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Saturday, 20 April, 2024
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पूर्व आईएएस अधिकारी जो नरेंद्र मोदी और नवीन पटनायक को करीब ला रहा है

अश्विनी वैष्णव आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र हैं. जो 2004 में दिवंगत पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में निजी सचिव थे. मोदी ने वैष्णव को राज्यसभा भेजने के लिए पटनायक को समर्थन करने के लिए कहा.

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नई दिल्ली: पूर्व आईएएस अधिकारी अश्विनी वैष्णव ने नौकरशाही हलकों में खलबली मचा दी है. ओडिशा में दोनों राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल ने अपने करीबी वैष्णव को ओडिशा से भाजपा राज्यसभा उम्मीदवार के रूप में नामांकन करने के लिए सहमति जताई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से उनका समर्थन प्राप्त करने के लिए फोन किया.

पटनायक ने वैष्णव को उच्च सदन में प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए राज्य की तीन राज्यसभा सीटों में से एक पर अपनी पार्टी का दावा छोड़ने पर भी सहमति व्यक्त की है. राज्यसभा के उपचुनाव 5 जुलाई को होने हैं.

कौन हैं अश्विनी वैष्णव?

1994 बैच के ओडिशा कैडर के एक पूर्व आईएएस अधिकारी वैष्णव 2004 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव थे.

नाम न छापने की शर्त पर भाजपा की ओडिशा इकाई के एक नेता ने कहा ‘हम यह नहीं मानते हैं कि वैष्णव को पहले भाजपा प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी के प्रति वफ़ादारी का इनाम मिला हैं.’ इस बात से हम चकित हो गए हैं कि नवीन पटनायक की बीजू जनता दल, जिसके ओडिशा विधानसभा में 112 सदस्य हैं, राज्यसभा के लिए अपनी ही पार्टी के तीन नेताओं को आसानी से नामांकित कर सकती थी. लेकिन वो वैष्णव को समर्थन कर रहे हैं.

वैष्णव के नामांकन के तुरंत बाद, पटनायक ने एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से कहा कि उनकी पार्टी मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से बात के बाद उनकी उम्मीदवारी का समर्थन कर रही है.

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वह एक सक्षम प्रशासक थे 

राजस्थान के मूल निवासी वैष्णव आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र हैं. 1999 में जब वे बालासोर ज़िले के कलेक्टर के रूप में तैनात थे. तब उन्होंने पहली बार एक प्रशासक के रूप में अपनी योग्यता साबित की थी.

उसी वर्ष ओडिशा एक बड़े चक्रवात की चपेट में आ गया जिसने हजारों लोगों की जान ले ली. उनके सहयोगियों ने कहा कि वैष्णव के स्थिति को संभालने के कुशल तरीके ने उन्हें राजनीतिक आकाओं के ध्यान में लाया.

ओडिशा कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने बताया कि, ‘ऐसा कहा जाता है कि बालासोर में उनके काम से प्रभावित नवीन पटनायक के तत्कालीन विश्वासपात्र और राजनीतिक सलाहकार प्यारे मोहन महापात्रा, जो बाद में उनसे अलग हो गए ने कटक कलेक्टर के पद (एक बेशकीमती पद माना जाता है) को लेकर उनके नाम की सिफारिश की थी.

नौकरशाही में उनके पूर्व सहयोगी भी वैष्णव की दक्षता के लिए सरहाना करते हैं.

उन्हें एक अच्छे प्रशासक के रूप में जाना जाता था और अपने वरिष्ठों और सहयोगियों द्वारा भी अच्छा प्रशासक बोला जाता था. उन्होंने खुद को हमेशा एक बेहद लो प्रोफाइल बनाए रखा.

वैष्णव का पीएमओ लिंक

ओडिशा कैडर के अधिकारी ने कहा कि पटनायक के पूर्व सलाहकार महापात्र ने जब 2002 में जब वाजपेयी पीएम थे. तब उप-सचिव के पद के लिए वैष्णव के नाम की सिफारिश की थी. उस वक़्त बीजद का भाजपा के साथ गठबंधन था.

