सिवनी (मप्र), 23 मई (भाषा) मध्यप्रदेश में जीवित या गैर-मौजूद लोगों को सांप के काटने से मृत बताकर 11 करोड़ रुपये से अधिक का फर्जी तरीके से मुआवजा दिया गया। एक आधिकारिक जांच में यह पता चला है।
अधिकारियों ने ‘पीटीआई वीडियो’ को बताया कि 2019 से 2022 के बीच हुए इस घोटाले के लिए 21 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
घोटालेबाजों ने सरकार के उस नियम का फायदा उठाया जिसके तहत सांप के काटने सहित प्राकृतिक आपदाओं के पीड़ितों को चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है।
इस सप्ताह की शुरुआत में जबलपुर संभाग के संयुक्त निदेशक (बजट एवं लेखा विभाग) रोहित सिंह कौशल ने ‘पीटीआई वीडियो’ को बताया, ‘‘सांप के काटने से पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए अधिकारियों की मिलीभगत से 279 फर्जी नामों का इस्तेमाल कर पैसे निकाले गए। मृत्यु प्रमाण पत्र, पुलिस सत्यापन रिपोर्ट और पोस्टमार्टम रिपोर्ट की जांच किए बिना ही यह राशि मंजूर कर दी गई।’’
उन्होंने बताया कि सहायक ग्रेड-3 कर्मचारी सचिन दहायत मुख्य साजिशकर्ता है, जिसने अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से कथित तौर पर सरकार की एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (आईएफएमएस) में हेराफेरी की और पैसे निकाले।
कौशल ने बताया, ‘‘हमारी जांच के दौरान पता चला कि कागजों पर जिन लोगों को मृत (सांप के काटने से) घोषित किया गया था, वे वास्तव में जीवित थे। साथ ही, मृतकों की सूची में कई फर्जी नाम भी थे।’’
केवलारी थाना प्रभारी एस एस राम टेककर ने बताया कि कुल 11.26 करोड़ रुपये धोखाधड़ी से 46 खातों में भेजे गए। उन्होंने बताया कि इस मामले में 21 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने बताया, ‘‘मुख्य आरोपी सचिन दहायत पहले से ही हिरासत में है और 25 अन्य संदिग्धों को गिरफ्तार करने के प्रयास जारी हैं।’’
कौशल ने कहा कि कुछ मामलों में, मुआवजे का दावा करने के लिए एक ही नाम से कई मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए थे।
संत कुमार बघेल को आधिकारिक तौर पर सांप के काटने के कारण मृत घोषित कर दिया गया था। रिकॉर्ड से पता चलता है कि उनकी ‘मृत्यु’ पर कई लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है। लेकिन ‘पीटीआई वीडियो’ की टीम ने उन्हें सिवनी जिले के मलारी गांव में जीवित पाया।
बघेल ने ‘पीटीआई वीडियो’ टीम से कहा, ‘‘मैंने सुना है कि केवलारी तहसील में ऐसा घोटाला हो रहा है। अब जब आप यहां आए हैं, तो मुझे पता चला है कि मुझे मृत घोषित कर दिया गया और मेरे नाम पर पैसे निकाले गए। लेकिन मेरे साथ कुछ नहीं हुआ था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी चीजें न हों।’’
बघेल के परिवार के सदस्य भी यह जानकर हैरान रह गए कि किसी ने मुआवजे का दावा करने के लिए उनके नाम का इस्तेमाल किया।
संत कुमार के चाचा दुर्वेन सिंह बघेल ने कहा, ‘‘हां, वह यहीं रहते हैं। वह मेरे भतीजे हैं और उनकी मौत सांप के काटने से नहीं हुई। वह जीवित हैं और उनकी वर्तमान आयु 75 वर्ष है।’’
बघेल तो जीवित हैं, लेकिन उन्हें सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया। जांच में पता चला कि बिछुआ रैयत गांव की निवासी द्वारका बाई का कभी अस्तित्व ही नहीं था, फिर भी उनके नाम पर कई मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘उनके नाम पर 28 बार चार लाख रुपये निकाले गए।’’
बिछुआ रैयत निवासी केशुराम गजल (59) ने बताया, ‘‘नहीं, इस गांव में इस नाम की कोई महिला नहीं है। न ही इस महिला को सांप ने काटा हो, इसकी कोई रिपोर्ट है…अगर वह यहां रहती ही नहीं, तो हम उसके बारे में कैसे जान सकते हैं?’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपसे पहली बार इस नाम की महिला के बारे में सुन रहा हूं।’’
सरपंच अर्जुन राय ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा, ‘‘यहां इस नाम की कोई महिला नहीं है…इस तरह की कोई सांप काटने की घटना नहीं हुई है।’’
इसी तरह, ‘श्री राम’ और ‘राम प्रसाद’ हैं जिनके नाम पर फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए। सुकतारा गांव निवासी ‘विष्णु प्रसाद’ की सांप काटने से मौत हो गई और आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार मुआवजा दिया गया। सिवाय इसके कि स्थानीय ग्रामीणों ने ऐसे किसी व्यक्ति के बारे में कभी नहीं सुना।
प्रीतम सिंह ने कहा, ‘‘नहीं, हमारे ग्राम पंचायत क्षेत्र में विष्णु प्रसाद नाम का कोई व्यक्ति नहीं है, जिसकी सांप काटने से मौत हुई हो।’’
स्थानीय निवासी ने कहा, ‘‘यह एक घोटाला है। हम पिछले चार साल से मीडिया के माध्यम से जान रहे हैं कि हमारे केवलारी तहसील में एक बड़ा घोटाला हो रहा है।’’
भाषा दिमो आशीष
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