नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के क्रीमीलेयर के लिए आय सीमा 8 लाख रुपए से बढ़ाकर 12 लाख रुपये प्रति वर्ष करने की सिफारिश की है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
सरकार द्वारा नियुक्त समिति ने ओबीसी आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर सीलिंग को प्रति वर्ष 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये प्रति वर्ष करने की सिफारिश की है. इसका मतलब यह है कि अगर किसी घर की वार्षिक आय 12 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक है, तो वह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण के लिए पात्र नहीं होगा. समिति ने वार्षिक आय की गणना में वेतन को शामिल करने का भी प्रस्ताव दिया है. 10 हेक्टेयर से अधिक भूमि वाले परिवारों और 4 हेक्टेयर सिंचित भूमि वाले परिवारों को आरक्षण से बहार रखे जाने का प्रावधान किया जा सकता है.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने समिति की सिफारिशों पर अन्य मंत्रालयों से सुझाव और इनपुट मांगते हुए एक कैबिनेट नोट जारी किया है. सितंबर 2017 में, सरकार ने क्रीमीलेयर सीलिंग को 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये प्रति वर्ष कर दिया था.
अंतिम निर्णय होने के बाद इस मामले को जल्द ही कैबिनेट में रखा जाएगा. मार्च 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) के बीच क्रीमीलेयर तुल्यता से संबंधित मुद्दों के लिए बीपी शर्मा, कार्मिक विभाग के पूर्व सचिव और प्रशिक्षण विभाग की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है.
यह आय सीमा महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वह सीमा है जिस पर एक ओबीसी उम्मीदवार को सरकारी नौकरियों में जाति-आधारित आरक्षण और सरकार द्वारा वित्तपोषित शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पर रोक होगी. यह रिपोर्ट पिछले साल 19 सितंबर को सौंपी गई थी.
मंत्रालय ने क्या चर्चा की है
सूत्रों के अनुसार, समिति की रिपोर्ट पर मंत्रालय द्वारा चर्चा की गई, जिसमें बताया गया कि आय/धन परीक्षण उन सभी पर लागू किया जाना चाहिए, जो पहले से ही अपनी स्थिति के आधार पर आरक्षण के दायरे से बाहर नहीं हैं. लेकिन, समिति बताती है कि वेतनभोगी वर्ग के लिए वेतन से होने वाली आय क्रीमीलेयर के निर्धारण में शामिल नहीं है.
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एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, समिति द्वारा दो विकल्प सुझाए गए थे, जिसमें संवैधानिक/वैधानिक/वरिष्ठ सरकारी पद धारण करने वाले कुछ श्रेणियों को छोड़कर सभी श्रेणियों पर समान रूप से वार्षिक आय सीमा को लागू करने का प्रस्ताव किया गया था. यह भी ऑप्शन था कि जिनके पास 10 हेक्टेयर से ज्यादा (कृषि भूमि है) जिसमें से कम से कम 4 हेक्टेयर सिंचाई के अधीन है तो उनको भी इससे बाहर रखा जायेगा.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘समिति ने सुझाव दिया है कि वेतन सहित सभी कर योग्य आय को गिना जाना चाहिए, जो किसी भी भेदभाव की संभावना को दूर करेगा और सरल भी होगा.’
समिति द्वारा प्रदान किया गया दूसरा विकल्प कुछ संशोधनों के साथ वर्तमान प्रणाली को जारी रखना है (जिसमें वेतन कुल आय का हिस्सा नहीं है). समिति ने 8 लाख रुपये की वर्तमान आय सीमा बढ़ाने का सुझाव दिया है जिसके बाद मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया है कि इसे बढ़ाकर 12 लाख रुपये किया जा सकता है. सभी मंत्रियों से इनपुट मिलने के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा और फिर इसे कैबिनेट में प्रस्तुत किया जाएगा.
वर्तमान नियम क्या कहते हैं
ओबीसी सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण के हकदार हैं. हालांकि, क्रीमीलेयर को इस तरह के लाभों से बाहर रखा गया है.
मंडल कमीशन मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ओबीसी के बीच की क्रीमीलेयर को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा और सरकार से यह निर्धारित करने के लिए मापदंड तय करने को कहा था.
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वर्तमान में 8 लाख रुपये और उससे अधिक की वार्षिक पैतृक आय (खेती, कृषि भूमि आदि से होने वाली आय को छोड़कर) वाले आरक्षण लाभ के लिए पात्र नहीं हैं.
वर्तमान में, सरकारी क्षेत्र में संवैधानिक पदों पर आसीन होने और क्लास-ए के पदों पर प्रवेश करने वाले सभी लोग स्वचालित रूप से इस क्रीमीलेयर में शामिल हैं. वे लोग क्रीमीलेयर श्रेणी में नहीं आते हैं, 1993 के आदेश ने एक आय/ धन मानदंड निर्धारित किया है, जिसके तहत एक निश्चित आय से परे व्यक्तियों को क्रीमीलेयर से संबंधित माना जाएगा.
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