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Wednesday, 13 November, 2024
होमदेशमोहनथाल बनाम चिक्की- अंबाजी मंदिर प्रसाद विवाद गुजरात विधानसभा में गूंजा, VHP-राजनीतिक दल आमने सामने

मोहनथाल बनाम चिक्की- अंबाजी मंदिर प्रसाद विवाद गुजरात विधानसभा में गूंजा, VHP-राजनीतिक दल आमने सामने

घी से बने मोहनथाल को तेल से बनने वाली चिक्की से बदलने के निर्णय की राजनीतिक दलों और पुजारियों ने निंदा की है. चिक्की बनाने का ठेका देने में घूस लेने के भी आरोप हैं.

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बनासकांठा: गुजरात के बनासकांठा जिले के दांता तालुका में स्थित अंबाजी मंदिर, देश भर में देवी शक्ति के कई पवित्र मंदिरों में से एक है, जो हिंदू धर्म को मानने वालों द्वारा पूजनीय है. मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं. मंदिर प्रशासन द्वारा साझा किए गए और दिप्रिंट द्वारा देखे गए आंकड़ों के अनुसार, अकेले दिसंबर 2022 में, लगभग छह लाख लोगों ने इस मंदिर में दर्शन किए.

हालांकि, इस महीने की शुरुआत से सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण वाला यह मंदिर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और कांग्रेस द्वारा एक ही मुद्दे पर विरोध के कारण एक अलग तरह की अराजकता का गढ़ बन गया है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्य की विधानसभा में भी झटके महसूस किए गए हैं.

उथल-पुथल के केंद्र में पारंपरिक रूप से मंदिर में प्रसाद के रूप में दी जाने वाली मिठाई – मोहनथाल है- जो घी, बेसन और चीनी से बनाई जाती है. दरअसल, 4 मार्च को बनासकांठा के जिला कलेक्टर आनंद पटेल की अध्यक्षता में श्री अरासुरी अंबाजी माता देवस्थान ट्रस्ट ने घोषणा की कि मंदिर प्रसाद के रूप में मूंगफली की गजक (चिक्की) देगा.

मंदिर के 135 पुजारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले दिनेश मेहता के अनुसार चिक्की के खिलाफ सबसे बड़ी आपत्ति यह है कि इसे बनाने में घी की जगह तेल का इस्तेमाल होता है.

इस परिवर्तन को हालांकि, पहले ही लागू किया जा चुका है लेकिन शहर के लोगों ने इसका विरोध के साथ स्वागत किया है और न केवल मंदिर या जिला प्रशासन बल्कि राज्य सरकार की भी इस मामले में आलोचना की जा रही है.

शनिवार तड़के ही “मंदिर के सम्मान में, बजरंग दल मैदान में” और “हमसे जो टकराएगा, सीधा ऊपर जाएगा” के नारे मंदिर के बाहर सुनाई दे रहे थे.

शुक्रवार को, गुजरात राज्य विधानसभा ने कांग्रेस के कई विधायकों को विरोध जताने के लिए प्रतीक के तौर पर मोहनथाल को सत्र में लाने के लिए निलंबित कर दिया. हंगामे के बाद स्पीकर शंकर चौधरी ने विधायकों द्वारा सदन में बांटी गई मिठाइयों की फॉरेंसिक जांच के आदेश दिए.

इस बीच मंदिर के अधिकारियों का कहना है कि मोहनथाल से चिक्की पर स्विच करना प्रसाद के शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए किया गया था, जिसे अक्सर मंदिर के भक्तों को विदेशों में भी भेजा जाता है.

जिला प्रशासन के एक सदस्य ने दिप्रिंट को बताया, “एक सूखे प्रसाद की जरूरत थी जिसे आराम से विदेश भेजा जा सके और जिसकी शेल्फ लाइफ लंबी हो. महामारी के दौरान, हमें प्रसाद के लिए दूर, यहां तक कि विदेशों में रहने वाले लोगों से कई अनुरोध प्राप्त हुए. इन अनुरोधों को समायोजित करने के लिए, हमने चिक्की को प्रसाद के तौर पर पेश किया है.”


