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Saturday, 16 November, 2024
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मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर की पंचायत को भेजे 800 करोड़, पर कहां होंगे खर्च यह तय नहीं

केंद्र सरकार ने मंगलवार को लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के दो नवगठित केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के बीच संपत्तियों के विभाजन की निगरानी के लिए तीन सदस्यीय सलाहकार समिति की घोषणा की है.

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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की संपत्तियां 31 अक्तूबर को बांट दी जाएंगी. केंद्र सरकार ने मंगलवार को लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के दो नवगठित केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के बीच संपत्तियों के विभाजन की निगरानी के लिए तीन सदस्यीय सलाहकार समिति की घोषणा की. केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की पंचायत के लिए 2000 करोड़ आवंटित किए हैं. यहां चुनाव सात वर्षों बाद 2018 में हुए थे. वैसे तो आवंटित धन किन-किन योजनाओं पर खर्चे जाने हैं उसकी रूप रेखा अभी बननी बाकी है.

सूत्रों के अनुसार कुछ गांवो को पैसे मिलने शुरू भी हो गए हैं. ये पैसा सीधा बैंक खातों में जाएगा. अधिकारियों का मानना है कि बैंक खातों में पैसा जाने से पंचायत और सरपंच आत्मनिर्भर होंगे. पिछले साल ही जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव हुए हैं.

इसी साल राज्य को दो भागों में बांटने के फैसले से पहले सरकार ने राज्य को चार किश्तों में 800 करोड़ रुपए आवंटित किए थे. उसके बाद पिछले हफ्ते सरकार ने 1200 करोड़ रुपए फिर से आवंटित किए हैं.

राज्य के ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय की सचिव शीतल नंदा कहती हैं, ‘पहली किश्त पहले ही जारी कर दी गई है. चार किश्त चल ही दी जाएंगी. शीतल के विभाग ने इसी महीने सरपंचों को सीधा उनके बैंक एकाउंट में पैसा भेजा था.’

शीतल नंदा दिप्रिंट से बातचीत में कहती हैं, ‘ऐसा पहले बार हुआ है कि राज्य की पंचायतों को विकास कार्यों के लिए इतना पैसा दिया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘ इतना पैसा तो पंचायतों को 2011 से 2016 के बीच भी नहीं मिला जितना 2018 में हुए चुनावों के बाद मिल गया है.’

नौ चरणों में हुए पंचायत चुनावों में रिकॉर्ड 74 फीसदी मतदान हुआ था. शीतल का कहना है कि, ‘अब सरपंच को सीधे उनके बैंक में पैसे भेजे जा रहा हैं. लोगों को पता चल गया है कि विकास कार्य के लिए सरकरा काफी पैसा भेज रही है. ऐसे में गांव के लोग सावधानी से अपना प्रतिनिधि चुनेंगे.’

नवंबर 2018 से पहले जम्मू और कश्मीर में 4,483 पंचायत चुनाव 2011 में हुआ था. उसके बाद 2016 में यह डिज़ॉल्व हो गई थीं, जबकि फ्रेश चुनाव होने में दो साल लग गए.

नंदा ने कहा कि सरकार सीधे पंचायतों को उनके खाते में राशि भेज रही है और यदि पंचायत समाप्त भी हो जाती है तब भी इस खाते में राशि रहेगी. सरपंच को हर बार अपनी आवंटित धनराशि के लिए सरकार और मंत्रालय के पास नहीं जाता होगा.

नंदा ने कहा,’जैसे ही हमें सरकार की तरफ से धनराशि मिलेगी हम सीधे उसे पंचायत के एकाउंट में डाल दिया जाएगा और इस राशि और गांव के विकास का काम पूरा सरपंच के हाथों में होगा.

धनराशि गांव की जनसंख्या के आधार पर जारी किया जाएगा.इस बार कुछ गांव 80 लाख से एक करोड़ रुपये तक दिया जा रहा है.

स्थानीय नेताओं को बनाया जाएगा सशक्त

जम्मू-कश्मीर प्रशासन के एक सूत्र ने बताया कि मोदी सरकार सरपंच को सशक्त बनाने पर जोर दे रही है,और यह चाहती है कि गांव के लोग जिन्होंने सरपंचों को चुना है वह उसके लिए उत्तरदायी है. जम्मू और कश्मीर पंचायती राज एक्ट 1989 को अक्टूबर में अमेंडमेंट किया गया था. जिसका मकसद सरपंच को और शक्तिशाली बनाना है.

कैसे होगा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की संपत्तियों का बंटवारा

गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि तीन सदस्यीय सलाहकार समिति में पूर्व रक्षा सचिव संजय मित्रा, पूर्व आईएएस अधिकारी अरुण गोयल और भारतीय नागरिक लेखा सेवा (आईसीएएस) के पूर्व अधिकारी गिरिराज प्रसाद शामिल होंगे.

दो केंद्र शासित प्रदेशों के बीच संपत्तियों का बंटवारा 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आ जाएगा. इसमें व्यापक वित्तीय व प्रशासनिक कार्य शामिल होंगे. संयोग से देश के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती भी इसी दिन होगी.

यहां एक शीर्ष नौकरशाह ने कहा, ‘प्रमुख प्रशासनिक निर्णय में लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के लिए राज्य की विभिन्न मौजूदा सेवाओं से नौकरशाहों का आवंटन करना शामिल होगा. राज्य सरकार के प्रत्येक विभाग को लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश के लिए अधिकारियों को आवंटित करते समय विचार करना होगा. उस क्षेत्र से बहुत कम अधिकारी है, जो वर्तमान में राज्य सरकार की सेवा में हैं.’

उन्होंने कहा, ‘इसलिए घाटी व जम्मू क्षेत्र में राज्य व केंद्र सरकार की सेवाओं में शामिल अधिकारियों के लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश की सेवा का स्वैच्छिक रूप से विकल्प चुनने की संभावना नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘इस समस्या को हल करने के लिए राज्य के अधिकारियों को लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के लिए तीन साल की प्रतिनियुक्ति पर भेजा जाएगा. उन्हें राज्य के वर्तमान में केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारियों में लाया जाएगा. लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश कैडर धीरे-धीरे विकसित होगा. प्रतिनियुक्ति को बाद के चरण में बंद किया जा सकता है.’

अधिकारी ने कहा कि संपत्तियों के विभाजन में हथियारों, पुलिस बल के लिए गोला-बारूद, वाहनों का विभाजन व बुनियादी ढांचा व दूसरे संसाधन का आनुपातिक विभाजन शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘इसी तरह से अन्य सभी राज्य विभागों की संपत्ति का विभाजन जैसे कि राजस्व, वित्त, बिजली विकास, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, सामाजिक कल्याण, ग्रामीण विकास, सार्वजनिक काम और पर्यटन का विभाजन आबादी के अनुपात में होगा.’

नौकरशाह ने कहा, ‘कानूनी रूप से केंद्र शासित प्रदेशों के अस्तित्व में आने से पहले ही यह कवायद हो चुकी होनी चाहिए. कार्य शुरू हो चुका है और सलाहकार समिति की आखिरी बैठक के बाद संपत्तियों का विभाजन औपचारिक रूप से हो जाएगा.’

(आईएएनएस के इनपुट्स के साथ)

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