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Tuesday, 5 November, 2024
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एक लड़की, उसका ‘हत्यारा’ और एक गुरु – कैसे अपनी ‘हत्या’ के बाद एक महिला सात साल बाद जिंदा मिली

महिला 2015 में लापता हो गई थी, तब उसके माता-पिता ने पुलिस से कहा था कि आगरा से बरामद अज्ञात शव उनकी बेटी की है. लेकिन वह जिंदा है और अपने पति एवं बच्चों के साथ रह रही है. महिला को ऑब्जर्वेशन होम ले जाया गया है.

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लखनऊ: एक लड़की लापता हो जाती है और एक युवक को उसकी ‘हत्या’ के लिए जेल भेज दिया जाता है. लेकिन सालों बाद पता चलता है कि वह जिंदा है. अब उसकी शादी हो चुकी है और उसके दो बच्चे हैं. लेकिन इस मामले को सुलझाने वाली पुलिस नहीं है बल्कि एक आध्यात्मिक गुरु हैं.

सात साल पहले उसके माता-पिता ने पुलिस को बताया था कि एत्मादपुर, आगरा से बरामद एक अज्ञात शव उनकी 15 वर्षीय बेटी का है. लेकिन वही लड़की अब बड़ी हो चुकी है और उसे हाथरस में देखा गया. वह जिंदा है और 2015 से उसकी अपहरण और हत्या का आरोपी सलाखों के पीछे अपने दिन काट रहा है.

उस महिला को देखकर पहचानने वाले गुरूजी भला हैं कौन! यह आरोपी की मां के गुरु, वृंदावन के एक आध्यात्मिक शिक्षक हैं, जो हाथरस के टिपरस गांव में एक कथा (पाठ) के दौरान ‘लापता’ महिला को देखने का दावा कर रहे हैं. गुरु ने आरोप लगाया है कि महिला अपने परिवार के संपर्क में थी. पुलिस का कहना है कि अगर उनके डीएनए के नमूने महिला के डीएनए से मेल खाते हैं तो उन्हें प्राथमिकी का सामना करना पड़ेगा.

फिलहाल महिला को न्यायिक हिरासत में निगरानी गृह में भेज दिया गया है.

मामला फरवरी 2015 का है, जब 10वीं कक्षा में पढ़ने वाली प्रवेश एक मंदिर से लापता हो गई थी. वह शिवरात्रि के दिन वहां पूजा करने के लिए गई और फिर लौटकर नहीं आई. उस समय उसके माता-पिता ने अपने पड़ोसी विष्णु गौतम पर उसका अपहरण करने का आरोप लगाया था, जो कथित तौर पर उसे शादी के लिए मजबूर कर रहा था. दोनों परिवार अलीगढ़ के गोंडा प्रखंड के धतौली गांव के रहने वाले थे.

विष्णु पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 363 (अपहरण की सजा) और 366 (महिला को उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी से शादी करने के लिए मजबूर करने के लिए अपहरण) के तहत मामला दर्ज किया गया था. अलीगढ़ के एक पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि मार्च 2015 में प्रवेश के माता-पिता ने बरामद एक शव की पहचान अपनी बेटी के रूप में की थी. उसके बाद धारा 302 (हत्या) और 201(सबूतों को नष्ट करना) भी आरोपी के खिलाफ लगाई गई थी.

टुंडला पुलिस ने 19 अगस्त, 2015 को एक हिस्ट्रीशीटर को कथित रूप से पुलिस हिरासत से भागने में मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. विष्णु 2020 तक सलाखों के पीछे था, फिर उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया था. लेकिन इस साल अक्टूबर में उसे फिर से अपहरण और हत्या के मामले में जेल भेज दिया गया. मामला अभी भी विचाराधीन है.

इस महीने की शुरुआत में ही विष्णु की मां के गुरु भगवताचार्य उदय कृष्ण शास्त्री ने प्रवेश को देखा और यूपी पुलिस से संपर्क करने से पहले मां को सतर्क किया.