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रविवार को एक बयान में कैबिनेट मंत्री ऋषिकेश पटेल ने भी यही बात दोहराई. “जो लोग शारीरिक रूप से मंदिर में उपस्थित नहीं हो सकते हैं, लेकिन ऑनलाइन दर्शन करते हैं, वो ऑनलाइन प्रसाद भी मंगवा सकते हैं…मोहनथल की शेल्फ लाइफ केवल सात से आठ दिन है. मंदिर प्रशासन ने ये निर्णय इसलिए लिया क्योंकि चिक्की की शेल्फ लाइफ तीन महीने तक होती है.”

उन्होंने कहा, “प्रसाद आस्था का विषय है. यह कोई स्वादिष्ट व्यंजन नहीं है… क्योंकि यह लंबे समय तक चलता है, देश के साथ-साथ विदेशों में भी लोग ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं और अपनी आस्था का पालन कर सकते हैं.”

The Vishwa Hindu Parishad protest outside the temple Saturday | Photo: Soniya Agrawal | ThePrint
विश्व हिंदू परिषद ने शनिवार को मंदिर के बाहर धरना दिया | फोटो: सोनिया अग्रवाल | दिप्रिंट

हालांकि, इस फैसले की राजनीतिक दलों, नेताओं और यहां तक कि मंदिर के पुजारियों द्वारा भी निंदा की जा रही है. दांता के निवासियों ने भी पारंपरिक मोहनथाल प्रसाद उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन को पत्र लिखा है.

विहिप ने इस सप्ताह की शुरुआत में चिक्की पर आदेश वापस लेने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम जारी किया था, वहीं गुजरात कांग्रेस ने राज्य सरकार पर हिंदू भक्तों की भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस ने चिक्की बनाने के ठेके देने में भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है.

शनिवार को मंदिर के बाहर विरोध प्रदर्शन में विहिप की गुजरात इकाई के सचिव अशोक रावल ने दिप्रिंट को बताया कि लाभ कमाने की हड़बड़ी में मंदिर प्रशासन भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा है.

रावल ने कहा, “प्रसाद भगवान के दर्शन के बराबर है. यहां जो हो रहा है उससे हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है. हिंदू समाज ही वह था जिसने इस सरकार को हाल के चुनावों में जिताने में मदद की, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए. हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए.

रावल के बयान को गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता हेमांग रावल ने प्रतिध्वनित किया, जिन्होंने राज्य में भाजपा सरकार पर हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया.

उन्होंने शनिवार को दिप्रिंट से कहा, ‘‘यह हिंदू लोगों के रीति-रिवाजों का बहुत बड़ा अपमान है और बीजेपी गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार कर रही है.’’

Shops outside the Ambaji Temple | Photo: Soniya Agrawal | ThePrint
अंबाजी मंदिर के बाहर की दुकानें | फोटो: सोनिया अग्रवाल | दिप्रिंट

इस बीच, मोहनथाल से चिक्की की ओर जाने से प्रसाद के दोनों रूपों के निर्माताओं को आश्चर्य हुआ है, दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि प्रत्येक ने भविष्य के लिए अलग-अलग चिंता व्यक्त की है.

भ्रष्टाचार के आरोप

मंदिर प्रशासन के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि 2022 में, प्रसाद के साथ यात्रा करने की इच्छा रखने वाले भक्तों के लिए मोहनथाल के विकल्प के रूप में चिक्की की शुरुआत की. प्रसाद 25 रुपये की मामूली कीमत पर बेचा जाता है, जिसमें एक भक्त को 4 चिक्की मिलती है.

पिछले 6 महीनों से, चिक्की प्रसाद का निर्माण और आपूर्ति एक निजी कंपनी, नंदिनी गृह उद्योग द्वारा की जा रही थी, जिसे पिछले साल मंदिर ट्रस्ट द्वारा जारी निविदा पर इसे बनाने का ठेका दिया गया था.

हालांकि, कांग्रेस के रावल ने आरोप लगाया कि आने वाले महीनों में मंदिर प्रशासन चिक्की उत्पादन का ठेका इलाके में बनी बनास डेयरी को देने की योजना बना रहा है, जिसका प्रबंधन बीजेपी विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी करते हैं.

दिप्रिंट ने चौधरी से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन इस खबर के प्रकाशित होने तक उनसे संपर्क नहीं हो पाया है.

पुजारियों के प्रतिनिधि दिनेश मेहता ने दिप्रिंट को बताया कि चिक्की बनाने में तेल का इस्तेमाल उनकी आपत्ति के पीछे मुख्य कारण है.

