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Thursday, 19 December, 2024
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आईएएस अफसर कॉलोनी के अवैध मंदिर से परेशान मोदी के आर्थिक सलाहकार

कार्रवाई की मांग करते हुए, ईएसी-पीएम सदस्य रतन वाटल ने मोदी सरकार को लिखे अपने पत्र में कहा है कि मंदिर 20-30 करोड़ रुपये की राज्य भूमि पर बना है.

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नई दिल्ली : शीर्ष सिविल अधिकारियों की दक्षिणी दिल्ली की आलीशान कॉलोनी में एक अनधिकृत मंदिर को लेकर मोदी सरकार के आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के एक सदस्य ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर विरोध किया है.

आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के एक सदस्य सचिव और नीति आयोग में एक प्रमुख सलाहकार (सामाजिक क्षेत्र) रतन पी वाटल ने पत्र में कहा कि सरकार को लगभग 20 करोड़ रुपये की ‘अनौपचारिक वैधता’ राज्य भूमि पर अतिक्रमण से पहले कार्रवाई करनी चाहिए.

जून के अंतिम सप्ताह में यह पत्र लिखा था, इसको केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी, आवास सचिव डी.एस. मिश्रा और केंद्रीय सतर्कता आयुक्त शरद कुमार के नाम लिखा गया है.


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पत्र

अन्य बातों के अलावा,  वाटल ने कहा कि वह आश्चर्यचकित थे कि एनबीसीसी, राज्य द्वारा संचालित फर्म जिसने न्यू मोती बाग आवासीय परिसर का निर्माण किया है, ने इसे ‘प्रमुख सरकारी कॉलोनी’ में ‘अपनी नाक के नीचे’ होने दिया था.

रतन ने पत्र में यह बात जोड़ी, जिसे दिप्रिंट द्वारा एक्सेस किया गया है ‘इस तरह का अतिक्रमण प्राधिकरण में कर्मियों के सक्रिय सहयोग के बिना संभव नहीं है.’

वाटल ने कहा अनधिकृत मंदिर उनके बंगले के सामने था, यह बंगला उनको आवंटित हुआ यह देखते हुए कि अतिक्रमणकारियों ने अब लगभग 300 वर्ग गज सरकारी भूमि पर कब्जा कर लिया है.

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मंदिर को दूसरों के बीच बड़ी संख्या में सिविल सेवकों द्वारा संरक्षण किया जा रहा था. वाटल ने लिखा है, ‘अतिक्रमणकारियों ने कब्जे को नियमित करने के लिए कुछ निवासियों के समर्थन की भी मांग की है.’

केंद्रीय आवास सचिव डी.एस. मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया कि मामला पहले से ही अदालत में था. उन्होंने कहा, ‘मंदिर कॉलोनी बनने से पहले से यहां मौजूद है और मामला अदालत में है.’

वाटल टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे क्योंकि वह विदेश यात्रा पर हैं.

वापस 2012 में देखते हैं

वाटल के अलावा न्यू मोती बाग के कुछ अन्य निवासियों, जिनमें रेजिडेंट के सदस्य भी शामिल हैं, ने अतीत में इस मुद्दे को उठाया है लेकिन कुछ नहीं हुआ.

यह अतिक्रमण तब शुरू हुआ था, जब कॉलोनी पहली बार, 2012 बनी थी. इस मामले को अदालत में ले जाया गया, जिसने निर्देश दिया कि मामले के निपटारे तक यथास्थिति बनाए रखी जाए. हालांकि, वाटल ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि इस आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही थीं.

वाटल ने अपने पत्र में कहा कि ‘हालांकि मैंने देखा है कि यथास्थिति के बजाय अतिक्रमित परिधि दायरे में महत्वपूर्ण निर्माण गतिविधि चल रही है और इसके लिए बिजली का भी उपयोग किया जा रहा है. ‘यह गतिविधि पिछले कुछ महीनों के दौरान बढ़ी है.’

सरकारी कालोनियों में रहने वाले वरिष्ठ सिविल कर्मियों ने दिप्रिंट को बताया कि न्यू मोती बाग में अनधिकृत मंदिर अकेला मामला नहीं.

नाम न छापने की शर्त पर केंद्रीय मंत्रालय में कार्यरत एक वरिष्ठ सिविल सेवक ने कहा ‘सिविक अधिकारियों ने आंख बंद कर ली है. आप सरकारी कॉलोनियों के अंदर ऐसी कई अवैध निर्माण देख सकते हैं. विनय मार्ग सरकारी कॉलोनी के अंदर एक अनधिकृत मंदिर एक उदाहरण है.


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अचल संपत्ति

न्यू मोती बाग प्राइम रियल एस्टेट है और एक रियल एस्टेट डेटा और एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म के सीईओ समीर जसूजा के मुताबिक, इलाके में जमीन 7 लाख रुपये प्रति वर्ग गज के हिसाब से है.

वाटल ने अपने पत्र में लिखा है कि अतिक्रमित सरकारी भूमि का मूल्य सवाल के घेरे में है. इसका मूल्य 20 करोड़ रुपये से 30 करोड़ के बीच होगा. ‘अगर मामला हल नहीं हुआ तो इससे सरकार को भारी वित्तीय नुकसान होगा और न्यू मोती बाग आवासीय परिसर की सुरक्षा से भी समझौता होगा क्योंकि एक बार अतिक्रमण को अनौपचारिक वैधता मिल जाती है, तो बाहरी लोगों को कॉलोनी तक पहुंचने से नहीं रोका जा सकता है.’

उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि एक विकल्प के रूप में एनबीसीसी एक उचित प्रार्थना परिसर प्रदान कर सकता है. ‘मुझे विश्वास है कि यह व्यक्तियों के आस्था के लिए एक सुचारू तरीके से रक्षा अधिकारियों की कैंटोमेंट क्षेत्रों में बनाया जा सकता है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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