पिछले महीने जब असेम्बली में नेता प्रतिपक्ष सिद्धारमैया ने ये मुद्दा उठाया और करोड़ों रुपए की ठगी का आरोप लगाया तो बोम्मई ने कहा था कि उनकी सरकार ने इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया है और वो इसमें शामिल किसी को भी नहीं बख़्शेगी.
इस हफ्ते बोम्मई के इस दावे पर कि ये कोई ‘मुद्दा नहीं’ है कांग्रेस ने तुरंत ही अपने हमले तेज़ कर दिए हैं.
सोमवार को बोम्मई के बयान के कुछ ही घंटे बाद सिद्धारमैया ने सिलसिलेवार ट्वीट्स में इस मामले के मुख्य अभियुक्त श्रीकृष्णा उर्फ श्रीकी नाम के एक युवा हैकर के लिए सुरक्षा की मांग की.
Is Sriki a drug addict?
If yes, Did police get him medically tested when he was arrested recently?
If it is proved that he is a drug addict in the medical test, Was he given necessary treatment?@CMofKarnataka & home minister should clarify about these?#Bitcoin
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) November 15, 2021
सिद्धारमैया का बयान उस पृष्ठभूमि में आया जिसमें 6 नवंबर को एक अलग मामले में लग्ज़री होटल में हुए किसी झगड़े पर बेंगलुरू पुलिस ने श्रीकृष्णा को गिरफ्तार कर लिया था लेकिन पांच दिन के अंदर ही उसे ज़मानत पर छोड़ दिया गया था लेकिन जिस केस से इस सारे राजनीतिक वाद-विवाद को हवा मिली वो ठीक एक साल पहले का है.
कथित घोटाला और इससे क्यों मच रही है सियासी हलचल
9 नवंबर 2020 को बेंगलुरू पुलिस की केंद्रीय अपराध शाखा (सीसीबी) ने दो लोगों- हेमंत मुदप्पा और सुनीष हेगड़े को ड्रग बेचने के सिलसिले में गिरफ्तार किया. पुलिस ने ये भी ऐलान किया कि उन्होंने 500 ग्राम ‘हाइड्रो मारिजुआना’ बरामद की है जिसे कथित तौर पर क्रिप्टोकरेंसी के ज़रिए डार्क नेट पर ख़रीदा गया था.
दर्शन लमानी को जो पूर्व कांग्रेस मंत्री रूद्रप्पा लमानी का बेटा है उसे अभियुक्तों को पनाह देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया.
उसके अगले हफ्ते पुलिस ने कुछ और लोगों को गिरफ्तार किया जिनमें तब 25 वर्ष का श्रीकृष्णा और एक बिटक्वॉइन्स एक्सचेंज मालिक रॉबिन खंडेलवाल भी शामिल थे. उसी समय पुलिस को श्रीकृष्णा के कथित साइबर धोखाधड़ी और फिरौती वाले सॉफ्टवेयर के हमलों के इतिहास का पता चला.
श्रीकृष्णा कथित रूप से हैक करके क्रिप्टोकरेंसी चुराता था जबकि रॉबिन कमीशन लेकर उन्हें बदलता था और श्रीकृष्णा के निर्देशों के मुताबिक उस पैसे को अलग अलग खातों में जमा करता था.
खंडेलवाल के बयान के मुताबिक़ जिसकी एक कॉपी दिप्रिंट के पास है, ये खाते श्रीकृष्णा के दोस्तों, परिचितों, और कारोबारी संपर्कों के थे.
मामले की जांच के दौरान श्रीकृष्णा पर पांच और मुक़दमे क़ायम किए गए. इनमें कर्नाटक सरकार के ई-ख़रीद पोर्टल की हैकिंग, पैसों की ठगी, पैसिफिक गेमिंग प्रा. लि. नाम की एक ऑनलाइन पोकर साइट की हैकिंग, बिटक्वॉइन्स एक्सचेंजेज़ की हैकिंग और क्रिप्टोकरेंसी चोरी शामिल हैं. उसे 17 अप्रैल 2021 तक पुलिस हिरासत में रखा गया.
उसके बाद से कर्नाटक कांग्रेस आरोप लगा रही है कि बीजेपी सरकार रिश्वत लेने और ताक़तवर पदों पर बैठे ऐसे लोगों को बचाने के लिए श्रीकृष्णा की करतूतों पर पर्दा डाल रही है जिन्होंने साइबर अपराध में उसका कथित महारत का फायदा उठाया है.