मेहता ने कहा, “मंदिर में पकाए जाने वाले प्रत्येक खाद्य पदार्थ में घी का उपयोग होता है. यहां तक कि दीपक और मशाल भी घी का उपयोग करते हैं. तेल आधारित प्रसाद लाने से मंदिर के गिरते स्तर का ही पता चलेगा.”

उन्हें मंदिर प्रशासन द्वारा भ्रष्टाचार पर भी संदेह है और वो चाहते हैं कि मोहनथाल को प्रसाद के रूप में दिया जाना जारी रहे.

मेहता के मुताबिक, चिक्की की बिक्री से पैसे कमाने के लिए मंदिर प्रशासन ने मोहनथाल से चिक्की में स्विच किया था.

मेहता ने दावा किया, “जिला प्रशासन पिछले कुछ समय से मनमाना कदम उठा रहा है और धार्मिक भावनाओं को आहत कर रहा है. चार साल पहले, उन्होंने दोपहर के भोजन के समय अंबाजी की मूर्ति को भोग लगाना बंद कर दिया था. तब भी, हमने अपनी असहमति व्यक्त की थी, लेकिन कुछ भी नहीं निकला.”

मंदिर प्रशासन के एक सदस्य ने, हालांकि, भ्रष्टाचार सहित सभी आरोपों का खंडन किया और दावा किया कि “निर्णय सुविचारित है और इसे उलटा नहीं किया जाएगा”.

दिप्रिंट से बात करने वाले कई दुकान मालिकों और निवासियों ने भी प्रसाद स्विच निर्णय के पीछे संभावित भ्रष्टाचार की चिंता व्यक्त की.


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रोजगार को प्रभावित करने के लिए कदम

इस बीच, बनासकांठा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक कांति खराड़ी ने कहा कि इस कदम से कई निवासियों के रोजगार के अवसर प्रभावित होंगे जो अपनी आजीविका के लिए मंदिर पर निर्भर हैं.

विधानसभा सत्र में विधायकों को निलंबित करने के मामले पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैंने बहुत सम्मानपूर्वक सभा से प्रसाद के बदलाव के मुद्दे पर सत्र में चर्चा करने के लिए कहा. हालांकि, न केवल मेरे अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया, बल्कि जो प्रसाद हम वितरित करने के लिए लाए थे, उसे जहरीला बताया गया और फेंक दिया गया.”

जबकि लगभग 30 लोग मंदिर में मोहनथाल प्रसाद उपलब्ध कराने में शामिल हैं, दिप्रिंट को पता चला है कि अधिकांश शहर के निवासी मंदिर के आसपास केंद्रित संबद्ध व्यवसायों में शामिल है.

चिक्की प्रसाद पर स्विच करने के मंदिर प्रशासन के फैसले से नंदिनी गृह उद्योग के मालिक रजनीकांत पटेल को भी आश्चर्य हुआ, जिन्होंने दावा किया कि उन्हें बदलाव के बारे में सूचित नहीं किया गया था.

गर्मी के महीनों में मांग में वृद्धि के बारे में चिंतित, पटेल ने कहा, “अब तक अंबाजी मंदिर ट्रस्ट द्वारा चिक्की के 60,000 पैकेट (प्रत्येक) के दो ऑर्डर दिए गए हैं. मोहनथल को बंद करने के फैसले के बारे में मंदिर द्वारा हमें कोई सूचना नहीं दी गई थी. इसका मतलब है कि हमें अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ानी होगी.”

पटेल ने आगे कहा, “गर्मियों में मूंगफली का काढ़ा मिलाने के लिए मजदूरों को ढूंढना एक मुश्किल काम है. बढ़ते तापमान के बीच बढ़ती गर्मी काम के लिए मुश्किल परिस्थिति खड़ी करती है.

हर पूर्णिमा को अंबाजी मंदिर, जिसमें 14 हवन कुंड हैं, में भारी भीड़ देखी जाती है. जब दिप्रिंट ने मंदिर का दौरा किया, तो भक्तों को आरती के लिए घर का बना मोहनथाल लाने से रोकने के लिए मंदिर के कुछ दरवाजे बंद कर दिए गए थे.

मंदिर में मौजूद एक उत्तेजित पुजारी ने कहा, “इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है और यहां दिया जाने वाला प्रसाद हमेशा घी का बना होता है न कि सस्ते गुणवत्ता वाले तेल का. यह हमारी भावनाओं और इच्छाओं के खिलाफ है.”

(संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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