नई दिल्लीः ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के मुखिया डॉक्टर इलयासी ने आरएसएस प्रमुख को ‘राष्ट्र-पिता’ और ‘राष्ट्र-ऋषि’ कहा. भागवत की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि इससे काफी अच्छा संदेश जाएगा. हम अलग अलग ईश्वर की करते हैं लेकिन सबसे बड़ा धर्म मानवता है. हमारा विश्वास है कि देश सबसे पहले है.
Mohan Bhagwat ji visited on my invitation today. He’s ‘rashtra-pita’ & ‘rashtra-rishi’, a good message will go out from his visit. Our ways of worshipping god are different but biggest religion is humanity. We believe country comes first: Dr Ilyasi, Chief Imam,All India Imam Org https://t.co/RsYk7oIbHR pic.twitter.com/RtYNwfGWD7
— ANI (@ANI) September 22, 2022
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को नई दिल्ली में एक मस्जिद में ‘अखिल भारतीय इमाम संगठन’ के प्रमुख इमाम उमर अहमद इलियासी से मुलाकात की. कस्तूरबा गांधी मार्ग मस्जिद में बंद कमरे में एक घंटे से अधिक वक्त तक बैठक हुई. अखिल भारतीय इमाम संगठन का कार्यालय यहीं स्थित है.
भागवत के साथ संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी कृष्ण गोपाल, राम लाल और इंद्रेश कुमार थे। राम लाल पहले भाजपा के संगठनात्मक सचिव थे जबकि कुमार मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक हैं.
आरएसएस के करीबी सूत्रों के अनुसार, बैठक में हिजाब विवाद, ज्ञानवापी और धर्मों के बीच शांति और सद्भाव बनाए रखने जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई. भागवत के अलावा डॉ. कृष्ण गोपाल, इंद्रेश कुमार, रामलाल और करीश कुमार सहित आरएसएस के वरिष्ठ सदस्यों ने भी आज की बैठक में भाग लिया.
सुनील आंबेकर ने कहा- आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख उनिल आंबेकर ने एएनआई को बताया कि बैठक ‘संवाद’ प्रक्रिया का एक हिस्सा थी. आरएसएस सरसंघचालक जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों से मिलते हैं. यह एक सतत सामान्य ‘संवाद’ प्रक्रिया का हिस्सा है.
हिजाब को लेकर विवाद कर्नाटक के कॉलेज से शुरू हुआ था और फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई चल रही है. खुफिया एजेंसियों के निष्कर्षों में यह भी सामने आया कि विवाद को भड़काने के पीछे पीएफआई का हाथ था. ज्ञानवापी को लेकर भी विवाद छिड़ने के बाद आरएसएस प्रमुख ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों से मुलाकात की.
इससे पहले मंगलवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी और हालिया विवादों और देश में धार्मिक समावेशिता को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की. आरएसएस के करीबी सूत्रों के अनुसार, यह बैठक संघ के विचारों के प्रचार और धार्मिक समावेशिता के विषय को बढ़ावा देने के लिए आयोजित की गई थी. बैठक में ज्ञानवापी विवाद, हिजाब विवाद और जनसंख्या नियंत्रण जैसी हालिया घटनाओं पर चर्चा की गई.
बैठक में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) एस वाई कुरैशी, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के पूर्व कुलाधिपति लेफ्टिनेंट जनरल जमीर उद्दीन शाह, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी और व्यवसायी सईद शेरवानी जैसे कई बुद्धिजीवी शामिल हुए.
इससे पहले राम मंदिर के फैसले के समय भी आरएसएस सक्रिय हो गया था. आरएसएस के वरिष्ठ सदस्यों ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात की और यह संदेश दिया कि जो भी आदेश आएगा, हर कोई उसे शांतिपूर्ण ढंग से स्वीकार करेगा. इससे पहले राम मंदिर के फैसले के समय भी आरएसएस सक्रिय हो गया था. आरएसएस के वरिष्ठ सदस्यों ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात की और यह संदेश दिया कि जो भी आदेश आएगा, हर कोई उसे शांतिपूर्ण ढंग से स्वीकार करेगा.
इसी तरह 2019 में अरशद मदनी के साथ भागवत की मुलाकात ने भी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा था. आरएसएस ने हमेशा निर्दिष्ट किया है कि राष्ट्रवाद हर किसी के दिल में होना चाहिए, भले ही किसी का धार्मिक झुकाव कुछ भी हो.
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