कांग्रेस विधायक और कर्नाटक के पूर्व आईटी मंत्री प्रियांक खड़गे ने पिछले हफ्ते दिप्रिंट को बताया, ‘ये एक करोड़ों रुपए का अपराध है. सरकार में बैठे लोगों ने ड्रग्स और तबादलों में रिश्वतें ली हैं. ऐसा कोई सबूत नहीं है कि सरकार ने स्वेच्छा से मामले को ईडी के हवाले किया है जैसा कि सीएम बोम्मई दावा कर रहे हैं’. इस हफ्ते मुद्दे को हल्का करने की बोम्मई ने कोशिश की और ज़्यादा आलोचना हुई है.
रविवार को खड़गे ने ट्वीट किया, ‘अगर बिटक्वाइन घोटाला महत्वपूर्ण नहीं था, तो उसपर प्रधानमंत्री से चर्चा क्यों की गई? सीसीबी ने प्रेस रिलीज क्यों जारी की? एक मंत्री ने जल्दबाज़ी में रात 9 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों की? बीजेपी के नेता असहज क्यों हैं? कांग्रेस के सवालों के जवाब क्यों नहीं हैं? उनका ये अजीब सा व्यवहार ही उनके भेद खोल रहा है’. पिछले हफ्ते खड़गे ने कहा था कि इस केस की व्यापक जांच के नतीजे में, कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदला जा सकता है.
बोम्मई ने, जो उस समय गृह मंत्री थे जब 2020 में पहला केस सामने आया था कुछ बीजेपी नेताओं को भी चकरा दिया है.
बीजेपी के एक वरिष्ठ विधायक ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘अगर पीएम ने इस मामले की ईडी से जांच कराने के लिए कहा है तो इसका मतलब है कि कहीं कोई गड़बड़ी ज़रूर है. सत्तारूढ़ पार्टी होने के नाते हम केंद्रीय एजेंसियों के साथ समन्वय कर रहे हैं लेकिन ये कहना कि कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है, कुछ ज़्यादा ही है’.
जिस बात में कोई संदेह नहीं है वो ये है कि बिटक्वॉइन्स केस की जांच में कम से कम कुछ स्पष्ट विसंगतियां ज़रूर हैं.
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‘लापता’ बिटक्वॉइन्स का अजीब मामला
12 जनवरी 2021 को, बेंगलुरू पुलिस ने एक प्रेस रिलीज़ में श्रीकृष्णा से 9 करोड़ रुपए मूल्य के 31 बिटक्वॉइन्स बरामद करने का दावा किया और कहा कि उसने इन्हें अवैध हैकिंग से हासिल किया है.
बरामदगी का पहला पंचनामा 8 जनवरी 2021 को दर्ज किया गया. पंचनामे में, जिसकी एक कॉपी दिप्रिंट के पास है, दो पंच (गवाह) दिखाए गए हैं- दोनों बेंगलुरू बिजली सप्लाई कंपनी के कर्मचारी हैं जिन्होंने सत्यापित किया कि अभियुक्त के एक क्लाउड वॉलट में 31.12 बिटक्वॉइन्स पाए गए जिसमें उसके दिए गए पासवर्ड से पहुंचा गया था.
18 जनवरी को बिटक्वाइन्स को पुलिस के बनाए एक वॉलट में ट्रांसफर करने के लिए एक दूसरा पंचनामा दर्ज किया गया और इस बार दो कमर्शियल टैक्स इंस्पेक्टर्स पंच बने.
बिटक्वाइन्स को ट्रांसफर करने के लिए केंद्रीय अपराध शाखा ने बेंगलुरू स्थित एक क्रिप्टोकरेंसी फर्म यूनोकॉयन टेक्नॉलजीज़ प्रा. लि. की सेवाएं लीं. पंचनामे में लिखा है: ‘पंचों की मौजूदगी में ये क्रिप्टोकरेंसियां पुलिस वॉलट में ट्रांसफर की गईं: 0.08567702 बीटीसी, 35.081731 एक्सआरपी, 26.892276 यूएसडीटी (टेदर), 14.51970573 डीएआई. कुल उपरोक्त ट्रांसफर (ट्रांसफर के समय) 0.08712512 बीटीसी हैं’.
बीटीसी, एक्सआरपी, टेदर, और डीएआई, सभी क्रिप्टोकरेंसियों या पेमेंट एसेट्स के अलग अलग रूप हैं.
लेकिन, 22 जनवरी को पिछले दो की काट करता हुआ एक तीसरा पंचनामा दर्ज किया गया. दोनों कमर्शियल टैक्स इंस्पेक्टर फिर से पंचों के रूप में सामने आए और कार्रवाई को स्क्रीनशॉट्स के साथ रिकॉर्ड किया गया.
