नई दि्ल्ली: आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कहा कि वो चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा सेना के जवान अधिकारी बनें. इसके लिए उन्होंने चैन्नई के आफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में यंग लीडर्स विंग की स्थापना की है.
दिप्रिंट को दिए विशेष इंटरव्यू में सेना प्रमुख ने कहा, ‘बहुत सारे जवान जो सेना में भर्ती होते हैं वो काफी काबिल होते हैं. वो आगे की पढ़ाई इसलिए नहीं कर पाते क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती है. इसलिए उनका सारा ध्यान सिर्फ नौकरी पर होता है जिसकी वजह से वह आगे कुछ नहीं कर पाते हैं.’
‘मेरा मानना है कि अगर इन लोगों को आगे बढ़ाया जाए और अच्छे से ट्रेंनिंग दी जाए तो ये अधिकारी स्तर तक पहुंच सकते हैं. सेना में अधिकारी लेफ्टिनेंट और उससे ऊपर के पद होते हैं.’
नए ओटीए विंग जिसे पिछले सप्ताह ही लांच किया गया है. उसमें जूनियर कमीशंड ऑफिसर और नॉन-कमीशंड ऑफिसर को चुना जाएगा और उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी. ट्रेनिंग के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जवान पदोन्नति (प्रमोशन) की दौड़ में आगे बढ़ सके और उनकी तरक्की हो सके.
नई योजना के तहत 500 जवानों को चुना जाएगा. जिन्हें दो बैच में बांटा जाएगा और 5 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी. इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में सर्विस सलेक्शन बोर्ड की कठिन परीक्षा में पास होने के लिए जवानों को तैयार किया जाएगा. एसएसबी ही अधिकारियों को तय करता है.
सेना प्रमुख ने कहा, ‘इस कदम से दो स्तरों पर फायदा होगा.’ उन्होंने कहा इससे हमें ज्यादा से ज्यादा अधिकारी मिलेंगे और जेसीओ औऱ एनसीओ की पदोन्नति का अवसर मिलेगा.
सेना प्रमुख से जवानों की कमी के बारे में पूछने पर कहा, ‘सेना में अभी 7000-8000 लोगों की कमी है. इस नई योजना के तहत हमें काफी फायदा होगा.’
उन्होंने कहा ‘सेना में प्रोमोशन की प्रक्रिया काफी मुश्किल है. लेकिन सेना इसे काफी अच्छी तरह से संभाल रही है.’
वर्तमान में जेसीओ और एनसीओ के पास कमीशंड अधिकारी बनने के लिए तीन रूट हैं. एक आर्मी कैडेट कॉलेज(एसीसी) विंग के जरिए, दूसरा एससीओ(स्पेशल कमीशन अधिकारी) और तीसरा पीसी-एसएल रूट.
एसएसबी साक्षात्कार इन तीनों रास्तों के जरिए लोगों का चयन करता है. लेकिन इसमें सफल होने का प्रतिशत केवल 10 फीसदी है.
नए ओटीए के बारे में बोलते हुए सेना प्रमुख ने कहा इस योजना के तहत चयन होने वाले लोगों को कम्युनिकेशन स्किल, सॉफ्ट स्किल और निर्णय लेने की क्षमता के बारे में सिखाया जाएगा.
जनरल रावत ने कहा कि हम सच में चाहते हैं कि चयन किए गए लोगों को ट्रेन कर के उन्हें एसएसबी के लिए तैयार किया जाए.
सेना प्रमुख ने कहा हमें नेतृत्व क्षमता वाले लोगों का जरूरत है. जो इन्हीं लोगों में से निकले और निर्णय करने की क्षमता रखे.
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में युद्ध क्षेत्र साइबर अटैक से जूझने वाला है जिसमें संचार व्यवस्था ठप हो सकती है लेकिन ऐसी स्थिति में कमांडिंग नाकाम नहीं होनी चाहिए. इसलिए हमें ऐसे लोगों को तैयार करना है जो निर्णय ले सकें और सभी स्थितियों से निपट सकें.
इन नेतृत्वकारी जवानों को अपनी यूनिट के लिए जीतना है और भारतीय सेना के लिए इतिहास बनाना है. क्योंकि युद्ध में रनर-अप नहीं होता है.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)