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Monday, 6 May, 2024
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जाति आधारित मनरेगा मजदूरी के भुगतान पर मोदी सरकार करेगी पुनर्विचार, कहा- समस्याओं की है जानकारी

कर्नाटक में, एक ही क्षेत्र में एक ही काम करने के बावजूद एक समूह से संबंधित श्रमिकों के तेजी से भुगतान प्राप्त करने के कारण मतभेदों के बारे में पता चला.

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बेंगलुरु: मोदी सरकार ने कहा है कि वह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना के तहत जाति आधारित भुगतान वितरण पर पुनर्विचार कर रही है, और यह जांच कर रही है कि क्या पहले की प्रणाली- सभी वेतन का भुगतान करने के लिए एक खाता – बहाल किया जाना चाहिए.

यह बयान कर्नाटक में मजदूरों के बीच मनरेगा के तहत जाति आधारित वेतन वितरण द्वारा उत्पन्न हुई समस्याओं को उजागर करने के एक सप्ताह बाद आया है.

इस वर्ष की शुरूआत में चालू किए गए इस सिस्टम में तीन खातों के माध्यम से वेतन का वितरण शामिल है- एक अनुसूचित जाति के लिए, दूसरा अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए और तीसरा अन्य. इसको लेकर असंतोष तब पैदा हुआ जब एक समूह के सदस्यों को दूसरे समूह के सदस्यों से पहले वेतन मिल गया.

30 सितंबर को भेजे गए एक ईमेल के जवाब में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने गुरुवार को सरकार की पुनर्विचार योजना के बारे में अवगत कराया.

मंत्रालय ने कहा कि नई भुगतान प्रणाली के तहत श्रमिकों को असुविधा उसके संज्ञान में आई है.

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मंत्रालय ने कहा, ‘मंत्रालय को कुछ अभ्यावेदन प्राप्त हो रहे हैं, जिसमें कामगारों की विभिन्न श्रेणियों को होने वाली असुविधा के बारे में प्रकाश डाला गया है. मंत्रालय इस मुद्दे की जांच कर रहा है कि क्या एक ही काम के लिए एक ही मस्टर रोल और एक ही अवधि में काम कर चुके सभी श्रेणियों के कामगारों के लिए एकल निधि हस्तांतरण आदेश (एफटीओ) के पहले के प्रावधान को बहाल किया जाना चाहिए.

यह पूछे जाने पर कि ट्राईफर्केशन की आवश्यकता क्यों है, मंत्रालय ने कहा कि यह लेखांकन प्रयोजनों के लिए है.

मंत्रालय ने आगे कहा, ‘बेहतर लेखांकन उद्देश्य के लिए व्यय विभाग के परामर्श से श्रेणीवार (एससी, एसटी और अन्य) मजदूरी भुगतान प्रणाली का निर्णय लिया गया है.


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‘हल की गई समस्याएं’

2 मार्च को केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को एडवाइजरी भेजकर कहा कि भारत सरकार ने वेतन भुगतान के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 से मनरेगा के तहत एससी और एसटी वर्ग के लिए अलग-अलग बजट प्रमुख उपलब्ध कराने का फैसला किया है.

एक बार जाति आधारित प्रणाली में शुरू हो गई, उसके बाद केंद्र सरकार के अनियमित और गैर एक समान तीन खातों में से प्रत्येक को भुगतान के वितरण द्वारा श्रमिकों के बीच समस्या पैदा होनी शुरू हो गई.

उदाहरण के लिए, कर्नाटक में, एक ही क्षेत्र में एक ही काम करने के बावजूद एक समूह से संबंधित श्रमिकों के तेजी से भुगतान प्राप्त करने के कारण मतभेदों के बारे में पता चला.

भुगतान जारी करने में असमानता के बारे में पूछे जाने पर मंत्रालय ने कहा कि तीनों खातों में से प्रत्येक को धन वितरित करने के लिए अलग मापदंड नहीं थे.

मंत्रालय ने कहा, “सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से प्राप्त एफटीओ के मुताबिक मजदूरी का भुगतान जारी किया जा रहा है. मंत्रालय ने कहा कि वित्तीय वर्ष के 2 शुरुआती महीनों में बैंकर स्तर पर कुछ मुद्दों को देखा गया था, जो अब हल हो गया है और फंड सभी श्रेणियों के लिए निरंतर आधार पर जारी किया जा रहा है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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