पंचनामे से पता चलता है कि जब टीम ने श्रीकृष्णा के दिए पासवर्ड की मदद से अभियुक्त के क्लॉउड वॉलट तक पहुंचने का की कोशिश की तो उसमें 186.811 बिटक्वॉइन्स ‘उपलब्ध’ दिखाए गए लेकिन उस समय वॉलट में लाइव लेनदेन चल रहा था.
जब इन बिटकॉयंस को पुलिस वॉलट में लाने की कोशिश की गई तो स्क्रीन पर एक पॉप-अप बॉक्स में लिखा आया- ‘टीएक्स पहले ही ब्लॉकचेन में है’ और दिखाया गया कि लेनदेन सफल हो गया. जिसके साथ लेनदेन की एक आईडी दिखाई गई.
तीसरे पंचनामे में कहा गया है कि, ‘लेनदेन की उपरोक्त आईडी को ब्लॉक चेन एक्सप्लोरर पर चेक करने से पता चला कि वो आईडी कभी वजूद में ही नहीं थी’.
पुलिस ने कई महीने बाद तक इस घटनाक्रम को लोगों को नहीं बताया. 13 नवंबर को पुलिस आयुक्त की ओर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया, ‘साइबर एक्सपर्ट्स की राय थी कि अभियुक्त ने जिस खाते को अपना निजी खाता बताया था वो दरअसल एक एक्सचेंज का लाइव वॉलट था और अभियुक्त के पास उसकी कोई निजी चाबी नहीं थी’.
बयान में आगे कहा गया कि पुलिस वॉलट में कोई बिटक्वॉइन्स ट्रांसफर नहीं किए गए जो कि 12 जनवरी की पुलिस प्रेस रिलीज़ से अलग था.
इस अल्टा-पल्टी ने विपक्ष को नाराज़ कर दिया और कांग्रेस ने जानना चाहा कि अभियुक्त के स्वीकार करने के बाद भी उसके पास से बिटकॉयंस क्यों बरामद नहीं हुए. केंद्रीय एजेंसियों को श्रीकृष्णा के दावों से होशियार करने में सरकार की ओर से देरी पर भी कांग्रेस सवाल उठा रही है. जिसमें उसने अंतर्राष्ट्रीय बिटक्वॉइन्स एक्सचेंजेज़, वेबसाइट्स, और क्रिप्टोकरेंसी बैंकों को हैक करके, कुछ सालों में अवैध रूप से करोड़ों रुपए मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी जमा करने की बात कही थी.
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 2020 में ईडी के एक पत्र के बाद भी जिसमें श्रीकृष्णा की शिनाख़्त एक अंतर्राष्ट्रीय हैकर के तौर पर की गई थी, बेंगलुरू पुलिस ने उनके सवालों का तब तक जवाब नहीं दिया जब तक फरवरी 2021 में उन्होंने एक दूसरा पत्र नहीं भेजा.
सीसीबी ने उन मामलों में आरोप पत्र दाख़िल कर दिए हैं जिनकी वो जांच कर रही थी और अब उसने केस फाइलें ईडी और अपराध जांच विभाग (सीआईडी) को सौंप दी हैं जो अभी तक श्रीकी के खिलाफ जांच पूरी करने में लगी हैं.
इस साल अप्रैल में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की इंटरपोल विंग को भी श्रीकी की गतिविधियों से अवगत करा दिया गया था.
श्रीकृष्णा के साइबर अपराधों के ‘बड़े-बड़े दावे’?
एक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए गए अपने बयान में जिसकी एक कॉपी दिप्रिंट के पास है, श्रीकृष्णा ने दावा किया कि उसने कोडिंग और ‘वेब शोषण’ की शुरूआती चीज़ें उसी समय सीख लीं थीं जब वो चौथी क्लास में था और उसने ‘रनएस्केप’ नाम के एक एप के लिए अपना पहला बॉट भी लिखा था.
उसने आगे बताया कि जब तक वो 10वीं क्लास में आया तब तक वो ब्लैक हैट हैकर्स के एक मंच का मॉडरेटर बन चुका था. वो लोग जो गलत इरादों से कंप्यूटर नेटवर्क्स को हैक करते हैं- और पहले से ही बॉट लिखकर और एक ऑनलाइन गेम में दांव लगाकर, हज़ारों डॉलर कमा रहा था.
