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Sunday, 22 December, 2024
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मोदी 2021 की हार के बाद पहली बार कोलकाता में होंगे, राज्य BJP में उत्साह बढ़ने की उम्मीद

पीएम शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में पूर्वी भारत की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाएंगे, जिसे बंगाल में बीजेपी के 2024 के चुनाव अभियान के शुरुआती लॉन्च के रूप में देखा जा रहा है और नमामि गंगे बैठक में हिस्सा लेंगे.

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कोलकाता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार, 30 दिसंबर को पश्चिम बंगाल में पूर्वी भारत की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाएंगे, जिसे 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अभियान के शुरुआती लॉन्च के रूप में देखा जा रहा है.

20 महीने पहले 2021 बंगाल विधानसभा चुनाव में हार के बाद पीएम मोदी की कोलकाता की यह पहला दौरा है, इस चुनाव में बीजेपी ममता बनर्जी के नेतृत्व वाले तृणमूल कांग्रेस बड़े मार्जिन से हारी थी. मोदी ने चुनावों के लिए राज्य में बड़े पैमाने पर प्रचार किया था.

मोदी आगामी कोलकाता दौरे पर लगभग दो वर्षों में पहली बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मंच साझा करते हुए दिखाई देंगे.

आखिरी बार दोनों नेता नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 150वीं जयंती समारोह में जनवरी 2021 में विक्टोरिया मेमोरियल में साथ दिखे थे.

बनर्जी तब ‘जय श्री राम’ के नारा लगने पर बिना बोले ही मंच से चली गई थीं.

बुधवार को मीडिया को संबोधित करते हुए बनर्जी ने पुष्टि की वह पीएम मोदी की नमामि गंगे बैठक में शामिल होंगी.

मोदी की कोलकाता यात्रा ऐसे समय में होने वाली है जब भाजपा राज्य में अगले साल की शुरुआत में होने वाले पंचायत चुनावों की तैयारी कर रही है.

गृहमंत्री अमित शाह ने बंगाल भाजपा मुख्यालय में 10 दिन पहले दौरा किया था, जब वह पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक की अध्यक्षता करने के लिए कोलकाता में थे, और पीएम मोदी की शुक्रवार राज्य के दौरा करने को लेकर बीजेपी काडर उम्मीद कर रहा है केंद्रीय नेतृत्व के इस दौरे से पार्टी में काफी उत्साह जगेगा, जिसको लेकर उनका दावा था कि 2021 के विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद से यह उत्साह गायब था.

बीजेपी सांसद लॉकेट चटर्जी ने दिप्रिंट को बताया कि अभी तक पीएम आधिकारिक कार्यक्रम के इतर कोई राजनीतिक कार्यक्रम तय नहीं है, उनका दौरा निश्चित रूप से बीजेपी के राज्य काडर मनोबल बढ़ाएगा.

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने हमेशा पश्चिम बंगाल को महत्व दिया है. चुनाव के दौरान (2021 में), वह कार्यकर्ताओं से जुड़े और अब चुनाव के बाद उनका कोलकाता आना दिखाता है कि वे बंगाल के बारे में सोचते हैं. दरअसल, वह यहां पश्चिम बंगाल में पूर्वी भारत की पहली वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाएंगे, जो दक्षिण बंगाल से उत्तर बंगाल के बीच संचालित होगी. इससे पता चलता है कि कैसे बंगाल हमेशा उनके लिए प्राथमिकता रहा है और निश्चित रूप से इससे (पंचायत) चुनावों से पहले भाजपा कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास बढ़ेगा.’

पश्चिम बंगाल की सीएम की अमित शाह की ईस्टर्न जोनल काउंसिल बैठक के दौरे के इतर अलग से उनके साथ मिली थीं. वह इस महीने की शुरुआत में पीएम की अध्यक्षता में हुई जी-20 बैठक में भी भारत की G20 अध्यक्षता पर चर्चा करने और अगले साल के शिखर सम्मेलन के लिए सुझाव मांगने के लिए शामिल हुई थीं, और और अगस्त में राष्ट्रीय राजधानी में प्रधानमंत्री के साथ बंद कमरे में बैठक की थी.

