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Friday, 22 November, 2024
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मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने कहा- भारत पहली पसंद रहेगा, चीन को अपनी जमीन नहीं हड़पने देंगे

मालदीव की संसद के अध्यक्ष नशीद ने चीन की 'भूमि हड़पने और कर्ज के जाल' की नीति के खिलाफ चेतावनी दी और कहा कि इसने देश को भारी कर्ज के बोझ तले दबा दिया है.

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नई दिल्ली: मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति और मालदीव की संसद के अध्यक्ष मोहम्मद नशीद ने कहा कि उनका देश हमेशा ‘इंडिया फर्स्ट’ की नीति का पालन करता रहेगा और चीन को ‘भूमि हड़पने और कर्ज के जाल’ की अपनी योजना को बरकरार रखने की अनुमति नहीं देगा. जिस से देश पर भारी कर्ज हो गया है.

उन्होंने मंगलवार शाम यहां पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन द्वारा संचालित एक व्याख्यान में कहा, ‘मालदीव भारत के साथ घनिष्ठ संबंध चाहता है. इसे लेकर मुझे पक्का यकीन है. मैं ऐसा इसलिए नहीं कह रहा हूं क्योंकि मैं एक राजनेता हूं, मैं ऐसा कुछ नहीं कहूंगा जिससे मुझे अधिक वोट न मिले. मुझे पूरा यकीन है कि हम एक मजबूत घनिष्ठ रिश्ता बना सकते हैं जो दोनों ही देशों के लिए लाभकारी होगा.’

नशीद ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के नेतृत्व वाली मालदीव की पिछली सरकार ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए चीन पर भरोसा जताया. उन्होंने इन परियोजनाओं के जरिए चीनी सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियों के हाथों में अभूतपूर्व शक्तियां दे दीं. उसकी वजह से देश भारी कर्ज के बोझ तले दब गया है.

उन्होंने कहा, ‘चीन अपना दबदबा बनाकर मालदीव से लोकतंत्र को हटाना चाहता है. वह तानाशाही स्थापित करना चाहता है ताकि उसके बाद वह जो चाहे कर सके. मालदीव के मौजूदा कर्ज में 70 प्रतिशत हिस्सा चीन का है. इससे चीन को मालदीव पर अभूतपूर्व आर्थिक और राजनीतिक ताकत मिलेगी.’

नशीद की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब यामीन इंडिया आउट’ या ‘इंडिया मिलिट्री आउट’  जैसे अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं. यामीन देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भ्रष्टाचार के एक मामले में अपनी सजा को पलटने के बाद, 2021 से इस अभियान को चला रहे हैं. फिलहाल वह विपक्ष में हैं.

यामीन को मालदीव के चीन समर्थित राष्ट्रपति के रूप में देखा जाता रहा था. साल 2018 में उन्हें सत्ता से हटा दिया गया और फिर मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को उनकी जगह राष्ट्रपति बनाया गया. हालांकि  यामीन ने एक बार फिर से वापसी कर ली है. वह एक जोरदार भारत विरोधी अभियान चला रहे है, जिस पर सत्तारूढ़ एमडीपी ने प्रतिबंध लगा दिया है.

नशीद के अनुसार, राष्ट्रपति सोलिह के नेतृत्व वाली मालदीव सरकार ने एक फरमान जारी किया है जिसके तहत इस तरह के अभियान की अनुमति नहीं दी जाएगी. एमडीपी की योजना इसके खिलाफ एक मजबूत कानून जारी करने की है.

उन्होंने कहा, ‘हम एक ऐसे कानून के साथ आना चाहते हैं जो अधिकारियों को ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के सही मायने समझा सके.’ उन्होंने कहा, इसका उद्देश्य पड़ोसी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाना होगा.

पिछले महीने विदेश मंत्री एस. जयशंकर की माले यात्रा के दौरान राष्ट्रपति सोलिह ने भी उन्हें आश्वासन दिया था कि मालदीव ‘इंडिया फर्स्ट‘ पालिसी का पालन करना जारी रखेगा.


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‘कर्ज का जाल और जमीन हड़पना’

नशीद के अनुसार, हालांकि एमडीपी सरकार ने यामीन सरकार द्वारा पारित सभी अधिनियमों और कानूनों को निरस्त कर दिया है, जिसने चीन को वहां अपने पैर पसारने की ताकत दी थी. लेकिन मालदीव में बीजिंग का दबदबा बना रहेगा क्योंकि देश बड़े पैमाने पर चीनी कर्ज में डूबा हुआ है.

उन्होंने कहा, ‘मालदीव को चीन अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना ‘वन बेल्ट वन रोड’  में एक अहम रूट के तौर पर देख रहा है. मालदीव कोई छोटा द्वीप राज्य नहीं है. यह एक बड़ा महासागरीय देश है. मालदीव अपने बड़े समुद्री स्थान के कारण चीन के निशाने पर है.’

वह कहते हैं, ‘हमने उन सभी कानूनों को निरस्त कर दिया जो जमीन को हड़पने की सुविधा दे रहे थे. लेकिन वास्तविक तौर पर कुछ भी नहीं बदला है. चीनी कंपनियों के हाथ में काफी सारी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं दे दी गई हैं. वे बहुत महंगी हैं. मेरा मानना है कि चीन ने जानबूझकर परियोजनाओं की कीमतों में वृद्धि की है ताकि व्यापार योजना विफल हो जाए और हम उसके कर्ज जाल में फंस जाएं.’ नशीद ने आगे कहा, उनके देश ने चीन के साथ किए गए मुक्त व्यापार समझौते को भी रद्द कर दिया है. पूर्व राष्ट्रपति यामीन ने इस पर हस्ताक्षर किए थे.

उन्होंने पड़ोसी देश श्रीलंका के मौजूदा आर्थिक संकट को ‘ कर्ज के जाल में फंसाने का महत्वपूर्ण मामला’ बताया.

नशीद ने कहा, ‘ 2013 और 2018 के बीच, मालदीव सरकार ने चीनी सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियों को पर्यटक रिसॉर्ट बनाने के लिए एक दर्जन से ज्यादा द्वीप दिए. लेकिन उन्होंने अभी तक कुछ भी नहीं बनाया है.’

उन्होंने कहा, ‘ कर्ज का जाल और जमीन हथियाना इस सदी की विश्व व्यवस्था नहीं होनी चाहिए.’

मालदीव में राष्ट्रपति चुनाव 2023 में होना है. यह निर्णायक होने जा रहा है क्योंकि यामीन के एक फिर से चुनाव लड़ने की संभावना है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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