इन लाभदायक गतिविधियों के बीच, कॉलेज में श्रीकी के लिए कुछ ज़्यादा आकर्षण नहीं था जो कथित रूप से 17 साल की उम्र में घर से भाग गया था और इंजीनियरिंग कॉलेज बीच में छोड़ दिया था. इसकी बजाय उसके परिवार ने श्रीकी को नीदरलैण्ड्स की आइंटहॉवन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नॉलजी में अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए राज़ी कर लिया लेकिन माना जाता है कि एक सीधे और संकरे रास्ते में उसकी कभी रूचि नहीं रही.
कुछ संदिग्ध उपलब्धियां जिनका श्रीकी ने कथित रूप से दावा किया है उनमें दिसंबर 2016 में राजनेताओं, पत्रकारों, और टेलीवीज़न चैनलों के खाते हैक करना और उसके एक साल बाद बिटक्लब नेटवर्क को हैक करके, 100 बिटक्वॉइन्स चुराने की बात शामिल है. श्रीकी ने दावा किया कि 2017 और 2018 में उसने एक चीनी वेबसाइट- पीपीपोकर को हैक करके उसके कोड्स बदल दिए जिससे उसके दोस्त दूसरे खिलाड़ियों के पत्ते देखकर गेम जीत लेते थे. श्रीकी ने ये भी बताया है कि वो एक ऐसे ग्रुप का हिस्सा था जिसने 2015 और फिर 2019 में एक क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज को हैक किया था. उसने दावा किया कि दूसरे हैक में उसने 2,000 बिटकॉयन बनाए थे.
श्रीकी ने बताया कि 2019 में कर्नाटक सरकार के ई-ख़रीद पोर्टल को हैक करके, वो बोलियों, टेंडर्स, भुगतानों, आईएफएससी कोड्स और बोलीकर्त्ताओं के खातों के नंबर तक पहुंच गया था. उसने ये भी स्वीकार किया कि उसने कुल 46 करोड़ के तीन ट्रांसफर्स, कमीशन की ख़ातिर दो खातों में भेजे थे. सीआईडी और ईडी इस केस की जांच कर रही हैं.
अपने बयान में श्रीकी ने 2015 से 2020 के बीच अपनी कथित साइबर उपलब्धियों का और ब्योरा दिया है, जिसमें तारीख़ें और मुनाफा आदि सब का विवरण हैं, और दावा किया है कि उसका कोई बैंक खाता नहीं है.
बेंगलुरू पुलिस की 12 जनवरी की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, अन्य चीज़ों के अलावा श्रीकृष्णा ने तीन बिटक्वॉइन्स एक्सचेंज और 10 पोकर वेबसाइट्स के मास्टरमाइंड का भी काम किया था.
रॉबिन खंडेलवाल अपने बयान में, श्रीकी के बहुत से दावों की पुष्टि करता नज़र आता है.
खंडेलवाल ने अपने बयान में कहा, ‘मैं 2017 के बाद से श्रीकी की हैकिंग, और अवैध रूप से पैसा बनाने के तमाम तरीक़ों से वाक़िफ हूं. मैं 2017 से उसके पैसे को संभाल रहा हूं. उसने अलग अलग तारीख़ों पर मेरे वॉलट में क़रीब 130 बिटक्वॉइन्स ट्रांसफर किए हैं. अपना कमीशन काटकर पिछले कुछ सालों में, मैंने क़रीब 3,48,62,590 रुपए, अलग अलग बैंक खातों में जमा किए, जैसा श्रीकृष्णा बताता था. 1,50,00,000 रुपए एक व्यक्ति को नक़द दिए गए थे, जिसे श्रीकृष्णा ने बताया था’.
अपने स्वैच्छिक बयान में, जिसे कांग्रेस ने मीडिया के लिए जारी किया, श्रीकृष्णा ने कहा है कि उसने अपनी ज़्यादातर कमाई लग्ज़री होटलों, महंगे दौरों, ड्रग्स, और रेव पार्टियों पर उड़ा दी.
लेकिन, शनिवार को बेंगलुरू पुलिस ने कहा, कि श्रीकृष्णा के अधिकतर दावे ‘अप्रामाणित’ हैं, क्योंकि बेंगलुरू या किसी दूसरी जगह से ऐसी किसी हैकिंग के बारे में, किसी भी संबंधित देश से कोई ‘क़ानूनी अनुरोध या सूचना’ हासिल नहीं हुई थी, जैसा कि ‘अभियुक्त ने दावा किया था’.
