मुरादाबाद: आधी रात के करीब एक घंटे बाद, शहीदीन कुरैशी ने अपनी पत्नी और बेटों को अलविदा कहा और पैसे कमाने के वास्ते निकल पड़े. पुलिस का कहना है कि वो पास की सब्जी मंडी गए थे, जहां रात करीब 3 बजे उन्हें और उनके कथित साथियों को गाय काटते हुए पकड़ा गया. उनके साथ आए लोगों के मौके से भाग जाने के बाद, शहीदीन पर भीड़ ने करीब एक घंटे तक हमला किया, उसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और उन्हें अस्पताल ले गई.
हमले में लगी चोटों के कारण 37-वर्षीय शहीद ने अगले दिन दम तोड़ दिया.
उनकी पत्नी रिजवाना ने पूछा, “गाय की मौत के बदले किसी इंसान की जान लेने का हक उन्हें किसने दिया? वो कौन होते हैं कानून अपने हाथ में लेने वाले.” उनकी आवाज़ में सिसकियां थीं, “मेरे पति के साथ जो हुआ वह बहुत बुरा है. उनको वक्त से पहले मार दिया गया.”
हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट तुरंत उपलब्ध नहीं थी, लेकिन पुलिस का कहना है कि शहीदीन की मौत के कारण उन पर किया गया हमला था.
मुरादाबाद पुलिस ने शहीदीन और उसके कथित साथियों के खिलाफ उत्तर प्रदेश गोहत्या निरोधक अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है. शहीदीन की मौत के मामले में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103(1) के तहत अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जो हत्या की सज़ा के समान है.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सतपाल अंतिल ने कहा कि शहीदीन के भाई की शिकायत के आधार पर धारा 103(1) लगाई गई है. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “शिकायत के अनुसार, लिंचिंग का अपराध नहीं बनता है.”
बीएनएस में धारा 103(2) या 117(4) मॉब लिंचिंग के अपराध से संबंधित है — “पांच या अधिक व्यक्तियों का समूह” नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समान आधार पर हत्या करने या गंभीर चोट पहुंचाने के लिए मिलकर काम करता है.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) कुमार रणविजय सिंह ने भी जोर देकर कहा कि यह लिंचिंग का मामला नहीं है. “लिंचिंग की तकनीकी परिभाषा यह है कि अगर किसी की जाति, पंथ, धर्म के आधार पर हत्या की जाती है, लेकिन यहां भीड़ को उसका (शहीदीन का) धर्म नहीं पता था. तो इसे लिंचिंग कैसे कहा जा सकता है?”
कथित वीडियो जिसमें भीड़ द्वारा शाहीदीन पर हमला करते हुए धार्मिक गाली का इस्तेमाल करते हुए सुना जा सकता है, के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने जवाब दिया कि पुलिस ने अभी तक ऐसे किसी भी वीडियो की जांच नहीं की है.
सिंह ने कहा, “वो कई बीमारियों से भी पीड़ित था और उसे मधुमेह भी था.” उन्होंने कहा कि शहीदीन की स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उसके बचने की संभावना कम हो गई थी.
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उस रात क्या हुआ था
पुलिस और परिवार के अनुसार, शहीदीन 30 दिसंबर को रात करीब 1 बजे अपने घर से अपने दोस्त अदनान के साथ मंडी समिति के लिए निकले थे.
हालांकि, आगे क्या हुआ, इसकी जांच की जा रही है, लेकिन मंडी समिति के निवासी कौशल ने दिप्रिंट को बताया कि व्यापारियों ने 3-4 लोगों को गाय काटते हुए देखा और उनका पीछा किया. कौशल ने ठीक उसी जगह जहां शहीदीन पर हमला हुआ खड़े होकर बताया, “यहां बहुत सारी आवारा गायें और बैल हैं. अक्सर कसाई उन्हें चुराने आते हैं, लेकिन हम कभी किसी को पकड़ नहीं पाए. सुबह करीब 3 बजे जब मंडी खुल ही रही थी, हमने लोगों को गाय काटते हुए देखा और उनके पीछे भागे.”
पुलिस सुबह करीब 4 बजे मौके पर पहुंची. उन्होंने बताया कि पुलिस ने मौके से जानवरों का मांस बरामद किया, जिनका उन्होंने निपटान कर दिया.
घर वापस आकर, शहीदीन की पत्नी और बेटे बेचैन हो रहे थे. उनकी विधवा रिजवाना ने बताया कि सुबह 3 बजे से सुबह 9 बजे तक उन्हें कोई फोन नहीं आया. उन्होंने बताया कि पुलिस ने उन्हें उस दिन शाम 4 बजे के आसपास शहीदीन की हालत के बारे में बताया.
शहीदीन की भाभी ने बताया, “हम सिविल अस्पताल पहुंचे और उसे सीटी स्कैन रूम से बाहर निकलते देखा. वो बेहोश था, उसे बुरी तरह पीटा गया था. उसकी आंखें और कान सूजे हुए थे और उंगलियां टूटी हुई थीं. वो मुश्किल से सांस ले पा रहा था.”
उन्होंने बताया कि मंगलवार की सुबह चोटों के कारण उनकी मौत होने से पहले उन्हें इलाज के लिए दो अन्य अस्पतालों में ले जाया गया.
शहीदीन अपने छोटे परिवार के साथ मंडी समिति इलाके से मुश्किल से चार किलोमीटर दूर किराए के मकान में रहते थे, जहां उनके साथ मारपीट की गई. वे शहर के संपन्न पीतल उद्योग में मजदूर का काम करते थे. परिवार ने बताया कि मधुमेह की बीमारी से जूझने के कारण गुज़ारा मुश्किल हो रहा था — उनके बेटों अरहम (15), अफी (13) और हिरजान (10) को स्कूल छोड़ना पड़ा.
नाम न बताने की शर्त पर एक रिश्तेदार ने बताया, “500 रुपये लेकर शहीदीन रात में काम पर चला गया.”
उन्होंने आगे कहा, “उन्हें परिवार का पेट पालना था.”
कथित तौर पर उस रात शहीदीन को उसके दोस्त अदनान ने ट्रक चलाने के लिए रखा था, जिसका पता नामालूम है.
एक रिश्तेदार ने दावा किया कि शहीदीन की हत्या इसलिए की गई क्योंकि वो मुसलमान था. “यह हत्या गोहत्या की वैधता के बारे में नहीं है. वो मुसलमान है इसलिए उसे मारा गया.”
सबसे बड़े बेटे ने सदमे से अपना चेहरा कठोर करते हुए कहा कि परिवार न्याय चाहता है. “जो उनके (शहीदीन) साथ हुआ, वही (हमले के) अपराधियों के साथ होना चाहिए.”
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