जबकि सरकार में वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा था कि राज्य अपने कर्ज के बोझ को कम करने के लिए मनरेगा और जीएसटी बकाया चाहता है, तृणमूल नेताओं ने कहा कि पीएम की बंगाल यात्रा का राज्य में भाजपा के चुनावी किस्मत पर कोई असर नहीं डालेगा.


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पीएम की यात्रा को कोई असर नहीं होगा: टीएमसी

इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कि प्रधान मंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कई अन्य वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने पिछले साल के विधानसभा चुनावों के प्रचार के लिए पश्चिम बंगाल का दौरा किया था, लेकिन चुनावी नतीजों को अपने पक्ष में लाने में विफल रहे थे. तृणमूल नेताओं ने दावा किया कि प्रधानमंत्री के एक दिन के लिए कोलकाता दौरे पर आ रहे हैं, इससे राज्य में भाजपा के ‘कमजोर संगठनात्मक ढांचे’ की वजह से कोई प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है.

इस बात हाईलाइट करते हुए कि वंदे भारत एक्सप्रेस राज्य के हावड़ा से न्यू जलपाईगुड़ी तक 8 घंटे में अपनी यात्रा पूरी करेगी, जो कि मौजूदा शताब्दी एक्सप्रेस जितना ही है, टीएमसी ने हरी झंडी दिखाने को एक ‘चाल’ करार दिया.

टीएमसी उपाध्यक्ष जॉय प्रकाश मजूमदार ने आरोप जड़ा, ‘प्रधानमंत्री को पहले बुनियादी ढांचे पर ध्यान देना चाहिए. रेलवे का बुनियादी ढांचा इतना खराब है कि वंदे भारत, उनकी प्रिय परियोजना, यहां तेज गति से नहीं चल पाएगी और शताब्दी एक्सप्रेस के जितना ही समय लेगी. तो, इस ट्रेन का उद्घाटन करने का क्या फायदा?’

राजनीतिक विश्लेषक उदयन बंदोपध्याय ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बंगाल दौर से किसी भी असर से इनकार किया.

बंदोपाध्याय ने कहा, ‘यह एक नियमित कार्यक्रम है और इसमें किसी भी राजनीतिक संदेश के लिए कोई जगह नहीं होगी. यह सब अमित शाह की कोलकाता में पार्टी मुख्यालय में भाजपा नेताओं के साथ बैठक (इस महीने की शुरुआत में), उसके बाद ममता बनर्जी के साथ आमने-सामने की बैठक पंचायत चुनाव से पहले यहां राज्य में भाजपा कार्यकर्ताओं को एक संदेश दे सकती है.’

इस बीच, भाजपा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के भाजपा और केंद्र सरकार के प्रति रवैये में कथित नरमी का स्वागत किया है. पीएम और बनर्जी अतीत में एक-दूसरे पर कटाक्ष करने के लिए जाने जाते रहे हैं.

सांसद लॉकेट चटर्जी ने कहा, ‘संघीय ढांचे में राज्य और केंद्र लोगों के विकास के लिए मिलकर काम करते हैं. लेकिन ममता बनर्जी के अहंकार ने पश्चिम बंगाल के लोगों को केंद्रीय योजनाओं से वंचित किया है. वह जानती हैं कि यदि केंद्र के साथ उनके सौहार्दपूर्ण संबंध हों तभी नई दिल्ली में फंसा पैसा जारी होगा. अतीत के बारे में सोचने की बात नहीं है असलिय यह है कि उन्होंने महसूस किया है, जो की अच्छी बात है, यही आगे बंगाल के विकास में मदद करेगा.’

इस साल मई में बनर्जी ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट (मनरेगा) और पीएम आवास योजना जैसी स्कीमों के तहत राज्यों को आवंटित धन जारी करने में देरी को लेकर केंद्र के खिलाफ पीएम मोदी को पत्र लिखा था, इस मामले में उनसे दखल की मांग की थी.

उनकी सरकार ने जीएसटी बकाया के संबंध में प्रधान मंत्री कार्यालय को भी लिखा था, और ममता ने अगस्त में नीति आयोग की बैठक के दौरान जीएसटी बकाया में 27,000 करोड़ रुपये के लंबित मुद्दे को खुद पीएम के सामने उठाया था.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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