वाजपेयी के साथ पीएमओ में काम कर चुके एक अधिकारी ने कहा, ‘अशोक सैकिया, जो वाजपेयी सरकार में पीएमओ में संयुक्त सचिव थे और उन्होंने ओडिशा में चक्रवात राहत कार्यों का समन्वय किया था. वे वैष्णव के कार्य से काफी प्रभावित थे.

अधिकारी ने कहा कि वैष्णव एक कुशल नौकरशाह थे- कुशल, महत्वपूर्ण और मिलनसार भी थे. उन्हें अशोक सैकिया सहित सभी अपने वरिष्ठों द्वारा पसंद किया जाता था.

पीएमओ में उनके संक्षिप्त कार्यकाल के बाद उन्होंने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सार्वजनिक-निजी-भागीदारी मॉडल का प्रयास किया था. 2004 में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के चुनाव हारने के बाद वैष्णव को वाजपेयी के निजी सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था.

एक अधिकारी ने कहा, ‘वाजपेयी के कृष्ण मेनन मार्ग के घर में एक उनका कार्यालय था. वह अपने काम में अच्छे थे, लेकिन हम समझ सकते थे कि वह जो कर रहे हैं, उससे संतुष्ट नहीं थे.

वैष्णव ने जल्द ही कृष्ण मेनन मार्ग को छोड़ दिया और अपना अगला काम गोवा के मोरमुगाओ पोर्ट ट्रस्ट के उपाध्यक्ष के रूप में 2006 में शुरुआत की. लेकिन वह वहां लंबे समय तक नहीं रहे. जुलाई 2008 में वह वैष्णव व्हार्टन स्कूल ऑफ बिज़नेस यूएस में व्यवसाय प्रबंधन का अध्ययन करने गए और अगले साल उन्होंने आईएएस के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांग ली.

ओडिशा-कैडर के एक सेवानिवृत्त नौकरशाह ने दि प्रिंट को बताया कि ‘मैंने उनसे कारण पूछा और उन्होंने कहा कि उन्होंने व्हार्टन में पढ़ाई के लिए खुद खर्च उठाया था जिससे वह भारी आर्थिक तंगी में है. वह कर्ज चुकाने के लिए निजी क्षेत्र को ज्वाइन करना चाहते थे.

‘विवादास्पद’ खनन कंपनी में काम किया

सिविल सेवा को छोड़ने के बाद वैष्णव ने निजी क्षेत्र में विभिन्न पदों पर काम किया. मुख्य रूप से इंफ्रास्ट्रकचर के क्षेत्र में काम किया. वह गुड़गांव स्थित जीई ट्रांसपोर्टेशन में प्रबंध निदेशक (वाणिज्यिक) थे.

ओडिशा इकाई के भाजपा के नेता ने कहा ‘इसी बीच में वे देश के सबसे बड़े खदान डेवलपर्स में से एक थ्रीवेनी अर्थ मूवर्स प्राइवेट लिमिटेड की इकाई, थ्रीवेनी प्लेट्स प्राइवेट लिमिटेड के तीन निदेशकों में से एक थे. दोनों कंपनियां विवादास्पद खनन बैरन बी प्रभाकरन के स्वामित्व में हैं.

थ्रीवेनी प्लेट्स प्राइवेट लिमिटेड गैर-लौह धातु के खनन में शामिल है.

भाजपा नेता ने कहा, ‘2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रभाकरण और बीजद के बीच कथित संबंध के मुद्दे को उठाया था.’

ओडिशा से तीन सहित छह राज्यसभा सीटों के लिए उपचुनाव 5 जुलाई को होना है. बीजेडी ने वैष्णव की उम्मीदवारी का समर्थन किया है जिससे उनकी जीत तय दिखती है.

लेकिन, ओडिशा के भाजपा नेताओं ने कहा कि यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है.

भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘क्या उन्हें नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री बनाया जाएगा?’ अटकलों का बाजार गर्म है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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