नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने बृहस्पतिवार को कहा कि अधिक संयुक्त सिद्धांत तैयार करना, तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण बढ़ाना और सैन्य प्रशिक्षण संस्थानों के लिए नागरिक विशेषज्ञों की नियुक्ति करना कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर सशस्त्र बल समग्रता के साथ आगे बढ़ने के लिए काम कर रहे हैं।
उन्होंने यहां आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ‘‘हमने लगभग 196 गतिविधियों की पहचान की है जिन्हें एकीकृत करने की आवश्यकता है, जिनमें से लगभग 56 पूरी हो चुकी हैं।’’
सीडीएस ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से पहले अंतर-सेवा संयुक्त संचार और वायु रक्षा प्रणाली के एकीकरण जैसी कई एकीकरण संबंधी गतिविधियां हुई थीं, लेकिन ‘‘ऑपरेशन सिंदूर के बाद हमें एहसास हुआ कि यह तो बस शुरुआत है।’’ उन्होंने तीनों सेवाओं के बीच अधिक संयुक्तता और एकीकरण की वकालत की।
जनरल चौहान अपनी पुस्तक ‘रेडी, रिलेवेंट एंड रिसर्जेंट: ए ब्लूप्रिंट फॉर द ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ इंडियाज मिलिट्री’ पर एक चर्चा सत्र के दौरान अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस पुस्तक का हाल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विमोचन किया था।
सीडीएस ने कहा कि वह अपनी पुस्तक के ‘सीक्वल’ पर काम कर रहे हैं, जिसे पूरा होने में कुछ महीने लग सकते हैं।
जनरल चौहान ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि 21वीं सदी के ‘‘तूफानी भू-राजनीतिक क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए’’ भविष्य के खतरों की प्रकृति, प्रकार और समय के बारे में अनिश्चितता बढ़ रही है।
सीडीएस ने अपने संबोधन में रेखांकित किया कि ‘‘दुर्भाग्य से आईडीएस (एकीकृत रक्षा स्टाफ़ का मुख्यालय)की सिद्धांत लिखने की हमारी गति… दो साल में एक संयुक्त सिद्धांत लिखने की गति थी। लेकिन, अब हम जो प्रयास कर रहे हैं… क्योंकि चीज़ें तेज़ी से बदल रही हैं, मैं एक वर्ष में लगभग 8-9 सिद्धांत लिखने का प्रयास कर रहा हूं’’।
सीडीएस ने कहा कि विभिन्न युद्ध महाविद्यालयों और प्रशिक्षण संस्थानों में संसाधनों को संगठित करने तथा उनके बीच तालमेल और समझ विकसित करने के लिए कार्य वितरित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, हमारे पास बहु-क्षेत्रीय संचालन, नेट-केंद्रित युद्ध, संयुक्त आईएसआर (खुफिया, निगरानी और टोही) और लक्ष्यीकरण, पारंपरिक मिसाइल बल, लंबी दूरी के लक्ष्यीकरण, संयुक्त संचार, संयुक्त सामरिक सूत्र, हवाई या हेलीबोर्न संचालन, जलस्थलीय संचालन, अंतरिक्ष, सूचना संचालन और मानव-मानव रहित टीमिंग से संबंधित सिद्धांत होंगे।’’
जनरल चौहान ने कहा कि सशस्त्र बल एक अन्य सुधार का प्रयास कर रहे हैं, जो सरकार के मिशन कर्मयोगी पोर्टल के समान ऑनलाइन प्रशिक्षण और परीक्षण मॉड्यूल विकसित करना है।उन्होंने कहा,‘‘हम तीनों सेनाओं के लिए इसी प्रकार के मॉडल लागू करने जा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि इसलिए, अधिकारियों और अन्य कर्मियों को संयुक्त सेवा नियुक्तियों के लिए संभवतः इसकी आवश्यकता हो सकती है, और निकट भविष्य में संयुक्त सेवा संगठन में वृद्धि हो सकती है।
एक अन्य घटनाक्रम में जनरल अनिल चौहान ने एक बृहस्पतिवार को साइबरस्पेस और जलस्थलीय अभियानों के लिए संयुक्त सिद्धांतों के ‘विवर्गीकृत संस्करण’ को औपचारिक रूप से जारी किया।
मंत्रालय के मुताबिक इसका उद्देश्य नीति निर्माताओं को संयुक्त सैन्य अभियानों की प्रभावी योजना और सुचारू क्रियान्वयन के लिए एक सामान्य शब्दावली और दिशानिर्देश प्रदान करना है।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि इन सिद्धांतों को सार्वजनिक करना, संयुक्त युद्ध-लड़ने की अवधारणाओं की दृश्यता, पहुंच और व्यापक प्रसार को बढ़ाने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
भाषा धीरज देवेंद्र
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