जबलपुर, 30 जुलाई (भाषा) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने वर्ष 2021 में छतरपुर जिले में करंट लगाकर अपने पति की हत्या करने के मामले में आरोपी रसायन विज्ञान की पूर्व प्रोफेसर ममता पाठक की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति देवनारायण मिश्रा की खंडपीठ ने मंगलवार को छतरपुर की अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा।
ममता ने इस मामले में खुद अपना पक्ष रखा और अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए कई ऐसे वैज्ञानिक तर्क दिए, जिसने अदालत को भी अचरज में डाल दिया। ममता के पति डॉ. नीरज पाठक की मौत 29 अप्रैल, 2021 को लोकनाथपुरम कॉलोनी स्थित उनके घर पर हुई थी और उनके शरीर पर बिजली के करंट से जलने के निशान पाए गए थे।
वह छतरपुर जिला अस्पताल में तैनात थे।
उच्च न्यायालय ने कहा कि पूरी स्थिति से पता चलता है कि पत्नी ने पहले पति को नशीली दवा देकर बेहोश किया और बाद में करंट लगाकर उसकी हत्या की। खंडपीठ ने सजा के अस्थायी निलंबन को रद्द करते हुए आरोपियों को निर्देश दिया कि वह शेष सजा काटने के लिए तुरंत निचली अदालत में आत्मसमर्पण कर दें।
उच्च न्यायालय ने इस साल अप्रैल में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि ममता पाठक मौत से केवल 10 महीने पहले अपने पति के साथ रहने आई थी और घटना के समय घर में मौजूद थीं।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, घटना वाले दिन दोपहर से पहले डॉ. नीरज ने अपने एक रिश्तेदार को फोन किया था और दावा किया था कि उनकी पत्नी उन्हें प्रताड़ित कर रही है, खाना नहीं दे रही है और उन्हें शौचालय के अंदर बंद कर दिया है। इसके बाद रिश्तेदार ने पुलिस से संपर्क किया और चिकित्सक को शौचालय से बाहर निकाला गया।
रिश्तेदार ने इस बातचीत की रिकॉर्डिंग पुलिस को दी और अदालत में बयान भी दर्ज कराया।
छतरपुर की एक अदालत ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर ममता पाठक को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
ममता ने फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की।
रसायन विज्ञान की पूर्व प्रोफेसर ने उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए दलील दी कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण बिजली का झटका बताया गया था। उन्होंने अदालत को बताया कि मृतक के शरीर पर पाए गए जलने के निशान दोनों तरह के थे- इलेक्ट्रिक (बिजली के करंट) और थर्मल (गर्मी से जलना) लेकिन उनकी तकनीकी जांच नहीं की गई।
पूर्व प्रोफेसर ने दलील दी कि घर में एमसीबी और आरसीसीबी जैसे सुरक्षा उपकरण लगाए गए थे, लिहाजा शॉर्ट सर्किट या करंट की वजह से मौत संभव नहीं है, इसके बावजूद, न तो फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की टीम और न ही किसी विद्युत विशेषज्ञ को जांच के लिए घर पर भेजा गया।
शुरुआती सुनवाई के दौरान प्रोफेसर ने खुद ही मामले में पैरवी की हालांकि बाद में वकीलों ने अदालत में उनका पक्ष रखा।
खंडपीठ ने 97 पन्नों के अपने आदेश में ममता की उम्रकैद की सजा बरकरार रखते हुए कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य आपस में जुड़े हुए हैं।
भाषा सं ब्रजेन्द्र जितेंद्र
जितेंद्र
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