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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशआजादी का अमृत महोत्सव- मोदी ने दांडी तक जाने वाले 81 यात्रियों को दिखाई हरी झंडी, बताया नमक का मतलब

आजादी का अमृत महोत्सव- मोदी ने दांडी तक जाने वाले 81 यात्रियों को दिखाई हरी झंडी, बताया नमक का मतलब

आज दुनिया के देश भारत का धन्यवाद कर रहे हैं, भारत पर भरोसा कर रहे हैं. यही नए भारत के सूर्योदय की पहली छटा है. यही हमारे भव्य भविष्य की पहली आभा है.

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को गुजरात के अमहदाबाद के साबरमती आश्रम स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ को समर्पित ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम की शुरुआत की.

उन्होंने कहा कि आज आजादी के अमृत महोत्सव का प्रारंभ हो रहा है. अमृत महोत्सव 15 अगस्त, 2022 से 75 सप्ताह पूर्व आज प्रारंभ हुआ है और 15 अगस्त, 2023 तक चलेगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नवसारी में दांडी तक जाने वाले 81 पदयात्रियों को झंडी दिखाकर रवाना किया.

पीएम ने कहा कि मैं इस पुण्य अवसर पर बापू के चरणों में अपने श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं. मैं देश के स्वाधीनता संग्राम में अपने आप को आहूत करने वाले, देश को नेतृत्व देने वाली सभी महान विभूतियों के चरणों में आदरपूर्वक नमन करता हूं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत महोत्सव के प्रारंभ होने से पहले आज देश की राजधानी में अमृत वर्षा भी हुई और वरुण देव ने आशीर्वाद भी दिया ये हम सभी का सौभाग्य है कि हम आज़ाद भारत में इस ऐतिहासिक कालखंड के साक्षी बन रहे हैं.

मोदी ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव यानी- आजादी की ऊर्जा का अमृत. आजादी का अमृत महोत्सव यानी – स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अमृत. आजादी का अमृत महोत्सव यानी – नए विचारों का अमृत. नए संकल्पों का अमृत. आजादी का अमृत महोत्सव यानी – आत्मनिर्भरता का अमृत.

उन्होंने कहा किसी राष्ट्र का भविष्य तभी उज्ज्वल होता है, जब वो अपने अतीत के अनुभवों और विरासत के गर्व से पल पल जुड़ा रहता है. फिर भारत के पास तो गर्व करने के लिए अथाह भंडार है, समृद्ध इतिहास है, चेतनामय सांस्कृतिक विरासत है.

हमारे यहां नमक को कभी उसकी कीमत से नहीं आंका गया. हमारे यहां नमक का मतलब है- ईमानदारी, हमारे यहां नमक का मतलब है- विश्वास, हमारे यहां नमक का मतलब है- वफादारी.

हम आज भी कहते हैं कि हमने देश का नमक खाया है. ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि नमक कोई बहुत कीमती चीज है. ऐसा इसलिए क्योंकि नमक हमारे यहां श्रम और समानता का प्रतीक है.

उन्होंने कहा 1857 का स्वतंत्रता संग्राम, महात्मा गांधी का विदेश से लौटना, देश को सत्याग्रह की ताकत फिर याद दिलाना, लोकमान्य तिलक का पूर्ण स्वराज्य का आह्वान, सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज का दिल्ली मार्च, दिल्ली चलो का नारा कौन भूल सकता है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के कोने-कोने से कितने ही दलित, आदिवासी, महिलाएं और युवा हैं जिन्होंने असंख्य तप-त्याग किए. याद करिए, तमिलनाडु के 32 वर्षीय नौजवान कोडि काथ् कुमरन को, अंग्रेजों ने उनको सिर में गोली मार दी, लेकिन उन्होंने मरते हुये भी देश के झंडे को जमीन में नहीं गिरने दिया.

पीएम ने बताया कि श्यामजी कृष्ण वर्मा, अंग्रेजों की धरती पर रहकर, उनकी नाक के नीचे आजादी के लिए संघर्ष करते रहे. लेकिन उनकी अस्थियां 7 दशकों तक इंतजार करती रही कि कब उन्हें भारतमाता की गोद नसीब होगी. 2003 में विदेश से उनकी अस्थियां मैं अपने कंधे पर उठाकर ले आया था.

तमिलनाडु की ही वेलू नाचियार वो पहली महारानी थीं, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. इसी तरह, हमारे देश के आदिवासी समाज ने अपनी वीरता और पराक्रम से लगातार विदेशी हुकूमत को घुटनों पर लाने का काम किया था.

अंडमान में जहां नेताजी सुभाष ने देश की पहली आजाद सरकार बनाकर तिरंगा फहराया था, देश ने उस विस्मृत इतिहास को भी भव्य आकार दिया है. अंडमान निकोबार के द्वीपों को स्वतंत्रता संग्राम के नामों पर रखा गया है.

पीएम ने कहा कि जालियांवाला बाग में स्मारक हो या फिर पाइका आंदोलन की स्मृति में स्मारक, सभी पर काम हुआ है. बाबा साहेब से जुड़े जो स्थान दशकों से भूले बिसरे पड़े थे, उनका भी विकास देश ने पंचतीर्थ के रूप में किया है.

उन्होंने कहा कि कोरोना काल में ये हमारे सामने प्रत्यक्ष सिद्ध भी हो रहा है. मानवता को महामारी के संकट से बाहर निकालने में, वैक्सीन निर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता का आज पूरी दुनिया को लाभ मिल रहा है.

आज दुनिया के देश भारत का धन्यवाद कर रहे हैं, भारत पर भरोसा कर रहे हैं. यही नए भारत के सूर्योदय की पहली छटा है. यही हमारे भव्य भविष्य की पहली आभा है.

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम के हृदय कुंज में महात्मा गांधी की तस्वीर को माला अर्पित की. इस दौरान उनके साथ गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी मौजूद रहे.

देश के विभिन्न हिस्सो से पदयात्री गुजरात के अहमदाबाद के अभय घाट पहुंचे हैं. पीएम मोदी आज साबरमती आश्रम से दांडी मार्च को हरी झंडी दिखाएंगे, जो कि आजदी के 75 साल पूरा होने पर अमृत महोत्सव कार्यक्रम का हिस्सा है.

12 मार्च: दांडी मार्च ने ब्रिटिश सत्ता को दी थी कड़ी चुनौती

इतिहास में 12 मार्च की तारीख में दर्ज प्रमुख घटनाओं में 1930 में शुरू हुआ ‘दांडी मार्च’ भी शामिल है. इसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अहम पड़ाव माना जाता है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस दिन अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से नमक सत्याग्रह के लिये दांडी यात्रा शुरू की थी.

इस मार्च के जरिए बापू ने अंग्रेजों के बनाए नमक कानून को तोड़कर उस सत्ता को चुनौती दी थी जिसके बारे में कहा जाता था कि उसके साम्राज्य में कभी सूरज नहीं डूबता है.

 

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