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Tuesday, 9 September, 2025
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मप्र : मुख्यमंत्री की मौजूदगी में भाजपा नेता के बेटे ने सरकार पर बोला हमला, कांग्रेस ने सराहा

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इंदौर (मध्यप्रदेश), नौ सितंबर (भाषा) मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव के बेटे संघमित्र के एक भाषण का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से प्रसारित हो रहा है। इस वीडियो में संघमित्र एक हालिया वाद-विवाद प्रतियोगिता में विपक्षी वक्ता के तौर पर बोलते हुए रेलवे सुविधाओं में कथित कमियों को लेकर सरकार को बेबाकी से घेरते नजर आ रहे हैं जिसके बाद उनके भाषण ने सियासी तूल पकड़ लिया है।

वाद-विवाद प्रतियोगिता के मंच पर संघमित्र के महापौर पिता के साथ ही सूबे के मुख्यमंत्री मोहन यादव और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर समेत भाजपा के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे।

संघमित्र ने इंदौर में आयोजित ‘दादा निर्भय सिंह पटेल स्मृति वाद-विवाद प्रतियोगिता’ में हिस्सा लेते हुए कहा, ‘‘रेलों में वेटिंग लिस्ट का आलम तो ऐसा है कि 50 लाख से ज्यादा लोग हर साल टिकट लेने के बाद भी सफर नहीं कर पाते हैं।’

भाजपा नेता पुष्यमित्र भार्गव के बेटे संघमित्र ने विपक्षी वक्ता के तौर पर बोलते हुए कहा, ‘‘बुलेट ट्रेन का वादा हुआ था। कहा गया था कि वर्ष 2022 तक अहमदाबाद से मुंबई सरसराते हुए ट्रेन जाएगी, लेकिन 2025 आ गया है। बुलेट ट्रेन तो नहीं, लेकिन वादाखिलाफी रफ्तार से जरूर दौड़ रही है। करोड़ों रुपये खर्च हो गए, जमीन अधिग्रहण में घोटाले हो गए, लेकिन बुलेट ट्रेन सरकार के पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन से बाहर नहीं आ पा रही है।’’

संघमित्र ने रेलवे की स्वदेशी तौर पर विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ पर भी सवाल उठाए और दावा किया कि ‘‘पिछले 10 साल में 20,000 लोगों ने रेल हादसों में अपनी जान गंवाई है।’’

उन्होंने कहा, ‘..जब (हादसों में) रेल के डिब्बे टूटते हैं, रेल पटरी से फिसलती है, तब सिर्फ उस रेल के डिब्बे नहीं टूटते, एक मां की गोद सूनी हो जाती है, किसी बच्चे का भविष्य अंधकार में चला जाता है और एक बूढ़े पिता की आंखों से उसकी आखिरी उम्मीद छिन जाती है।’’

संघमित्र के भाषण के बाद मुख्यमंत्री यादव ने स्पर्धा में भाग लेने वाले सभी युवाओं की वक्तृत्व कला की तारीफ की। उन्होंने कहा कि भारत में वाद-विवाद की प्राचीन परंपरा रही है और ऐसे नौजवान भविष्य में देश के लोकतंत्र को मजबूत करेंगे।

मुख्यमंत्री ने स्पर्धा के मंच से अपने उद्बोधन में कहा, ‘‘मैं अपने भतीजे (संघमित्र) के लिए भी जोरदार तालियां बजवाऊंगा। उसे (वाद-विवाद प्रतियोगिता में) विपक्षी वक्ता के रूप में बोलने की जिम्मेदारी दी गई, तो वह विपक्ष में बोला। इसमें कोई मनाही नहीं है, लेकिन मैं उसके कुछ विषय जरूर सुधरवाऊंगा।’’

संघमित्र का भाषण सोशल मीडिया पर प्रसारित होते ही लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। कांग्रेस के कई नेता इस भाषण को हाथों-हाथ लेते हुए इसका वीडियो साझा कर रहे हैं और सरकार पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता के बेटे की ‘बेबाकी’ की जमकर तारीफ कर रहे हैं।

इनमें शामिल राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने संघमित्र को ‘काफी प्रभावशाली वक्ता’ बताते हुए उन्हें बधाई दी है।

उधर, इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने अपने बेटे का खुलकर बचाव किया है। उन्होंने कहा कि दूसरे विद्यार्थियों की तरह संघमित्र ने भी वाद-विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और स्पर्धा के नियमों के अनुरूप ‘श्रेष्ठ प्रदर्शन’ किया, इसलिए आयोजकों ने उसे पुरस्कृत भी किया।

वकालत से भाजपा की सक्रिय राजनीति में आए भार्गव ने कहा, ‘‘वाद-विवाद प्रतियोगिता एक खेल है, लेकिन कांग्रेस की समस्या यह है कि वह खेल में राजनीति करती है और राजनीति को खेल समझती है। इसलिए सृजन के बजाय कांग्रेस का विसर्जन हो रहा है।’’

संघमित्र जिस वाद-विवाद प्रतियोगिता में अपने भाषण से चर्चित हो रहे हैं, वह राज्य के पूर्व मंत्री और इंदौर के दिवंगत भाजपा नेता निर्भय सिंह पटेल की याद में हर साल आयोजित की जाती है। निर्भय सिंह पटेल के बेटे मनोज पटेल जिले के देपालपुर क्षेत्र से भाजपा विधायक हैं।

संघमित्र के भाषण को लेकर सियासत तेज होने पर वाद-विवाद प्रतियोगिता के आयोजकों ने सफाई देते हुए कहा है कि इस ‘अकादमिक कार्यक्रम’ का राजनीति से कोई भी संबंध नहीं है।

भाजपा विधायक मनोज पटेल के बेटे नीरल ने कहा, ‘इस प्रतियोगिता में विद्यार्थियों को विभिन्न मंत्रालयों जैसे रेल, खेल, कृषि आदि में से चयन करके पक्ष और विपक्ष में अपने विचार प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया था। यह केवल अकादमिक अभ्यास था जिसमें प्रतिभागी संघमित्र भार्गव द्वारा रखा गया पक्ष नितांत रूप से छात्र की निजी सोच और प्रस्तुति का हिस्सा था, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस इस अकादमिक कार्यक्रम का राजनीतिकरण कर रही है।’

नीरल ने कहा, ‘विशेषकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर इस प्रसंग को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया है जो विद्यार्थियों के उत्साह को तोड़ने और उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास है। कांग्रेस नेताओं को बेवजह विवाद खड़े करने के बजाय समाज और जनता के बीच रचनात्मक कार्य करने चाहिए।’

भाषा हर्ष मनीषा अमित

अमित

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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