ऐसा लगता है कि ये बयान कांग्रेस के उस आरोप का जवाब था, कि एफबीआई जैसी अंतर्राष्ट्रीय जांच एजेंसियों ने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सितंबर में अमेरिका दौरे के दौरान, उन्हें करोड़ों की साइबर धोखाधड़ी के बारे में सूचित किया था.
श्रीकृष्णा के पिता ने CBI जांच की मांग की है
इस बीच कांग्रेस ने सीसीबी जांच की आलोचना की है जिसे उसके लिए सबसे अधिक मसाला इसी साल मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए श्रीकृष्ण के स्वैच्छिक बयान और कर्नाटक हाईकोर्ट में अभियुक्त के पिता गोपाल रमेश की ओर से दायर एक याचिका से मिला है.
2 फरवरी 2021 को हाईकोर्ट में दायर एक रिट याचिका में जिसकी एक प्रति दिप्रिंट के पास है गोपाल रमेश ने आरोप लगाया कि सीसीबी ने श्रीकृष्णा को 14 नवंबर 2020 को गिरफ्तार किया था लेकिन गिरफ्तारी की तारीख़ 17 नवंबर दिखाई. उसकी हिरासत बढ़ाने के लिए पुलिस ने एक के बाद एक छह केस दर्ज किए थे.
याचिका में ये भी आरोप लगाया गया कि श्रीकृष्णा जब पुलिस हिरासत में था तो उसे एक दर्द-निवारक दवा के ‘भारी डोज़’ दिए गए थे.
अपनी याचिका में गोपाल रमेश ने आरोप लगाया है कि श्रीकृष्णा के सिस्टम से ड्रग्स निकालने के लिए पुलिस ने उसके पेट को पंप किया था जबकि कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया था. कांग्रेस ने भी जानना चाहा है कि पुलिस हिरासत के दौरान अभियुक्त को नुस्ख़े से दी जाने वाली दवाएं क्यों सप्लाई की गईं.
याचिका के छह आवेदनों में से एक ये था कि केस को सीबीआई या किसी विशेष जांच टीम के हवाले किए जाए. कांग्रेस के हमले के बाद शनिवार को जारी एक ‘स्पष्टीकरण’ में बेंगलुरू पुलिस ने कहा कि हाईकोर्ट ने याचिका को ख़ारिज कर दिया था.
जारी विवाद के बीच श्रीकृष्णा ने वही लकीर पकड़ ली है जो बोम्मई के जैसी लगती है. झगड़े के मामले में ज़मानत के बाद बुधवार को बेंगलुरू सेंट्रल जेल से बाहर आते हुए श्रीकृष्णा ने पत्रकारों से कहा, ‘बिटक्वाइन मामले में कुछ नहीं है. ये सब बकवास और फर्ज़ी है’. पत्रकारों के लिए उसका विदाई जुमला था ‘ठंड’ रखें, और उसे घर जाने दें.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
हालांकि कांग्रेस और बीजेपी नेता एक दूसरे पर उंगली उठा रहे हैं लेकिन साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि ‘लापता’ बिटक्वॉइन्स की व्याख्या नीरस साबित हो सकती है.
एक टेक्नॉलजी प्रेक्टीशनर और सॉफ्टवेयर कंपनी के सीईओ किरन जोन्नलगड्डा ने दिप्रिंट से कहा, ‘क्रिप्टोकरेंसीज़ को खोना बहुत आसान है, क्योंकि वो एक खुफिया चाबी पर निर्भर करती हैं जो वाक़ई में एक बहुत लंबा पासवर्ड होता है. उसका अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता लेकिन कॉपी ज़रूर किया जा सकता है और इससे चोरी की गुंजाइश पैदा हो सकती है’.
उन्होंने कहा, ‘क्रिप्टोकरेंसीज़, जो यूज़र लॉग-इन या हैकिंग के ज़रिए चुराई जाती हैं, उन्हें फौरन ही दूसरे खातों में भेज दिया जाता है. आमतौर से हम पता नहीं लगा पाते कि वो कहां गई हैं. क्रिप्टोकरेंसीज़ का पता लगाने के लिए ऐसे संसाधन चाहिए होते हैं जो केवल राष्ट्रीय सरकारों के पास होते हैं’. उन्होंने आगे कहा कि करोड़ों के घोटाले ने उन्हें ब्लू व्हेल चेलेंज पर फैले ग़ुस्से की याद दिला दी एक ऐसी प्रवृत्ति जिसके पीछे वास्तविकता की बजाय अफवाहों से फैली घबराहट ज़्यादा थी.
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