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Friday, 5 July, 2024
होमदेशछत्तीसगढ़ में दूसरे राज्यों और विदेशों से आए 35 हजार लोगों को किया गया होम क्वारेंटाइन

छत्तीसगढ़ में दूसरे राज्यों और विदेशों से आए 35 हजार लोगों को किया गया होम क्वारेंटाइन

कोरोनावायरस महामारी से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने दक्षिण कोरिया से मदद मांगी है. स्वास्थ्य मंत्री ने बताया, 'इस दिशा में वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दक्षिण कोरिया के राजदूत शिन वाॅग-किल से कोरोना वायरस से संक्रमण की रोकथाम और बचाव के उपायों के संबंध में बात हुई है और वे हमारी सहायता करने के लिए तैयार है.

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रायपुर: कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाव के लिए उठाये गए कदमों में छत्तीसगढ़ में करीब 35000 से अधिक लोगों को होम क्वारेंटाइन में रखा गया है. होम क्वारेंटाइन का यह आंकड़ा 13 मार्च से 30 मार्च के बीच का है. वहीं विदेशों से आये 150 व्यक्तियों पर भी स्वास्थ्य विभाग और राज्य पुलिस द्वारा होम क्वारेंटाइन में कड़ाई से निगरानी रखी जा रही है.

दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने अबतक करीब 35 हजार व्यक्तियों (कई परिवार के साथ) को होम क्वारेंटाइन में रखा हुआ है. क्वारंटाइन में रखे गए व्यक्तियों में ज्यादातर प्रदेश की राजधानी सहित दो अन्य बड़े जिले बिलासपुर, राजनंदगांव और दुर्ग में हैं.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया, ‘होम क्वारेंटाइन का दायरा शहरों से लेकर ग्रामीण अंचलों तक है जहां स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा स्थिति को रोजाना मॉनिटर किया जा रहा है.’

अधिकारियों का कहना है, ‘इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को एक ओर सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेनसिंग) बनाये रखने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य की जानकारी निरंतर ली जा रही है और उन्हें स्वस्थ्य रहने की उचित सलाह भी दी जा रही है.’

बता दें की होम क्वारेंटाइन में उन्हीं व्यक्तियों को जो कोरोना से पीड़ित तो नही हैं लेकिन उनके लक्षण और बाहर से आने अथवा बाहर रहने की हिस्ट्री को देखकर उन्हें अलग रखा गया है.


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अधिकारियों के अनुसार क्वारेंटाइन में रह रहे करीब 19,000 लोगों की पूरी नामजद जानकारी का डाटा तैयार कर लिया गया है और बचे हुए लोगों की जानकारी भी इकट्ठा की जा रही है.

कोरोनावायरस से सबंधित स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी डॉक्टर अखिलेश तिवारी नद ने दिप्रिंट को बताया की, ‘अभी होम क्वारेंटाइन में रखे गए लोगों की संख्या करीब 35-40 हजार है लेकिन अभी तकरीबन 19,000 व्यक्तियों के बारे में ही डाटा बेस तैयार किया गया है. क्वारेंटाइन की संख्या आने वाले दिनों में बढ़ सकती है.’

इतनी बड़ी संख्या में होम क्वारेंटाइन किए लोगों की देख-रेख में गांव स्तर पर आंगनवाड़ी वर्करों की मदद ली जा रही है जबकि शहरों में मेडिकल की 2000 से अधिक लोगों की टीम काम कर रही है.

भविष्य में होम क्वारेंटाइन में जानेवालों की संख्या में इजाफा होने और मरीजों की संख्या में संभावित बढ़ोतरी की आशंका के बीच प्रदेश के स्वास्थ्यमंत्री टीएस सिंह देव का कहना है, ‘प्रदेश में एक लाख कोविड-19 पॉजिटिव केस पाये जाने पर भी हम परिस्थिति को संभालने की तैयारी में हैं. आनेवाले दिनों में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ सकती है इसलिये सरकार ने सरकारी विश्रामगृह, रायपुर में 500 बेड वाला निजी अस्पताल आरआईएमएस (रिम्स), रायपुर निमोरा स्थित प्रदेश सरकार ट्रेनिंग अकादमी, तीन निजी होटल के अलावा नया रायपुर में नव निर्मित एक बीएचके वाले हाउसिंग बोर्ड के 96 फ्लैट्स को अधिग्रहित करने का निर्णय लिया है.’