शास्त्री के अनुसार, सात साल पहले उनकी शिष्या सुनीता (विष्णु की मां) ने उन्हें प्रवेश की तस्वीरें दिखाई थीं. इसी वजह से उन्होंने प्रवेश को पहचान लिया. उन्होंने कहा कि लड़के की मां ने ‘लापता’ लड़की का पता लगाने के लिए उनसे मदद मांगी थी, साथ ही आरोप लगाया था कि विष्णु को फंसाया गया है. उनके पति की 26 साल पहले मृत्यु हो गई थी.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया: ‘सुनीता मेरी शिष्या हैं और वृंदावन में मेरे आश्रम में नियमित रूप से आती हैं… कुछ दिन पहले, मैं भागवत कथा (भगवद गीता का पाठ) के लिए टिपरस गांव गया था जहां मैंने इस महिला को देखा था. वह कुछ दिनों से मेरे भजनों में शामिल हो रही थी. जब मैंने अन्य उपस्थित लोगों से उसके बारे में पूछा, तो उन्होंने मुझे बताया कि वह अपने घर से भाग कर यहां आई थी और अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ शादी कर ली थी.

शास्त्री ने कहा कि महिला के बारे में सुनकर उन्हें संदेह हुआ और उन्होंने अपने शिष्यों से उनकी तस्वीरें खींचने के लिए कहा. फिर इन तस्वीरों को उन्होंने सुनीता के साथ साझा किया. सुनीता ने महिला की पहचान प्रवेश के रूप में की. उन्होंने कहा, ‘वह (सुनीता) आश्वस्त थी और कहा कि उनके परिवार एक ही गांव के थे और उसने उसे (प्रवेश) बचपन से देखा है. मैं उसके साथ अलीगढ़ एसएसपी (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक) से मिलने गया, जिसके बाद अधिकारी ने जांच के आदेश दिए.’


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पुलिस ने कहा, लड़की के माता-पिता पर विश्वास नहीं कर सकती

शास्त्री और सुनीता ने अलीगढ़ के एसएसपी कलानिधि नैथानी से संपर्क किया. इसके बाद गोंडा पुलिस स्टेशन के अधिकारियों की एक टीम को हाथरस गेट क्षेत्र के नगला चौखा गांव में भेजा गया. वहां उन्होंने पाया कि प्रवेश अपने पति राजकुमार और दो बच्चों के साथ ‘पूजा’ के रूप में रह रही थी.

पुलिस के अनुसार, सोमवार को गोंडा थाने में उसके माता-पिता और भाई ने महिला की पहचान प्रवेश के रूप में की थी.

इगलास के सर्कल ऑफिसर (सीओ) राघवेंद्र सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘महिला के माता-पिता ने उसकी पहचान प्रवेश के रूप में की, जिसके बाद उसे अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र नाथ पांडेय की (पॉक्सो) अदालत में पेश किया गया. माता-पिता और महिला के डीएनए की जांच की जाएगी. क्योंकि पहले उन्होंने एक मृत शरीर की पहचान अपनी बेटी के रूप में की थी और अब इस महिला को प्रवेश बता रहे हैं. उनके बयानों पर विश्वास नहीं किया जा सकता है और उन्हें सबूत के साथ कानूनी रूप से दर्ज करने की जरूरत है.’

सोमवार को गोंडा पुलिस स्टेशन के एसएचओ (स्टेशन हाउस ऑफिसर) उमेश कुमार शर्मा ने POCSO कोर्ट से दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 164 के तहत प्रवेश और उसके माता-पिता का बयान दर्ज करने की अनुमति मांगी और उनके डीएनए सैंपल की प्रोफाइलिंग के लिए भी कहा.

अलीगढ़ पुलिस के सूत्रों ने कहा कि डीएनए सैंपल मैच होने पर महिला और उसके माता-पिता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है.

अखबार अमर उजाला ने प्रवेश के पिता देवेंद्र सिंह के हवाले से कहा कि वे पिछले डेढ़ साल से अपनी बेटी के संपर्क में थे. वे चुप रहे क्योंकि वे डरे हुए थे, किसी कानूनी झंझट में नहीं पड़ना चाहते थे और इस घटना की वजह से अपने ऊपर लगने वाले कलंक के बारे में चिंतित थे.

दिप्रिंट से बात करते हुए, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता कुमार मिहिर ने समझाया कि, किसी भी हत्या के मामले में, यह ‘निर्णायक रूप से पता लगाया जाना चाहिए’ कि बरामद शव उस व्यक्ति का है जिसकी कथित रूप से हत्या की गई थी.

