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रविवार, 27 अप्रैल, 2025
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प्रोटीन की कमी से जूझ रहे देश के ज्यादातर लोग, सोयाबीन की खपत बढ़ाई जाए : संगठन

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इंदौर (मध्यप्रदेश), चार अप्रैल (भाषा) भारत के ज्यादातर लोगों में प्रोटीन की कमी का दावा करते हुए उद्योग जगत के एक संगठन ने शुक्रवार को कहा कि देश में दैनिक आधार पर प्रति व्यक्ति सोयाबीन उपभोग औसतन महज दो ग्राम के स्तर पर है जिसे कई गुना बढ़ाए जाने की जरूरत है।

सोया फूड प्रमोशन एंड वेलफेयर एसोसिएशन (एसएफपीडब्ल्यूए) के अध्यक्ष सुरेश इतापू ने एक सम्मेलन के दौरान इंदौर में संवाददाताओं से कहा,‘‘भारत में प्रोटीन की कमी का स्तर बहुत अधिक है। यह कमी देश के ज्यादातर लोगों में पाई जाती है। यहां तक कि कई मांसाहारी लोग भी इस कमी से जूझ रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि नागरिकों में प्रोटीन की कमी दूर करने के लिए सरकार को सोयाबीन खपत को बढ़ावा देना चाहिए और आने वाले साल 2026 को ‘सोयाबीन वर्ष’ घोषित करना चाहिए।

इतापू ने कहा,‘‘देश में प्रति व्यक्ति प्रति दिन सोयाबीन उपभोग औसतन दो ग्राम के स्तर पर है, जिसे बढ़ाकर 15 से 20 ग्राम पर पहुंचाए जाने की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा कि चीन और जापान में दैनिक आधार पर प्रति व्यक्ति सोयाबीन उपभोग क्रमश: 40 ग्राम और 30 ग्राम के स्तर पर है।

इतापू ने यह भी कहा कि भारत में करीब 3,000 सोया दूध और टोफू उत्पादक हैं, लेकिन उन्हें अच्छी गुणवत्ता का कच्चा माल नहीं मिल पाता है।

उन्होंने कहा,‘‘हम भारत सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह इन उत्पादकों को अमेरिका से कम शुल्क (टैरिफ) पर उच्च गुणवत्ता का सोयाबीन आयात करने की अनुमति दे।’’

इतापू, सोयाबीन के खाद्य पदार्थों को भारत में बढ़ावा देने पर केंद्रित सम्मेलन में हिस्सा लेने इंदौर आए थे। सम्मेलन में अमेरिकी सोयाबीन निर्यात परिषद (यूएसएसईसी) के क्षेत्रीय निदेशक केविन रोएप्के ने भी हिस्सा लिया।

अमेरिका की जवाबी शुल्क (टैरिफ) की नीति भारत के साथ द्विपक्षीय सोयाबीन कारोबार को किस तरह प्रभावित करेगी, इस सवाल पर रोएप्के ने संवाददाताओं से कहा,‘‘अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। हमारा मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच सोयाबीन के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के कई अवसर हैं।’

दुनिया में अमेरिका की गिनती सोयाबीन के शीर्ष उत्पादकों और निर्यातकों में होती है।

भाषा हर्ष शफीक

शफीक

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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