नयी दिल्ली, 29 जुलाई (भाषा) भारत में 2021 से 2025 तक अब तक हुई बाघों की मौतों में से आधे से ज्यादा मौतें संरक्षित अभयारण्यों के बाहर हुई हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से सामने आए हैं। सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के अनुसार, इस अवधि के दौरान 667 बाघों की मृत्यु हुई, जिनमें से 341 बाघों की मृत्यु अभयारण्यों के बाहर हुई, जो कुल संख्या का 51 फीसदी है।
वर्षवार आंकड़ों के अनुसार, 2021 में 129 बाघों की मौत हुई, 2022 में 122; 2023 में 182; 2024 में 126 और 2025 में अब तक 108 बाघों की मौत हुई।
वहीं, वर्ष 2021 में अभयारण्यों के बाहर 64 बाघों की मौत हुई; 2022 में 52; 2023 में 100; 2024 में 65 और 2025 में अब तक 60 बाघों की मौत हो चुकी है। महाराष्ट्र में अभयारण्यों के बाहर सबसे ज्यादा 111 बाघों की मौत दर्ज की गई, इसके बाद मध्यप्रदेश में 90 बाघों की मौत हुई।
महाराष्ट्र में वर्ष 2021 में अभयारण्यों के बाहर 23 बाघों की मौत हुई थी, मध्यप्रदेश में 18, केरल में पांच और तेलंगाना में चार बाघों की जान गई थी।
महाराष्ट्र में वर्ष 2022 में अभयारण्यों के बाहर 18 बाघों की मौत हुई थी, जबकि मध्यप्रदेश में 12 और केरल व उत्तराखंड में चार-चार बाघों की जान गई थी।
महाराष्ट्र में वर्ष 2023 में अभयारण्यों के बाहर 34 बाघों की मौत हुई थी। वहीं, मध्यप्रदेश में 13, केरल और उत्तराखंड में 11-11 और कर्नाटक में छह बाघों की मौत हुई।
मध्यप्रदेश में वर्ष 2024 में 24 बाघों की जान गई, जबकि महाराष्ट्र में 16 बाघों की मौत हुई।
इस वर्ष अब तक महाराष्ट्र में अभयारण्यों के बाहर 20 बाघ, मध्यप्रदेश में 13, केरल में आठ और कर्नाटक में सात बाघों की जान गई है।
एनटीसीए के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2012 से 2024 के बीच 1,519 बाघों की मौत हुई, जिनमें से 634 या 42 प्रतिशत बाघों की मौत अभयारण्यों के बाहर हुई।
भाषा
प्रीति दिलीप
दिलीप
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