नई दिल्ली: जीटीबी अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले हफ्ते उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों में मारे गए लोगों में 40 फीसदी की उम्र 20 से 29 साल के बीच थी, जबकि दो नाबालिग थे.
दंगों के अधिकांश पीड़ितों को जीटीबी अस्पताल लाया गया, जो दिल्ली के दिलशाद गार्डन में स्थित है. यह दंगा प्रभावित क्षेत्रों के करीब भी है. दिप्रिंट को जीटीबी अस्पताल से मिली जानकारी, अस्पताल के डेटा और वहां लाए गए रोगियों पर आधारित है. इसमें अन्य दो अस्पतालों में ले जाए गए लोगों की जानकारी नहीं है.
अस्पताल लाए गए इन 44 लोगों में से अधिकतर या तो मृत लाए गए या फिर इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. अस्पताल में करीब 298 घायलों का इलाज किया गया है.
अस्पताल से संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि मरने वाले 44 लोगों में से 18 की उम्र 20 से 29 साल के बीच थी, आठ की उम्र 30 से 34 साल, तीन की उम्र 35 से 39 साल और पांच की उम्र 40 से 49 साल के बीच थी.
अस्पताल के एक सूत्र ने बताया, ‘दंगों में मरने वाले ज्यादातर लोग युवा थे – वे लोग जो अपने घरों से बाहर आए या तो अपने परिवारों का बचाव करने के लिए आगे आए थे. या ये वो थे जो दंगे में फंस गए थे या जो दंगे में भाग ले रहे थे.
सूत्र ने आगे कहा, ‘चार शव 50 साल से अधिक उम्र के थे. उनमें से एक की उम्र 90 वर्ष रही होगी. दो अन्य 15 से 19 साल के नाबालिग थे.’ जबकि चार अन्य की उम्र पता नहीं की जा सकी है.
298 घायलों में से अधिकांश 30-39 वर्ष के आयु वर्ग के हैं. आंकड़ों के अनुसार 28 से अधिक नाबालिग थे.
उपरोक्त स्रोत ने कहा, ‘298 घायलों में, 84 लोग नौजवान हैं, करीब 20 से 29 साल के बीच के जबकि 90 लोगों की उम्र 30 से 39 साल के बीच की है. उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है.’
डेटा से यह भी पता चलता है कि इनमें से 58 लोग 40 से 59 के बीच की है, जबकि सात की उम्र 60 से 70 साल के बीच की, चार व्यक्ति 85 से 90 वर्ष की आयु के थे, जबकि 27 अन्य की आयु पता नहीं की जा सकी.
मरने वालों में सबसे ज्यादा पुरुष हैं
आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 44 मृतकों में से 41 पुरुष थे, जबकि एक महिला थी. दो शव इतने जला दिए गए कि उनकी पहचान भी मुश्किल थी.
सूत्र ने बताया, ‘मृतकों में अधिकांश पुरुष हैं. हम दो अन्य शरीरों के लिंग की पहचान नहीं कर पाए हैं वह बुरी तरह जला दिए गए हैं. हम उनकी पहचान का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.
आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 298 घायलों में 291 पुरुष हैं.
44 मृतकों में से तेरह की मौत बंदूक की गोली लगने से हुई है, 24 की मारपीट और जलने की वजह से हुई है और तीन की मौत गंभीर चोटों की वजह से हुई है. एक पीड़ित को छुरा घोंपे जाने के साथ-साथ बंदूक की गोली से घायल किया गया है, जबकि तीन पीड़ितों की मौत का कारण अभी तक पता नहीं चल सका है.
सूत्र ने बताया,’ बचे हुए तीन मामलों में, हम मौत के कारण का पता नहीं लगा पाए हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें कई चोटें हैं.’
घायलों में, ज्यादातर लोगों को हमले के दौरान चोटे लगी हैं या फिर वह जला दिए गए हैं, जबकि 67 को गोली लगी है.
सूत्र ने कहा, ‘अधिकतर मरीज यहां गंभीर चोटों या फिर जले हुए थे या फिर बुरी तरह से पीटे गए थे.’ ‘उनका इलाज किया जा रहा है. हालांकि, ज्यादातर लोगों को गंभीर चोटें लगी हैं, केवल 30 लोगों को मामूली चोटों के साथ भर्ती किया गया है.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)