नई दिल्ली : भारत ने 10 सालों की छोटी अवधि में, व्यापक और मार्केट आउटलुक के महत्वपूर्ण सकारात्मक परिणामों के साथ विश्व व्यवस्था में जगह बनाई, मॉर्गन स्टेनली रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है.
इस फर्म की वेबसाइट के मुताबिक यह अपने क्लाइंट के धन के प्रबंधन और निजी आर्थिक लक्ष्य को पाने में मदद करती है. फर्म का कहना है कि यह लोगों, व्यवासाओं व संस्थानों को धन अर्जित करने, संरक्षित करने और उसे प्रबंधित करने में सहयोग देती है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अभी का भारत 2013 से अलग है. व्यापक और मार्केट आउटलुक के लिहाज से 10 सालों की छोटी अवधि में भारत ने महत्वपूर्ण सकारात्मक परिणामों के साथ विश्व व्यवस्था में जगह बनाई है. हम इन बदलावों और उनके प्रभावों का एक स्नैपशॉट पेश कर रहे हैं.’
इसमें कहा गया है, ‘खासकर विदेशी निवेशक, भारत के बारे में महत्वपूर्ण संदेह की बात चला रहे हैं, जो कहते हैं कि भारत ने अपनी क्षमता के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया है (बावजूद इसके कि यह दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और पिछले 25 सालों से इसका शेयर बाजार शीर्ष प्रदर्शन करने वाला है). इसमें कहा गया है, ‘हालांकि, ऐसा नजरिया, खासकर 2014 के बाद से भारत में हुए महत्वपूर्ण बदलावों की उपेक्षा करता है.’
10 फैक्टर्स को बनाया है आधार
भारत इक्विटी रणनीति और अर्थशास्त्र को लेकर रिपोर्ट कहती है : भारत कैसे एक दशक से भी कम समय में बदल गया है, रिपोर्ट में 10 बड़े बदलावों की बात कही गई है, जो ज्यादातर भारत की नीतिगत पसंद और इसकी अर्थव्यवस्था और बाजार को लेकर प्रभाव के कारण है.
मॉर्गन स्टेनली की रिसर्च ने सप्लाई साइड पॉलिसी सुधारों, अर्थव्यवस्था के फॉर्मलाइजेशन (औपचारीकरण), रियल एस्टेट (नियमन और विकास) अधिनियम, सोशल ट्रांसफर्स को डिजिटल बनाना, दिवालियापन कोड, लचीली मुद्रास्फीति को लक्ष्य बनाना, एफडीआई पर फोकस, भारत के 401(K) मोमेंट, कॉर्पोरेट फायदे को सरकार का समर्थन और रिपोर्ट फाइल करते समय बहुराष्ट्रीय उच्च स्तर पर एमएनसी की भावना जैसे 10 बड़े बदलावों के आधार पर यह आकलन किया है.
सप्लाई साइड रिफॉर्म्स के समय डेटा तैयार करते समय इस रिसर्च ने नॉर्म के मुताबिक भारत के कॉरपोरेट टैक्स और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े आंकड़े जुटाए हैं.
10 सालों में, भारत की मूल (बेस) कॉर्पोरेट टैक्स दर 25 प्रतिशत से नीचे बनी हुई है, जबकि 24 मार्च से पहले शुरू होने वाली नई कंपनियों के लिए यह दर 15 फीसदी पर बनी हुई है.
ढांचागत विकास के लिहाज से, रिसर्च ने राष्ट्रीय राजमार्ग, ब्रॉडबैंड सब्सक्राइबर आधार, नवीकरणीय ऊर्जा और रेलवे मार्ग विद्युतीकृत जैसे फैक्टर्स शामिल किए हैं.
मॉर्गन स्टेनली ने अर्थव्यवस्ता के फॉर्मलाइजेशन के लिहाज से जीएसटी कलेक्शंस को लिया, जिनके रुझान वर्षों से ऊपर की ओर हैं, और डिजिटल लेनदेन सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 76 प्रतिशत तक बढ़ा है.
कही थी भारत की विकास दर बढ़ने की बात
18 मई को, मॉर्गन स्टेनली ने कहा था कि मैक्रो (व्यापक) स्थिरता में सुधार के संकेत के साथ भारत चालू वित्त वर्ष 2023-24 में 6.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने की ओर अग्रसर है, जिससे मौद्रिक नीति को प्रतिबंधात्मक बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
चेतन अहया, डेरिक वाई काम, क्यूशा पेंग और जोनाथन चेउंग द्वारा लिखित एक रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है ‘एशिया इकोनॉमिक्स : दि व्यूपॉइंट : एड्रेसिंग दि पुशबैक टू आवर कंस्ट्रक्टिव व्यू’, मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि भारत को टेलविंड्स- चक्रीय और संरचनात्मक दोनों का फायदा मिलता है.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हम घरेलू मांग में मजबूत रुझान को बनाए रखने वाली स्वस्थ बैलेंस शीट देखते हैं. मैक्रो स्थिरता में सुधार का मतलब है कि मौद्रिक नीति को प्रतिबंधात्मक नहीं होना पड़ेगा, जो कि आर्थिक विस्तार को जारी रखना तय करता है.’
फर्म करती है दावा
इस फर्म का दावा है यह क्लाइंट्स को उनके सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में मदद करने के लिए कंपनियों, क्षेत्रों, बाजारों और अर्थव्यवस्थाओं का समय पर, एकीकृत विश्लेषण प्रदान करती है.
मॉर्गन स्टेनली की वेबसाइट के मुताबिक यह 87 वर्ष पुरानी एक वैश्विक फर्म है, जिसमें 80 हजार से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं. इसका दावा है कि यह अपने क्लाइंट और कम्युनिटीज के लिए प्रतिबद्ध होती है.
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