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Tuesday, 24 September, 2024
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मध्यप्रदेश के एमएसएमई क्षेत्र ने बजट को सराहा, आयकर राहत की उम्मीद टूटने से व्यापार जगत मायूस

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इंदौर, एक फरवरी (भाषा) मध्यप्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के एक अग्रणी संगठन ने मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा पेश आज बजट की सराहना करते हुए इसे ‘दूरगामी सोच पर केंद्रित’ करार दिया, जबकि व्यापार जगत के एक महासंघ ने कामकाजी लोगों को आयकर में कोई राहत नहीं दिए जाने के कारण बजट को लेकर गहरी निराशा जाहिर की।

एमएसएमई क्षेत्र के औद्योगिक संगठन एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्रीज मध्यप्रदेश के अध्यक्ष प्रमोद डफरिया ने कहा, ‘केंद्र सरकार का बजट उसकी दूरगामी सोच पर केंद्रित है। इससे एमएसएमई क्षेत्र और बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं को बल मिलेगा।’’

उन्होंने कहा कि बजट में पूंजीगत व्यय 35.4 प्रतिशत बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये किए जाने से देश में औद्योगिक निवेश और विकास की रफ्तार तेज होगी।

सूबे के आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर के कारोबारी संगठनों के महासंघ अहिल्या चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने बजट को ‘घोर निराशाजनक’ बताया। उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद कर रहे थे कि आम लोगों को कोविड-19 के तगड़े झटकों और कमरतोड़ महंगाई से राहत देने के लिए केंद्र सरकार बजट के जरिये आयकर घटाएगी। लेकिन आयकर दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया।’’

खंडेलवाल ने कहा कि बजट में अपेक्षित आयकर राहत नहीं मिलने से कामकाजी लोगों की खरीद क्षमता घटेगी और इसका सीधा दुष्प्रभाव कारोबार जगत को झेलना पड़ेगा।

राज्य के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर के 1,500 छोटे-बड़े उद्योगों की नुमाइंदगी करने वाले पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने मौजूदा विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) कानून के स्थान पर नया कानून लाने के बजट प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा, ‘हमें उम्मीद है कि नये कानून में सेज इकाइयों को न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) और नगरीय निकायों के वसूले जाने वाले स्थानीय करों से मुक्ति मिलेगी।’

गौरतलब है कि पीथमपुर में राज्य का इकलौता बहुउत्पादीय सेज भी है।

कोठारी ने यह भी कहा कि बजट प्रस्तावों ने राज्य में सड़कों और लॉजिस्टिक्स (माल के परिवहन एवं आपूर्ति का व्यवसाय) केंद्रों के विकास के साथ ही रक्षा उपकरणों तथा अर्थ मूविंग मशीनों के विनिर्माण के नये अवसर पैदा किए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अब यह राज्य सरकार पर निर्भर है कि वह इन अवसरों को भुनाने के लिए अपनी औद्योगिक नीति में किस तरह बदलाव करती है।’’

भाषा हर्ष अर्पणा

अर्पणा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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