(उज्मी अत्हर)
इंदौर, 17 जून (भाषा) इंदौर के सेठी नगर इलाके के वार्ड 67 की महिलाएं हर मंगलवार को अपने घरों से बाहर निकलकर स्थानीय आंगनवाड़ी केंद्र में एकत्र होती हैं। यहां वे केवल पोषण सामग्री लेने या बच्चों का वजन कराने नहीं आतीं, बल्कि बात करने आती हैं- अपने बारे में, उन बातों के बारे में जिन्हें वे घर पर कभी खुलकर नहीं कह पातीं।
प्रिया (बदला हुआ नाम) कहती है, ‘मेरे घर में कभी ऐसा माहौल नहीं था जहां मैं अपने मन की बात कह सकूं।’ वह अब हर हफ्ते मंगल दिवस सत्र में भाग लेना नहीं भूलतीं।
उन्होंने कहा, ‘पहले मुझे दूसरों के सामने बोलने में डर लगता था। मुझे आज भी याद है जब मैंने पहली बार यहां बोलने की कोशिश की थी, तो मेरे पैर कांप रहे थे। लेकिन अब मैं आत्मविश्वास से बोल सकती हूं।’
देशभर के हजारों आंगनवाड़ी केंद्रों की तरह यह केंद्र भी छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए है। लेकिन इस मोहल्ले में यह केंद्र धीरे-धीरे महिलाओं के लिए एक सुरक्षित स्थान के रूप में उभरा है, जहां वे वैवाहिक समस्याओं, घरेलू हिंसा, आर्थिक तनाव और मासिक धर्म से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं जैसे मुद्दों पर खुलकर बात करती हैं।
केंद्र की कार्यकर्ता रेनुका यादव ने कहा, ‘अब महिलाएं यहां केवल राशन लेने नहीं आतीं।’
उन्होंने कहा, ‘वे बात करने आती हैं। किशोरियां भी आती हैं, खासकर जब उन्हें स्त्रीरोग संबंधी समस्याएं होती हैं या वे घर में किसी से मासिक धर्म पर बात करने में असहज महसूस करती हैं।’
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता चंदना मालवी ने बताया कि कुछ माताएं घरेलू हिंसा का भी सामना कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘हम उन्हें ‘वन-स्टॉप सेंटर’ जैसी संबंधित संस्थाओं तक पहुंचने में मदद करते हैं।’
यह केंद्र कुपोषित बच्चों की मदद के मामले में भी कुछ सफलताएं दर्ज कर चुका है। उदाहरण के तौर पर, रोशनी (बदला हुआ नाम) नामक एक कुपोषित बच्ची को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की सलाह पर पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा गया था।
एक अन्य महिला राधा ने बताया कि केंद्र की मदद से उन्होंने अपनी बेटी का लाड़ली लक्ष्मी योजना में नामांकन कराया। उन्होंने कहा, ‘उसे कक्षा छठवीं, नौंवी, ग्यारहवीं और बारहवीं में आर्थिक सहायता मिली। अब वह नीट की तैयारी कर रही है।’
पूनम, जो गर्भवती थीं और आर्थिक रूप से कठिन समय से गुजर रही थीं, ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत मिले 6,000 रुपये का उपयोग पोषणयुक्त भोजन के लिए किया।
उन्होंने कहा, ‘मेरा वजन बहुत कम था और बच्चे की सेहत को लेकर डर था। आंगनवाड़ी मैडम ने इस योजना में पंजीकरण की सलाह दी और मैंने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया।’
मंगलवार को महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सवित्री ठाकुर ने इस केंद्र का दौरा किया और महिलाओं से बातचीत की। उन्होंने पूछा कि आंगनवाड़ी ने उन्हें किस प्रकार सहायता पहुंचाई है।
कई महिलाओं ने बताया कि यह स्थान उनके लिए उन कुछ जगहों में से एक है जहां वे बिना किसी पूर्वाग्रह के मदद मांग सकती हैं।
केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, यह कुल 1,047 की आबादी को सेवाएं प्रदान करता है, जिनमें 11 गर्भवती महिलाएं और आठ स्तनपान कराने वाली माताएं शामिल हैं। छह वर्ष से कम आयु के लगभग 90 बच्चे यहां पंजीकृत हैं।
भाषा राखी मनीषा
मनीषा
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