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शुक्रवार, 25 अप्रैल, 2025
होमदेशमोने कुशल इंजीनियर और सज्जन व्यक्ति थे, लेकिन बहुत जल्दी हमें छोड़कर चले गए : मित्र

मोने कुशल इंजीनियर और सज्जन व्यक्ति थे, लेकिन बहुत जल्दी हमें छोड़कर चले गए : मित्र

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ठाणे, 25 अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र में ठाणे जिले के रेलवे इंजीनियर अतुल मोने पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए 26 लोगों में शामिल थे। वह अपने मित्रों और रिश्तेदारों के बीच एक जिंदादिल और सबका ख्याल रखने वाले व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे, जिन्हें घूमने का शौक था।

मुंबई के डोंबिवली निवासी मोने (43) मध्य मुंबई के परेल स्थित ब्रिटिशकालीन रेल कार्यशाला में वरिष्ठ सेक्शन इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे और 22 अप्रैल को जब आतंकवादी हमला हुआ, तब वे दक्षिण कश्मीर के पहलगाम के नजदीक बैसरन घाटी घूमने परिवार के साथ गए थे।

हाल के वर्षों में कश्मीर में हुए सबसे घातक आतंकवादी हमलों में से एक में पहलगाम के लोकप्रिय बैसरन मैदान में आतंकवादियों द्वारा पर्यटकों पर की गई गोलीबारी में कम से कम 26 लोग मारे गए। मारे गए पर्यटकों में से छह महाराष्ट्र के थे, जिनमें डोंबिवली के रिश्ते के तीन भाई – मोने, संजय लेले (50) और हेमंत जोशी (45) शामिल थे।

मोने के साले प्रसाद सोमन ने उन्हें एक जिंदादिल व्यक्ति बताया। उन्होंने शुक्रवार को कहा, ‘‘वह बहुत मिलनसार थे और जीजा होने के बावजूद अच्छे दोस्त की तरह थे। वह स्वस्थ थे और उन्हें पौधों से प्यार था। वह मेरी बहन के महज पति नहीं थे, बल्कि मेरे लिए एक भाई थे, मैंने एक भाई खो दिया है। वह निर्दोष है और मैं अब भी भरोसा नहीं कर पा रहा हूं कि मेरा भाई चला गया है।’’

सोमन की आखें नम थीं। उन्होंने बताया, ‘‘रेलवे से बहुत सारे लोग (मोने की मौत के बाद उनके घर) आए और उन्हें देखने के बाद हमें एहसास हुआ कि मोने अपने काम के प्रति कितने समर्पित थे और कैसे वह सभी का ख्याल रखते थे। जब मेरे पिता का निधन हुआ और मेरी मां बीमार थीं, तो वह हमारे साथ थे, सबका ख्याल रखते थे, वह सभी परिवारों के साथ बहुत घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे। हम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, वह एक अच्छे इंसान थे और हमने उन्हें खो दिया।’’

सोमन ने कहा कि मोने को घूमना-फिरना बहुत पसंद था और यह पहली बार नहीं था जब वह कश्मीर गये थे। वह एक पारिवारिक यात्रा पर कश्मीर गये थे, जिसका दुखद अंत हुआ और पत्नी के सामने ही उनकी हत्या कर दी गई। डोंबिवली के तीनों पीड़ित एक ही मातृ पक्ष के परिवार से हैं।

मोने ने अपनी स्कूली शिक्षा कल्याण के सुभेदारवाड़ा स्कूल से और उच्च शिक्षा बिड़ला कॉलेज से प्राप्त की थी।

मोने के 25 साल के मित्र महेश सुरसे उन्हें एक बहुत ही भद्र और सभी का ख्याल रखने वाले व्यक्ति के तौर पर याद करते हैं।

सुरसे ने बताया, ‘‘वह स्वभाव से बहुत ही शांत व्यक्ति थे, किसी से झगड़ा नहीं करते थे और उनका पूरा परिवार अच्छे स्वभाव का है। मैं उन्हें 25 सालों से जानता था। उनकी पत्नी बोलने की हालत में भी नहीं है, वह कैसे बोल पाएगी, उनके पति की हत्या उनकी आंखों के सामने ही कर दी गई। कार्यालय में उनका स्वभाव बहुत अच्छा था, उनके परिवार से मिलने आने वाला हर अधिकारी रो रहा था। उन्हें घूमने का शौक था। हम इस बात को अब भी भरोसा नहीं कर पा रहे हैं कि वह अब हमारे बीच नहीं रहे।’’

उन्होंने याद किया कि मोने हाउसिंग सोसाइटी के सभी कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे।

सुरसे ने कहा, ‘‘हम लगभग हर रोज मिलते थे। वह हाउसिंग सोसाइटी के सभी कार्यक्रमों के लिए बहुत उत्साह से हिस्सा लेते थे। वह एक देशभक्त थे।’’

भाषा धीरज सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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