उन्होंने कहा, ‘श्रद्धा वाकर मामले में भी पुलिस के सामने समस्या यह है कि वे उसके सिर का पता नहीं लगा पाएं हैं. हालांकि शरीर के अन्य अंग तो उन्हें मिल गए हैं. इस मामले में चार्जशीट और उसके बाद पुलिस द्वारा पेश किए गए सबूतों को देखना होगा कि वह कितने महत्वपूर्ण हैं. ऐसा लगता है कि सबूत स्वाभाविक रूप से मजबूत नहीं हैं.’

भारत में अपकृत्य कानून का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘हमारे देश में समस्या यह है कि एक दुर्भावनापूर्ण मामले के लिए अपकृत्य के रूप में मुआवजा मांगा जा सकता है, लेकिन कोई भी अदालत वास्तव में क्षतिपूर्ति नहीं करती है. जबकि पश्चिमी देशों में ऐसा नहीं है. अगर अमेरिका में दुर्भावनापूर्ण मुकदमा दायर किया जाता है, तो वहां की न्यायपालिका पीड़ित को भारी मुआवजा देती है.’

विष्णु की मां ने कहा, ‘हमें असली अपराधी मिल गया’

सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में सुनीता गौतम ने दोहराया कि उनके बेटे विष्णु को फंसाया गया था. ‘उस (विष्णु) पर एत्मादपुर में उसकी (प्रवेश) हत्या का आरोप लगाया गया था. मेरे बेटे ने कोई गलत काम नहीं किया है. मैं एक गरीब महिला हूं जो अपने बच्चों को पालने की कोशिश कर रही थी. मेरे महाराज जी (आध्यात्मिक गुरू) ने मुझसे वो तस्वीरें साझा की थी. तब मैंने उन्हें बताया कि यह वही लड़की है. उसी समय मुझे पता चला कि वह जिंदा है. मेरा बेटा निर्दोष है और उसे इस मामले में फंसाया गया है. मैं इस मामले में फैसला चाहती हूं.’

यह मांग करते हुए कि परिवार की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार लोगों पर मामला दर्ज किया जाए, उन्होंने अदालतों से बिना समय बर्बाद किए विष्णु को बरी करने का आग्रह किया. अदालत के बाहर उन्होंने मीडिया से कहा, ‘सात साल बाद हमें असली अपराधी मिल गया है.’

उनके गुरु शास्त्री ने भी कहा कि उन्हें इस मामले में विष्णु को फंसाने की साजिश का आभास हो गया था.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘हमें बताया गया कि महिला कम से कम डेढ़ साल पहले से अपने माता-पिता के संपर्क में थी. जिस युवक से उसने शादी की है वह उसका दूर का रिश्तेदार है. यह जानने के बावजूद कि उनकी बेटी जीवित है, उसके परिवार ने पुलिस को सूचना नहीं दी.’

उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा लगता है कि वे विष्णु को फंसाना चाहते थे. क्योंकि दोनों एक-दूसरे से बात करते थे और महिला के परिवार को यह पसंद नहीं था. दोनों अलग-अलग जातियों से आते हैं. गांव में विष्णु की छवि एक विद्रोही किशोर की थी, इसलिए उन्होंने (लड़की के परिवार) ने बस उसका नाम लिया और उस पर अपहरण और बाद में हत्या (अपनी बेटी की) का आरोप लगा दिया.

अलीगढ़ पुलिस का दावा है कि हो सकता है कि वह इस मामले में निर्दोष हो. लेकिन विष्णु एक ‘ज्ञात अपराधी’ है. सीओ (इगलास) राघवेंद्र सिंह ने कहा कि उसके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं. जिनमें से कुछ तो इस मामले में आरोपित होने से पहले दायर किए गए थे.

सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘मई 2015 में उस पर (विष्णु) हिस्ट्रीशीटर पंकज उर्फ भोला को पुलिस हिरासत से भागने में मदद करने का आरोप लगाया गया था. भोला को मथुरा जेल से फिरोजाबाद जेल ले जाया जा रहा था. तब उस पर (विष्णु) एक पुलिसकर्मी की राइफल लूटने का भी आरोप लगाया गया था. यहां तक कि उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट और एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) का मामला भी दर्ज है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद: संघप्रिया मौर्य)
(संपादन: अलमिना खातून)


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