 दक्षिण कोरिया से ली मदद

सिंह देव का कहना है कोविड-19 सैंपल जांच की क्षमता प्रदेश के अस्पतालों में करीब 500 से हजार के बीच करने प्रयास जारी है. स्वास्थ्य मंत्री का कहना है, ‘इस दिशा में वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दक्षिण कोरिया के राजदूत शिन वाॅग-किल से कोरोना वायरस से संक्रमण की रोकथाम और बचाव के उपायों के संबंध में उनसे टेलीफोन पर हुई बात हुई है और वे हमारी सहायता करने के लिए तैयार है. केंद्र का भी सहयोग मिल रहा है. दक्षिण कोरिया में कोविड-19 सैंपलों की रोजाना हजारों की तादात में जांच हो रही हैं. दक्षिण कोरिया के सहयोग से हम छत्तीसगढ़ में भी 500 से 1000 सैम्पलों की जांच प्रतिदिन कर सकेंगे.’


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सिंह ने बताया कि दक्षिण कोरिया में कोविड-19 के संक्रमण पर प्रभावी तरीके से नियंत्रण पाए जाने का प्रमुख कारण होम क्वारेंटाइन रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य में इस महामारी को रोकने के लिए शत्-प्रतिशत होम क्वारेंटाइन जरूरी है. स्वास्थमंत्री के अनुसार आने वाले दिनों में जब जांच का दायरा और सैम्पलों की संख्या बढ़ेगी तब कोरोना के पॉजिटिव केसों की संख्या भी बढ़ने की संभावना है. वर्तमान में प्रदेश में करीब 80 कोविड-19 जांच रिपोर्ट ही तैयार हो पा रही है.

62 हजार से अधिक परिवारों को भोजन और निशुल्क राशन सामग्री

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव और रोकथाम के उपायों के तहत चल रहे लॉकडाउन के दौरान छत्तीसगढ़ के सभी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 62 हजार 172 गरीबों और जरूरतमंद परिवारों को निशुल्क भोजन और निशुल्क राशन सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है. जिलों में संबंधित प्रशासन द्वारा 14 हजार से अधिक व्यक्तियों और 4000 से ज्यादा परिवारों को निशुल्क राशन सामग्री वितरित की गई है. इसके अतिरिक्त 28 हजार से अधिक लोगों के भोजन की व्यवस्था की गई है. वहीं समाजसेवी संगठनों द्वारा पूरे प्रदेश में 18 हजार से अधिक व्यक्तियों और करीब इतनी ही संख्या में परिवारों के लिए भोजन और निशुल्क राशन सामग्री का प्रबंध किया गया है.

आवश्यक वस्तुओं एवं सब्जियों के दाम जानने सड़क पर उतरे सीएम

लगातार खाद्दान्न वस्तुओं के कालाबाजारी की मिल रही शिकायतों के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को लाकडाउन के दौरान आवश्यक वस्तुओं, खाद्यान्न एवं सब्जियों की उचित मूल्य में उपलब्धता का जायजा लेने स्वयं राजधानी रायपुर की सड़कों पर निकले.

भूपेश बघेल ने रावणभाटा स्थित अन्तर्राज्यीय बस स्टैंड के पास सब्जी विक्रेताओं एवं खरीददारों से बातचीत कर सब्जी के दाम एवं विक्रय की जानकारी ली. मुख्यमंत्री ने बूढा तालाब के पास इंडोर स्टेडियम में खाद्यान्न आपूर्ति के लिए बनाए गए  कंट्रोल रूम का जायजा लिया.

इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मुश्किल होता है घरों में रहना लेकिन हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी. उन्होंने लोगो से कहा कि अति आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकलें, अन्यथा अपने घरों में रहे.’

रेडी-टू-ईट फूड पैकेट 

पूर्ण लॉकडाउन के दौरान बंद रखे गए राज्य के आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चे एवं महिला हितग्राहियोें को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं रेडी-टू-ईट फूड पैकेट घर-घर पहुंचा रही हैं. इससे केन्द्रोें में दर्ज 24.76 लाख हितग्राहियों को लाभ हो रहा है.

महिला एवं बाल विकास विभाग से मिली जानकारी के अनुसार लॉकडाउन की अवधि में आंगनबाड़ी केन्द्र के छह से 72 माह के बच्चे, गर्भवती शिशुवती महिलाएं एवं किशोरी बालिकाओं को निर्धारित मात्रा में पूरक पोषण आहार प्रदान करने की समुचित व्यवस्था की गई है. इसके तहत छह से 36 माह के 11 लाख सामान्य और मध्यम कुपोषित बच्चे, 6 से 36 माह के 40 हजार गंभीर कुपोषित बच्चे, 36 से 72 माह के 8.60 लाख सामान्य और माध्यम कुपोषित बच्चे, 18 हजार गंभीर कुपोषित बच्चे के अतिरिक्त 2 लाख 22 हजार गर्भवती महिलाएँ, 2 लाख 20 हजार शिशुवती महिलाएं, तथा 11 से 18 वर्ष की 14 हजार स्कूल ड्राप आउट बालिकाओं के लिए रेडी-टू-ईट फूड पैकेट घर-घर पहुंचाने की व्यवस्था की गई है.

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